Tuesday, May 14, 2024

पुस्तक समीक्षा | बुंदेलखंड में पर्यटन के लिए आमंत्रण देती एक बेहतरीन पुस्तक | समीक्षक डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | आचरण

प्रस्तुत है आज 14.05.2024 को  #आचरण में प्रकाशित मेरे द्वारा की गई डॉ नीलिमा पिंपलापुरे जी की काफी टेबल बुक "बुंदेलखंड द हार्टबीट ऑफ़ मध्य प्रदेश" की समीक्षा।
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पुस्तक समीक्षा     
बुंदेलखंड में पर्यटन के लिए आमंत्रण देती एक बेहतरीन पुस्तक
- समीक्षक डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
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पुस्तक       - बुंदेलखंड द हार्टबीट ऑफ मध्यप्रदेश
लेखिका एवं छायाकार  - डाॅ. नालिमा पिंपलापुरे एवं गणेश पंगारे
प्रकाशक     - बी बज़ मीडिया, इंडिया
मूल्य        - 2000/-
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बुंदेलखंड की प्राचीनता निर्विवाद है। प्रागैतिहासिक काल में मानव ने इस क्षेत्र को अपने निवास स्थान के रूप में चुना, जिसका साक्ष्य हैं इस क्षेत्र में मिलने वाली राॅक एवं केव पेंटिंग्स। प्रागैतिहासिक काल के औजार भी बुंदेलखंड के अनेक स्थानों से प्राप्त हुए हैं। पौराणिक ग्रंथों तथा महाकाव्यों में बुंदेलखंड का उल्लेख दशार्ण के नाम से मिलता है। ‘‘शिवपुराण’’ में कहा गया है कि विषपान के बाद भगवान शिव ने कालंजर में विश्राम किया था तथा देवी काली से विवाह कर के कुछ समय यहीं व्यतीत किया था। इसके बाद शिव हिमालय की ओर तथा देवी काली कामाख्या की ओर चली गई थीं। ‘‘महाभारत’’ काल में शिखण्डी का विवाह जिस कन्या से कराया गया था, वह दशार्ण के राजा की पुत्री हिरण्यमयी थी। बुंदेलखंड का जितना प्रागैतिहासिक एवं पौराणिक महत्व है उतना ही धर्म, राजनीति, संस्कृति एवं प्रकृति को ले कर भी महत्व है। इस महत्व की जानकारी समय के साथ बढ़ने के बजाय सिमटती जा रही है। जबकि बुंदेलखंड में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। यह सुखद है कि पर्यटन की संभावनाओं को दिशा प्रदान करती एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसका मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने खजुराहो के नृत्योत्सव के दौरान लोकार्पण किया था। इस पुस्तक का नाम है-‘‘बुंदेलखंड द हार्टबीट आफ मध्यप्रदेश’’।
‘‘बुंदेलखंड द हार्टबीट ऑफ  मध्यप्रदेश’’ एक सुंदर काॅफी टेबल बुक है। काॅफी टेबल बुक आमतौर पर किसी भी विषय पर परिचयात्मक पुस्तक होती है। यह पुस्तक भी परिचयात्मक है तथा इसमें बुंदेलखंड के विविध आयामों का नयानाभिराम छायाचित्रों के साथ संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इस पुस्तक की सामग्री-शोधकर्ता एवं लेखिका डाॅ नीलिमा पिंपलापुरे हैं। पुस्तक में दिए गए सभी छायाचित्रों के छायाकार हैं गणेश पंगारे। डाॅ नीलिमा पिंपलापुरे का जन्म यूं तो पूना में हुआ किन्तु विगत 50 वर्ष से वे सागर में निवासरत हैं। यही कारण है कि अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., पीएचडी डाॅ. नीलिमा पिंपलापुरे को बुंदेलखंड से अगाध प्रेम हो गया। उनका यह प्रेम ही इस पुस्तक का मूलआधार बना। जैसा कि उन्होंने पुस्तक की प्रस्तावना में स्वयं लिखा है-‘‘यह प्रकाशन बुंदेलखंड के प्रति मेरे प्रेम और जुनून का परिणाम है। मेरा उद्देश्य बुंदेलखंड के अनूठे पहलुओं को उजागर करना और इसे वह सम्मान दिलाना है जिसका यह क्षेत्र हकदार है। मैंने बुंदेलखंड के मध्य प्रदेश भाग पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि मैं पिछले पचास वर्षों से यहीं रह रही हूं और यह वह क्षेत्र है जो मेरे दिल के बहुत करीब है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह पुस्तक इस शानदार भूमि को सुर्खियों में लाने और इसके अमूल्य स्मारकों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक उपयोगी योगदान और एक महान अवसर साबित होगी। यह बुंदेलखंड का विस्तृत या गहन चित्रण नहीं है, बल्कि यह दुनिया को इस रहस्यमयी भूमि और इसकी समृद्ध विरासत से परिचित कराने का एक छोटा सा प्रयास है, ताकि पर्यटन को बढ़ावा देने और मध्य प्रदेश के इस खूबसूरत क्षेत्र का अध्ययन करने की पहल की जा सके। अपनी जीवन यात्रा के दौरान मैंने बुंदेलखंड के हर कोने का विश्लेषण, व्याख्या और भ्रमण किया है और मैं अपने अवलोकन साझा करना चाहूँगी।’’
गणेश पंगारे एक अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त छायाकार हैं। जल, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता पर उनकी 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘‘टाईम’’ पत्रिका में उनका उल्लेख किया गया था। आईएफपीआरआई, एफएओ, यूनेस्को, विश्व बैंक, एडीबी और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ उन्होंने काम किया हैं। वे अंटार्कटिका, आर्कटिक, अमेजन वन, अफ्रीका और एशिया के राष्ट्रीय उद्यानों, हिमालय के पार और एवरेस्ट बेस कैंप तक के अभियानों का हिस्सा रहे हैं। उनके छायांकन की विशिष्टिता इस पुस्तक के प्रत्येक छायाचित्र में देखी जा सकती है।
यह पुस्तक मध्यप्रदेश शासन पर्यटन विभाग के ‘‘द हार्ट ऑफ इंक्रेडिबल इंडिया’’ के अंतर्गत प्रकाशित है तथा इसमें शिव शेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश शासन, भोपाल का सहयोग है।
इस काॅफी टेबल बुक का नाम एकदम सटीक है-‘‘बुंदेलखंड द हार्टबीट ऑफ  मध्यप्रदेश’’। मध्यप्रदेश देश का हृदयस्थल है और बुंदेलखंड मध्यप्रदेश की धड़कन है। धड़कन जीवन का प्रतीक होती है। बुंदलेखंड में प्रकृति से लेकर कला और जीवनशैली से ले कर जीवनसंघर्ष तक सभी कुछ जीवंत है। पुस्तक की सामग्री पांच अध्यायों में है - पहला अध्याय बुंदेलखंड क्षेत्र, दूसरा अध्याय किले और मंदिर, तीसरा अध्याय वन और वन्य जीवन, चैथा अध्याय कृषि तथा आजीविका, पांचवा अध्याय है सांस्कृतिक विरासत।
पहले अध्याय बुंदेलखंड क्षेत्र में है- एरण एक प्राचीन शहर, महाराज छत्रसाल बुंदेला, मस्तानी महल तथा सागर का संक्षिप्त विवरण। दूसरे अध्याय में किले और मंदिर के अंतर्गत- 1.ओरछा के मंदिर, बुंदेली वाॅल पेंटिंग्स जो बुंदेली कलम के नाम से जानी जाती हैं, ओरछा का महल, सुप्रसिद्ध रामराजा मंदिर 2. विश्व विख्यात खजुराहो के मंदिर तथा मूर्तियां 3. धामोनी का किला 4. तालबेहट का किला 5. धुबेला महल 6. हृदयशाह का महल 7. कालंजर का किला एवं प्रतिमाएं 8. पन्ना के मंदिर - प्राणनाथ जी मंदिर, बलदेव जी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, जुगल किशोर जी मंदिर।
तीसरा अध्याय वन और वन्य जीवन का है। इसमें पन्ना नेशनल पार्क, केन घड़ियाल अभ्यारण्य, नौरादेही वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य, ओरछा पक्षी अभ्यारण का सचित्र संक्षिप्त विवरण है।
चैथा अध्याय है कृषि और आजीविका। इसमें कृषि-विकास के आयाम, तेंदूपत्ता और बीड़ी, महुआ बीनने के व्यवसाय की झलक है।
पांचवा अध्याय है सांस्कृतिक विरासत का। सांस्कृतिक दृष्टि से बुंदेलखंड में प्रचुर विविधता है। इस अध्याय में लेखिका ने चित्रकूट, ट्रेडिशनल आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स, चंदेरी साड़ी, धातुकला, हाथ से कागज बनाना, लोकगीत, लोक नृत्य, पारंपरिक स्वाद, ग्राम में जीवन की झलक प्रस्तुत की है।
अंत में एरण, चित्रकूट, खजुराहो, कालंजर, नौरादेही, ओरछा, पन्ना तथा सागर तक पहुंचाने के मार्ग बताए गए हैं। साथ ही मध्य प्रदेश का टूरिस्ट मैप दिया गया है।   
यह पुस्तक मूलतः अंग्रेजी में है किन्तु छायाचित्रों की बहुलता के कारण भाषा बाधा नहीं बनती है। अंग्रेजी कम जानने वाला अथवा लगभग न जानने वाला व्यक्ति भी छायाचित्रों के द्वारा बुंदेलखंड के वैभव से परिचित हो सकता है। पुस्तक में दिए गए नयनाभिराम दृश्य किसी भी पर्यटक को बुंदेलखंड के भू-भाग की ओर खींचने में सक्षम हैं। यह इस पुस्तक की खूबी है कि विवरण एवं छायाचित्रों में सुंदर सामंजस्य है। चूंकि यह पुस्तक मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से है अतः इसमें मध्यप्रदेश के अंतर्गत आने वाले  बुंदेलखंड   के पर्यटन क्षेत्रों को प्रमुखता से दिया गया है। जिससे यह पुस्तक समूचे बुंदेलखंड को कव्हर नहीं करती है किन्तु इस बात से आश्वस्त कराती है कि यदि प्रस्तुत भू-भाग में इतने महत्वपूर्ण स्थान हैं तो पूरा बुंदेलखंड तो देखने योग्य होगा ही। यह जरूर है कि प्रागैतिहासिक काल की आबचंद की केव पेंटिंग्स, अजयगढ़ का किला, पन्ना का चैमुखनाथ मंदिर, कुंडलपुर का मंदिर आदि अनेक स्थान छूट गए हैं। इनमें आबचंद की केव पेंटिंग्स भी दी जाती तो इस भू-भाग की प्राचीनता के प्रति आकर्षण बढ़ जाता। वैसे हर पुस्तक की अपनी सीमा होती है और काॅफी टेबल बुक का अपना अलग मानक होता है। इस प्रकार की पुस्तकें मूलरूप से परिचयात्मक होने के कारण इनमें विवरण विस्तार से नहीं आ पाता है, बल्कि उसके बदले छायाचित्रों से तथ्य प्रस्तुत किए जाते हैं। इस दृष्टि से पुस्तक में विषय के अनुरुप समग्र कलेवर न होते हुए भी यह एक बेहतरीन काॅफी टेबल बुक है। लेखिका डाॅ. नीलिमा पिंपलापुरे ने प्रत्येक विवरण को बड़ी गहनता से प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक का उद्देश्य पर्यटन से जुड़ा हुआ है अतः यह कहा जा सकता है कि अपने उद्देश्य में यह पुस्तक पूर्ण सफल है। पुस्तक के आवरण में ही प्रथम पृष्ठ पर ओरछा की तस्वीर तथा अंतिम पृष्ठ पर एरण के विशालकाय वाराह की तस्वीर है जो मानो आमंत्रण देती है कि पुस्तक को खोल कर देखा जाए, पढ़ा जाए। इस पुस्तक से गुज़रने के बाद हर व्यक्ति बुंदेलखंड में पर्यटन के लिए उत्सुक हो उठेगा।
बड़े आकार एवं ग्लेज़ड कागज पर जीवंत रंगीन छायाचित्रों से भरपूर इस पुस्तक का मूल्य अपेक्षाकृत कम ही है क्योंकि इस आकार-प्रकार की अन्य पुस्तकें इससे दूनी अथवा तिगुनी मूल्य की होती हैं। पुस्तक की उपादेयता को देखते हुए इसे हिन्दी तथा अन्य भारतीय एवं वैश्विक भाषाओं में लाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी है जो बुंदेलखंड के वैभव से परिचित होना चाहता है और बुंदेलखंड में पर्यटन करना चाहता है। एक अच्छी काॅफी टेबल बुक के लिए लेखिका डाॅ नीलिमा पिंपलापुरे एवं छायाकार गणेश पंगारे बधाई के पात्र हैं।                
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