वामा
- डॅा. (सुश्री) शरद सिंह
वहीं दूसरी ओर अमृता राय ने ट्वीट किया, ‘मैं अपने पति से अलग हो चुकी हूं। हमने तलाक के लिए अर्जी
दे दी है। इसके बाद मैंने दिग्विजय सिंह से शादी करने का फैसला किया है।’
India Inside, June 2014, Page 19 |
दिग्विजय सिंह के प्रेम संबंध के इस खुलासे के बाद राजनीतिक समाज में मानो
बवाल मच गया। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती ने
दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि ‘यह घृणित और खतरनाक है।’ भारती के इस ट्वीट ने समाजशास्त्रियों के लिए एक ज्वलंत
चिन्तन सामने ला पटका कि विवाहेत्तर संबंध क्या सचमुच चरित्रहीनता की निशानी है?
यदि आम नागरिक के संदर्भ में यह प्रश्न उठता तो
बेझिझक ‘हां’ में ही उत्तर होता। किन्तु जिन्हें समाज को
दिशा देने वाला माना जाता है यदि वे यानी राजनेता ही विवाहेत्तर संबंधों में लिप्त
हों तो उत्तर ढूंढना जरूरी हो जाता है। इससे पहले शशि थरूर और सुनन्दा पुष्कर का
प्रकरण सामने आया था जिसका दुखद अंत हुआ।
अपनी संदेहास्पद मृत्यु से ठीक दो दिन पहले ट्विटर पर अपने पति व केन्द्रीय
मानव संसाधन राज्यमंत्री शशि थरूर और पाकिस्तानी महिला पत्रकार मेहर तरार के प्रेम
प्रसंग को सार्वजनिक करने वाली सुनन्दा पुष्कर होटल लीला के कमरा नंबर 345 में संदिग्ध हालातों में मृत पाई गई। ट्विटर
पर सुनन्दा द्वारा की गई टिप्पणियों से स्पष्ट था कि वह थरूर और मेहर तरार के बीच
पैदा हुई नजदीकियों से बेहद आहत थी। मृत्यु से दो दिन पूर्व सुनन्दा ने ट्विटर पर
लिखा था कि ‘शशि थरूर बेवफा
हो गए हैं और उन्हें पाकिस्तानी महिला मेहर तरार से प्यार हो गया है।’
वर्ष 2010 में भी
केन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री होते हुए भी शशि थरूर के प्रेम संबंधों के चर्चे उस
समय सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने आईपीएल टीमों की नीलामी के समय केरला टीम में
सुनन्दा पुष्कर को मुफ्त में हिस्सेदारी दिलाई थी। उस समय शशि थरूर का नाम खुल कर
सुनन्दा पुष्कर से जुड़ा था। विवादों के बीच थरूर को मंत्री पद त्यागना पड़ा था,
लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने सुनन्दा से विवाह
कर उन तमाम खबरों को सच साबित कर दिया जिसमें उनके और सुनन्दा के बीच प्रेम प्रसंग
को प्रमुखता दी गई थी। थरूर ने सुनन्दा के साथ विवाह कर तीसरी बार दाम्पत्त्य जीवन
की शुरूआत की थी, जबकि इससे पहले
वह दो बार इस रिश्ते को निभाने में असफल रहे थे। किन्तु विवाह में परिवर्तित हुए
इस प्रेम संबंध का ऐसा अंत हुआ जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था।
चूंकि शशि थरूर का नाम प्रेम प्रसंगों के संदर्भ में प्रायः आता रहा था इसलिए
सुनंदा और फिर मेहर के साथ उनके नामों को लिए जाने में आश्चर्य कम और चटखारे अधिक
थे। किन्तु दिग्विजय सिंह की एक गंभीर किस्म के व्यक्ति की छवि रही अतः लोगो का
चैंकना स्वाभाविक था। 67 साल के दिग्विजय
सिंह की पत्नी आशा सिंह का पिछले साल कैंसर से निधन हो चुका है। वहीं 43 साल की अमृता राय के पति आनंद प्रधान आईआईएमसी
में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। दिग्विजय और अमृता के संबंधों का समाचार सामने आते ही
सबका ध्यान आनंद प्रधान की ओर गया कि एक पति होते हुए वे अपनी पत्नी के विवाहेत्तर
संबंध के बारे में क्या सोचते हैं? जल्दी ही आनंद
प्रधान ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर अपनी बात रखीं. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में
यह लिखा-‘‘एक बड़ी मुश्किल और तकलीफ
से गुजर रहा हूं। यह मेरे लिए परीक्षा की घडी है। मैं और अमृता लम्बे समय से अलग
रह रहे हैं और परस्पर सहमति से तलाक के लिए आवेदन किया हुआ है। एक कानूनी
प्रक्रिया है जो समय लेती है लेकिन हमारे बीच सम्बन्ध बहुत पहले से ही खत्म हो
चुके हैं। अलग होने के बाद से अमृता अपने भविष्य के जीवन के बारे में कोई भी फैसला
करने के लिए स्वतंत्र हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं। उन्हें भविष्य के जीवन के
लिए मेरी शुभकामनाएं हैं।’’
Cover Page India Inside June 2014 |
क्या यह सामाजिक नैतिकता का प्रश्न होने के साथ अपराध की श्रेणी में आता है?
भारतीय दण्ड संहिता में किसी विवाहित गैरतलाशुदा
स्त्री से शारीरिक संबंध रखा जाना अपराध की श्रेणी में आता है यदि इस संबंध में वह
स्त्री, उसका प्रेमी या उसका पति
कानूनी आधार पर आपत्ति करे। इसी तथ्य को आधार बना कर भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी
ने कहा था कि ‘‘गुप्त विवाह संभव
नहीं है। एक वकील के नाते मैं कह सकती हूं कि अभी तलाक नहीं हुआ है और मामला यौन
संबंधों का है।’’ मीनाक्षी लेखी ने
कहा था कि इस मामले में दिग्विजय सिंह को सजा भी हो सकती है और ऐसा करना उक्त
महिला पत्रकार के पति के अधिकार क्षेत्र में आता है। पति चाहे तो दग्विजय पर केस
कर सकते हैं।
विवाहेत्तर संबंधों के मामले में चाहे इसमें स्त्री की प्रवृत्ति हो या पुरुष
की प्रवृत्ति, यदि इस प्रेम
त्रिकोण में तीनों की सहमति हो तो क्या इसे कानूनी जामा पहनाए बिना भी वैधानिक
माना जा सकता है? यह एक बड़ा
प्रश्न है। एक ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर आमजन और रसूख वालों के लिए एक-सा होना
चाहिए। अन्यथा यह भी अन्य अपराधों की तरह ‘क्रीमीलेयर’ के लिए मान्य और
सामान्य तबके के लिए अमान्य समझा जाता रहेगा। यदि पति-पत्नी में परस्पर निर्वाह
संभव नहीं रह गया हो तो कानून भी तलाक लेने को गलत नहीं ठहराता है किन्तु तलाक
लेने से पूर्व किसी अन्य व्यक्ति को अपना पति या पत्नी मान और उससे दैहिक संबंध
बनाना किस हद तक उचित है? क्या समाज को इस
खुलेपन को सहज भाव से अपना लेना चाहिए या इसे ‘उच्चवर्गीय’ अधिकारों के रूप
में ही छोड़ देना चाहिए? दिग्विजय सिंह और
अमृता राय के परस्पर विवाहेत्तर संबंध के इस राजनीतिक एपीसोड के बाद इस तरह के कई
प्रश्न उठ खड़े हुए हैं जिनका उत्तर
समाजशास्त्रियों, कानूनविदों और
बुद्धिजीवियों को ढूंढना ही होगा।
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विचारपरक लेख...
ReplyDeleteआभार वाणभट्ट जी....
Deleteपूर्णतः अनुचित...एक विचारोत्तेजक आलेख...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश शर्मा जी ....
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन बच्चे और हम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteहार्दिक आभार ब्लॉग बुलेटिन का ....
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत धन्यवाद संजय भास्कर जी ....
Deleteबहुत ही सारगर्भित और विचारणीय विन्दु लिए आलेख
ReplyDeleteबहुत कुछ सोचना समझना होगा समाज के लिए
भ्रमर ५