जब से मुझे पलाश सुरजन जी एवं सारिका ठाकुर जी द्वारा संपादित "मध्यप्रदेश के इतिहास में महिलाएं" ग्रंथ मिला है तब से मन बार-बार भावुक हो उठता है... क्योंकि इसमें मेरी मां डॉ. विद्यावती "मालविका" जी का भी विस्तृत परिचय दिया गया है ... इस तरह मध्य प्रदेश के इतिहास में अपनी मां का उल्लेख देखना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है ... साथ ही इस बात का बोध भी होता है कि मेरे साथ कितनी गरिमामय परंपरा जुड़ी हुई है... यह सोचकर भी गर्व होता है कि मैं उस की बेटी हूं जिसे अपना पूरा जीवन कठोर संघर्ष में व्यतीत करते हुए भी साहित्य की सतत सेवा की।
ग्रंथ में मां का जो परिचय शामिल किया गया है मेरी वर्षा दीदी के द्वारा अपने ब्लॉग में लिखे गए उस लेख का संपादित अंश है जो उन्होंने मां के निधन पर लिखा था... इसलिए यह ग्रंथ मेरे लिए हर तरह से अत्यंत महत्वपूर्ण और दिल के करीब है।
बेशक एक समीक्षक के तौर पर मैं इस ग्रंथ की तटस्थ समीक्षा कर चुकी हूं ... किंतु अब एक विदुषी मां डॉ. विद्यावती "मालविका" जी की बेटी और हिंदी ग़ज़ल की प्रतिष्ठित ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह की छोटी बहन होने के नाते आभार प्रकट करती हूं संपादकद्वय पलाश सुरजन जी एवं सारिका ठाकुर जी के प्रति... जिन्होंने स्वयं चयनित कर मेरी माता जी के योगदान को मध्य प्रदेश के इतिहास में शामिल किया 🙏
बस, यही सोचती हूं की मां को अभी और मेरे साथ होना चाहिए था तथा वर्षा दीदी को भी अभी और साहित्य सेवा करते हुए इस साहित्य जगत को और समृद्ध करना चाहिए था.... अभी तो मैं दीदी की उंगली पकड़ कर चलना सीख ही रही थी 😌... फिर भी मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि लोग उन दोनों के योगदान का गंभीरता से निरंतर स्मरण करते हैं ....😌🚩
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Palash Surjan
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Varsha Singh