Showing posts with label पुस्तक चर्चा. Show all posts
Showing posts with label पुस्तक चर्चा. Show all posts

Monday, June 16, 2025

"कविता के सरोकार" विषय पर संबोधन | मुख्य अतिथि डॉ (सुश्री) शरद सिंह | पुस्तक चर्चा


कल मैंने विवेकानंद अकादमी में पुस्तक परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में दीप प्रज्ज्वलित किया तथा "कविता के सरोकार" विषय पर अपना संबोधन दिया। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

Yesterday, as a chief guest I have lit the lamp and address on "the Concerns of poetry" in a book discussion at Vivekanand Academy.


#डॉसुश्रीशरदसिंह #drmisssharadsingh
#bookdiscussion #पुस्तकचर्चा 

Monday, January 23, 2023

पुस्तक चर्चा | मुख्य वक्ता | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

"हिंदी सिनेमा की स्त्री यात्रा - डाॅ. सुजाता मिश्र की यह पुस्तक वैचारिक आंदोलन का आग्रह करती और स्त्रीविमर्श का नया प्रतिमान गढ़ती हैं। डॉ सुजाता के पास अपनी एक मौलिक दृष्टि है। उन्होंने हिंदी सिनेमा में स्त्री की स्थिति को अपनी तार्किकता की कसौटी पर कसा है, फिर उसे लिखा है। इस पुस्तक को अवश्य पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि विचारों के बंद दरवाजे पर एक ज़ोरदार दस्तक है।" - मुख्य वक्ता के रूप में  डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने  यानी मैंने पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा।    
       अवसर था सिविल लाइंस स्थित होटल वरदान  के सभागार में श्यामलम् और अ.भा. महिला काव्य मंच के संयुक्त आयोजन में  डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वान डॉ.सुजाता मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक "हिंदी सिनेमा की स्त्री यात्रा" पर चर्चा का।
  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे सागर संभाग के कमिश्नर मुकेश शुक्ला जी, अध्यक्षता की डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में हिंदी एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.आनंदप्रकाश‌ त्रिपाठी जी ने तथा विशिष्ट अतिथि थीं डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान अध्यक्ष प्रो. चंदा बेन‌‌ जी। आयोजन का बेहतरीन संचालन किया स्वशासी महिला महाविद्यालय की प्राध्यापक एवं महिला काव्य मंच की अध्यक्ष डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी जी ने।
छायाचित्र सौजन्य : श्री मुकेश तिवारी एवं श्री माधवचंद्र चंदेल ... आप दोनों का हार्दिक आभार 🌷🙏🌷

#DrMissSharadSingh 
#डॉसुश्रीशरदसिंह #स्त्रीविमर्श #सिनेमा #स्त्री  #womandiscource #womanincinema

Saturday, February 19, 2022

अपनी जड़ों को पहचानने के लिए लोक संस्कृति को जानना जरूरी है - डॉ (सुश्री) शरद सिंह


"आज शादियों में डीजे संस्कृति के चलते हम विवाहोत्सव में  गाए जाने वाले संस्कार गीतों को भूलते जा रहे हैं जबकि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं। लोक से ही हम जन्मे हैं और लोक ही हमारी वास्तविक ज़मीन हैं जिसे जानना ज़रूरी है यानी अपनी जड़ों को पहचानने के लिए लोक संस्कृति को जानना जरूरी है और इस दिशा में लोक भाषा में लिखी हुई किताबें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।" मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह) अपने ये विचार व्यक्त किए स्थानीय कवि बिहारी सागर की काव्य कृति "बुंदेली मकुइया" के लोकार्पण के अवसर पर।


    📙पुस्तक लोकार्पण के पूर्व पाठक मंच की सागर इकाई द्वारा लेखक सूर्यकांत बाली के उपन्यास "दीर्घतमा" पर डॉ प्रदीप पाण्डेय द्वारा समीक्षा आलेख का वाचन किया गया। जिसकी अध्यक्षता कवयित्री श्रीमती कुसुम सुरभि ने की तथा अध्यक्षता की दामोदर अग्निहोत्री जी ने। पाठक मंच सागर के संयोजक श्री आर के तिवारी द्वारा आयोजित इस गोष्ठी का संचालन किया हरीसिंह ठाकुर जी ने तथा आभार प्रदर्शन किया मुकेश तिवारी जी ने। इसी आयोजन के अंतर्गत श्री उमाकांत मिश्र जी एवं श्यामलम संस्था के सहयोग से "बुंदेली मकुइया" काव्य संग्रह का लोकार्पण हुआ। श्यामलम संस्था की ओर से कवि बिहारी सागर को शॉल, श्रीफल और सम्मानपत्र से सम्मानित भी किया गया।


  🏛️जेजे इंस्टीट्यूट के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नगर के साहित्य मनीषी उपस्थित हुए।

#पाठकमंच #पुस्तकसमीक्षा #पुस्तकचर्चा #पुस्तकलोकार्पण #डॉसुश्रीशरदसिंह
#pathakmanch #bookrelease #DrMissSharadSingh #bundeli