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Wednesday, December 25, 2019

चर्चा प्लस ... शीतऋतु में गरमाता रहा पुस्तक प्रकाशन, पाठक और राॅयल्टी चिंतन - डाॅ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस ... शीतऋतु में गरमाता रहा पुस्तक प्रकाशन, पाठक और राॅयल्टी चिंतन
  - डाॅ. शरद सिंह
    21- 23 दिसंबर 2019 को ‘इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल’ हुआ मध्यप्रदेश की व्यावसायिक नगरी इन्दौर में। इस दौरान देश में माहौल रहा कैब के विरोध का। अनेक उड़ान स्थगित, अनेक ट्रेन रद्द। कहीं घना कोहरा, कहीं बादल, तो कहीं शीत लहर। किंतु साहित्य की दुनिया में दुनिया के चिंतन के साथ ही साहित्य की दिशा, दशा और भविष्य पर भी चिंता की गई। पुस्तकें प्रकाशन, पाठक, राॅयल्टी चिंतन और पाकिस्तान की हरक़तें ये सभी प्रश्न एक साथ उमड़ते-घुमड़ते रहे। यह पर्याप्त था वैचारिक शीत को गरमाने के लिए।     
भारतीय मूल के कनेडियन लेखक तारेक फतेह ने ‘‘पाकिस्तान: स्टेट स्पाॅन्सर आॅफ टेरोरिज़्म’ विषय पर बोलते हुए कहा कि ‘‘दिल्ली के लोदी रोड का नाम बदल देना चाहिए’’ तो मुद्दा आ सिमटा भारत के आंतरिक मामलों पर। इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल के संकल्पनाकार एवं माॅडरेटर प्रवीण शर्मा ने अपनी वाक्पटुता से उन्हें पुनः पाकिस्तान और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान से उनकी निकटता का स्मरण कराया। यह सत्र वाकई विचारोत्तेजक रहा। सत्र के बाद कुछ लोगों का यह सोचना भी वाज़िब था कि दूसरे देश की नागरिकता ले कर भारतीयों पर आक्षेप लगाना सरल है, बेहतर होता कि वे अपने देश भारत की नागरिकता ले कर यहीं रहते हुए यहां की परिस्थितियों से जूझते हुए अपनी उन सभी बातों पर अमल करते जो वे मंच से कह रहे थे। बहरहाल, इस आयोजन पर वर्तमान वातावरण का कुछ तो असर पड़ना ही था। लिहाज़ा नादिरा बब्बर, तरुण भटनागर आदि कुछ स्पीकरर्स नहीं आ सके किन्तु अप्रत्याशित रूप से तस्लीमा नसरीन का उपस्थित हा जाना सुखद किन्तु चैंका देने वाला रहा क्योंकि वे घोषित कार्यक्रम में शामिल नहीं थीं।
चर्चा प्लस ... शीतऋतु में गरमाता रहा पुस्तक प्रकाशन, पाठक और राॅयल्टी चिंतन - डाॅ. शरद सिंह
         हैलो हिन्दुस्तान द्वारा आयोजित इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 में बतौर स्पीकर मैंने भी दो सत्रों में साहित्य पर चर्चाएं की। मेरे प्रथम सत्र में साहित्यकार डाॅ आशुतोष दुबे ने मुझसे मेरे लेखन के बारे में विस्तृत चर्चा की। मेरे उपन्यासों एवं स्त्रीविमर्श लेखन के संदर्भ में उन्होंने बड़े महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए। जिनमें से एक प्रश्न था कि क्या साहित्य में फोटोग्राफिक यथार्थ होना चाहिए? मैं व्यक्तिगतरूप से यथार्थवादी लेखन की हिमायती हूं और यथार्थ मेरे साहित्य में मुखर रहता है। चूंकि यह साहित्य होता है अतः कल्पना और साहित्यिक शिल्प की सरसता तो इसमें स्वतः शामिल हो जाती है। इसी तारतम्य में डाॅ आशुतोष दुबे ने एक और मुद्दा उठाया कि हिन्दी में अकसर समीक्षकों द्वारा गढ़े गए फार्मेट पर खरे न उतर पाने का डर लेखक को बना रहता है जो लेखन को प्रभावित करता है। इस पर मैंने उत्तर दिया कि यह लेखक को स्वयं तय करना चाहिए कि वह अपने विषय के साथ न्याय करने के लिए और पाठकों के लिए लिख रहा है अथवा समीक्षकों के लिए। मैंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि समीक्षकों के डंडे डर के साए में कोई अच्छा साहित्य नहीं रच सकता है। लेखक में अपनी छूट लेने का हौसला होना चाहिए। चर्चा हुई मेरे उपन्यास ‘कस्बाई सिमोन’ के संदर्भ में लिव इन रिलेशन पर। इस पर मैंने वही कहा जो मेरे उपन्यास के केन्द्र में है कि लिव इन रिलेशन एक आग का दरिया है, जो तैरने का हौसला रखता हो वह तैरे, लेकिन उससे जुड़ी चैतरफा समस्याओं को ध्यान में रख कर। ऐसे संबंधों में सबसे अधिक नुकसान अगर किसी का होता है तो वह स्त्री का ही। फलां के साथ रह चुकी का टैग उसके नाम के साथ जुड़ जाता है जबकि उसका पुरुष साथी स्वतंत्र जीवन जीता है।    
मेरे दूसरे सत्र का संयुक्त विषय था-‘साहित्यकार पाठक संबंधों में सूखा क्यों? तथा हिन्दी में बेस्टसेलर मारीचिका’। इस दोनों मुद्दों पर महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुआ, जिसमें मेरे साथ शामिल थे वरिष्ठ कवि लीलाधर जगूड़ी, आशुतोष दुबे, नीलोत्पल मृणाल और निर्मला जी। इसी सत्र में हिन्दी साहित्य जगत में पुस्तकों और पाठकों का पारस्परिक संबंध और पुस्तकों की राॅयल्टी पर चर्चा हुई। युवा लेखक नीलोत्पल मृणाल का कहना था कि उन्हें राॅयल्टी की कोई समस्या नहीं है। वहीं, लीलाधर जगूड़ी और डाॅ आशुतोष दुबे ने माना कि हिन्दी जगत में राॅयल्टी की समस्या है, उस पर कविता की किताबों पर तो और भी अधिक समस्या है। निर्मला जी ने उस ओर संकेत किया कि हिन्दी में बेस्टसेलर के चयन का तरीका संदिग्ध है। मैंने भी अपने विचार सामने रखे कि यदि हिन्दी में भी जब नए कथानक और नए शिल्प ले कर उपन्यास सामने आते हैं तो पाठक उसे हाथों-हाथ लेते हैं। मैंने अपने नवीनतम उपन्यास के अनुभव को भी वहां सामने रखा कि सोशल मीडिया पर अपने नवीनतम उपन्यास ‘शिखण्डी...स्त्री देह से परे’ के बारे में जैसे ही पोस्ट डाॅली तो फेसबुक से इंस्टाग्राम और ट्विटर तक मुढसे ये प्रश्न किए जाने लगे कि इसे किसने प्रकाशित किया है? यह कहां मिलेगा? यह कब तक उपलब्ध हो जाएगा? क्या यह विश्व पुस्तक मेले में मिल जाएगा? यानी पाठक नए विषय और नए दृष्टिकोण के प्रति हमेशा जिज्ञासु रहते हैं। रहा पुस्तक के बेस्टसेलर की दौड़ का सवाल तो इस दौड़ में बुराई नहीं है बशर्ते हम अपने लेखन की मूलप्रवृत्ति को न गिरने दें। सोशल मीडिया के प्रभाव पर भी कई सत्रों में चर्चा हुई जिसमें अंग्रेजी के युवा लेखकों ने अपने विचार साझा किए और चिंता जताई।
एक प्रश्न जिस पर विचार होना चाहिए कि जब हम हिन्दी साहित्य की दशा का आकलन करते हैं तो किताबों की बिक्री और अंग्रेजी के भारतीय लेखकों की बेस्टसेलर की लिस्ट को ले कर बैठ जाते हैं, क्या ऐसा ही होना चाहिए? क्या हमें यह ध्यान नहीं रखना चाहिए कि हिन्दी में साहित्य का स्तर आज भी ज़मीन से अधिक जुड़ा हुआ है, भारतीय अंग्रेजी साहित्य की तुलना में। दूसरी सबसे बड़ी बात कि हिन्दी और अंग्रेजी के पाठकों का अंतर वहीं से शुरू हो जाता है जहां माता-पिता अपने बच्चों को हिन्दी स्कूल और अंग्रेजी स्कूल में भर्ती करने की अपनी आर्थिक क्षमता में बंट जाते हैं। हिन्दी स्कूल से पढ़ कर निकला पाठक आमतौर पर औसत आमदनी वाला होता है और वह कई बार अपनी साहित्य पढ़ने की भूख मांग कर मिटाने को विवश रहता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि जो किताब कम बिकी वह कम ही पढ़ी गई। हिन्दी साहित्य में अभी भी बिक्री और पाठकों का अनुपात बराबर का नहीं है। इसी का दूसरा पक्ष देखें तो जो बिकता है वह जरूरी नहीं है कि बेहतर ही हो। हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। बेशक़ यह मुद्दा भी लम्बी और गहन चर्चा का विषय है जिस पर एक अच्छा-खासा सेमिनार हो सकता है।  
बहरहाल हमेशा की तरह कुछ वरिष्ठजन, कुछ मित्रो और कुछ नए सहधर्मियों से मुलाकात हुई। वरिष्ठ कवि लीलाधर जगूड़ी, डॉ नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, डॉ शैलेंद्र कुमार शर्मा, श्रीमती निर्मला भुराड़िया, डॉ तेज प्रकाश व्यास आदि से मिलना सुखद रहा। जैसा कि हमेशा होता है कि ऐसे लिटरेचर फेस्टिवल कई ज्वलंत मुद्दे उठाते हैं, कई विचार दिमाग़ों में सुलगते हुए छोड़ जाते हैं जिनसे वैचारिक शीत की चादर धीरे-धीरे गरमाती रहती है।                  ---------------------------  
(दैनिक ‘सागर दिनकर’, 25.12. 2019)
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Thursday, December 19, 2019

इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 में डॉ शरद सिंह आमंत्रित

Raj Express, 19.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .
Dainik Bhaskar, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .
"इन्दौर मध्यप्रदेश में 21- 23 दिसंबर 2019 को आयोजित होने जा रहे ‘इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल-2019’ में हिन्दी साहित्य पर चर्चा के लिए सागर नगर की वरिष्ठ लेखिका एवं ‘पिछले पन्ने की औरतें’, ‘कस्बाई सिमोन’ आदि अपने उपन्यासों के लिए देश-विदेश में चर्चित कथाकार डॉ (सुश्री) शरद सिंह को स्पीकर के रूप में आमंत्रित किया गया है। जहां वे विभिन्न सत्रों में ‘हिन्दी उपन्यास: ज़मीनी वास्तविकता के कितने क़रीब’ तथा साहित्यकार पाठक संबंधों में सूखा क्यों?’ तथा ‘हिन्दी में बेस्टसेलर मारीचिका’ जैसे विषयों पर अपने विचार साझा करेंगी। 
      उल्लेखनीय है कि डॉ शरद अब तक चंडीगढ़, अजमेर, लखनऊ आदि लिटरेचर फेस्टिवल्स सहित दिल्ली में आयोजित ‘‘साहित्य आजतक’’ लिटरेचर फेस्टिवल में बतौर स्पीकर साहित्य पर महत्वपूर्ण चर्चाएं कर चुकी हैं।
       हैलो हिन्दुस्तान द्वारा इन्दौर में आयोजित इस प्रतिष्ठित तीन दिवसीय आयोजन में हिंदी साहित्य जगत की चर्चित हस्तियों सहित रस्किन बाण्ड, नादिरा बब्बर, प्रयाग शुक्ल, लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी जैसी देश-विदेश की साहित्य और संस्कृति से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की अनेक शख्सियतें शामिल होंगी।" - साभार मीडिया, 18-19.12.2019
Aacharan, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .

Dainik Jagaran, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .

Deshbandhu, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .

Navdunia, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .

Patrika, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .
Rashtriya Hindi Mail, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .

Sagar Dinkar, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .
Teen Batti News.com - 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .

Yuva Pravartak, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .
Swadesh Jyoti, 18.12.2019 - Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019 .
       
Dr (Miss) Sharad Singh as Speaker of Indore Literature Festival 2019