- डॉ. शरद सिंह
3-जो वेश्याएं इस दलदल से निकलना चाहती हैं, उनके मुक्त होने के मनोबल का क्या होगा ?
4-जहां भी जिस्मफरोशी को वैधानिक दर्जा दिया गया वहां वेश्याओं का शोषण दूर हो गया ?
5- क्या वेश्यावृत्ति के कारण फैलने वाले एड्स जैसे जानलेवा रोग वेश्यावृत्ति को संरक्षण दे कर रोके जा सकते हैं ?
6- क्या इस प्रकार का संकेतक हम अपने शहर, गांव या कस्बे में देखना चाहेंगे?
7- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विष्व में लगभग 60 लाख बाल श्रमिक बंधक एवं बेगार प्रथा से जुड़े हुए है, लगभग 20 लाख वेश्यावृत्ति तथा पोर्नोग्राफी में हैं, 10 लाख से अधिक बालश्रमिक नशीले पदार्थों की तस्करी में हैं। सन् 2004-2005 में उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक आदि भारत में सेंटर फॉर एजुकेशन एण्ड कम्युनिकेशन द्वारा कराए गए अध्ययनों में यह तथ्य सामने आए कि आदिवासी क्षेत्रों तथा दलित परिवारों में से विशेष रूप से आर्थिकरूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को बंधक श्रमिक एवं बेगार श्रमिक के लिए चुना जाता है। नगरीय क्षेत्रों में भी आर्थिक रूप से विपन्न घरों के बच्चे बालश्रमिक बनने को विवश रहते हैं।
"भारतीय दंडविधान" 1860 से "वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक" 1956 तक सभी कानून सामान्यतया वेश्यालयों के कार्यव्यापार को संयत एवं नियंत्रित रखने तक ही प्रभावी रहे हैं। जिस्मफरोशी को कानूनी जामा पहनाए जाने की जोरदार वकालत करते हुए कांग्रेस सांसद प्रिया दत्त ने मंगलवार को कहा कि यौनकर्मी भी समाज का एक हिस्सा हैं और उनके अधिकारों की कतई अनदेखी नहीं की जा सकती।
प्रिया दत्त ने कहा कि जिस्मफरोशी को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए, ताकि यौनकर्मियों की आजीविका पर कोई असर नहीं पड़े। मैं इस बात की वकालत करती हूँ। उन्होंने कहा कि जिस्मफरोशी को दुनिया का सबसे पुराना पेशा कहा जाता है। यौनकर्मियों की समाज में एक पहचान है। हम उनके हकों की अनदेखी नहीं कर सकते। उन्हें समाज, पुलिस और कई बार मीडिया के शोषण का भी सामना करना पड़ता है। उत्तर-मध्य मुंबई की 44 वर्षीय कांग्रेस सांसद ने कमाठीपुरा का नाम लिए बगैर कहा कि देश की आर्थिक राजधानी के कुछ रेड लाइट क्षेत्रों में विकास के नाम पर बहुत सारे यौनकर्मियों को बेघर किया जा रहा है।
प्रिया दत्त की इस मांग पर कुछ प्रश्न उठते हैः-
1-क्या किसी भी सामाजिक बुराई को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए ?
2-क्या वेश्यावृत्ति उन्मूलन के प्रयासों को तिलांजलि दे दी जानी चाहिए ?
3-जो वेश्याएं इस दलदल से निकलना चाहती हैं, उनके मुक्त होने के मनोबल का क्या होगा ?
4-जहां भी जिस्मफरोशी को वैधानिक दर्जा दिया गया वहां वेश्याओं का शोषण दूर हो गया ?
5- क्या वेश्यावृत्ति के कारण फैलने वाले एड्स जैसे जानलेवा रोग वेश्यावृत्ति को संरक्षण दे कर रोके जा सकते हैं ?
6- क्या इस प्रकार का संकेतक हम अपने शहर, गांव या कस्बे में देखना चाहेंगे?

7- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विष्व में लगभग 60 लाख बाल श्रमिक बंधक एवं बेगार प्रथा से जुड़े हुए है, लगभग 20 लाख वेश्यावृत्ति तथा पोर्नोग्राफी में हैं, 10 लाख से अधिक बालश्रमिक नशीले पदार्थों की तस्करी में हैं। सन् 2004-2005 में उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक आदि भारत में सेंटर फॉर एजुकेशन एण्ड कम्युनिकेशन द्वारा कराए गए अध्ययनों में यह तथ्य सामने आए कि आदिवासी क्षेत्रों तथा दलित परिवारों में से विशेष रूप से आर्थिकरूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को बंधक श्रमिक एवं बेगार श्रमिक के लिए चुना जाता है। नगरीय क्षेत्रों में भी आर्थिक रूप से विपन्न घरों के बच्चे बालश्रमिक बनने को विवश रहते हैं।
वेश्यावृत्ति में झोंक दिए जाने वाले इन बच्चों पर इस तरह के कानून का क्या प्रभाव पड़ेगा ?