Showing posts with label गोविंदसिंह राजपूत. Show all posts
Showing posts with label गोविंदसिंह राजपूत. Show all posts

Thursday, September 17, 2020

विशेष लेख : सुरखी विधान सभा उपचुनाव उर्फ़ दूबरे और दो अषाढ़ - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह

दैनिक जागरण में प्रकाशित मेरा विशेष लेख "सुरखी विधान सभा उपचुनाव उर्फ़ दूबरे और दो अषाढ़" 🚩

❗हार्दिक आभार "दैनिक जागरण"🙏 

Dr (Miss) Sharad Singh


विशेष लेख :


सुरखी विधान सभा उपचुनाव उर्फ़ दूबरे और दो अषाढ़

 - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह 

             

          जैसे-जैसे सुरखी विधान सभा उपचुनाव की तारीख की घोषणा होने के दिन करीब आते जा रहे हैं वैसे-वैसे रोचकता बढ़ती जा रही है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की जुबान फिसल गई और वह बीजेपी  को ही कोस गए। राजपूत पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे। सागर जिले के सुरखी विधानसभा से विधायक रहे राजपूत ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। उन्हें आगामी समय में होने वाले उपचुनाव में सुरखी से बतौर बीजेपी उम्मीदवार चुनाव लड़ना है। इससे पहले उन्होंने यहां रामशिला पूजन यात्रा निकाली। इस यात्रा का सोमवार को समापन हुआ। सुरखी विधानसभा क्षेत्र के 300 गांवों में तेरह दिनों तक भ्रमण के बाद सोमवार को पहलवान बब्बा मंदिर, सागर में रामशिलाओं का पूजन हुआ। इसी के साथ रामशिला पूजन यात्रा का समापन हो गया। समापन अवसर पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए राजपूत बीजेपी के पक्ष में बोल रहे थे कि अचानक उनकी जुबान फिसल गई और बीजेपी के विरोध में बोल उठे। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुआ उसमें राजपूत कहते दिखाई दिए कि ‘‘इस समय पूरा मध्यप्रदेश राममय है, सुरखी राममय है, बीजेपी को नकली राम नाम का, भगवा झंडे को धारण करना पड़ रहा है...।’’ कांग्रेसियों ने राजपूत की इस चूक को आड़े हाथों लिया और उन्हें खूब ट्रोल किया।

Article of Dr (Miss) Sharad Singh in Dainik Jagaran, 17.09.2020
    
बुंदेली में एक कहावत है-दूबरे और दो अषाढ़। जिसका आशय है कि गोविंद सिंह राजपूत अपनी जुबान फिसलने से पहले ही फजीहत में फंस गए और उस पर कांग्रेस में दमदार नाम मिलने की सुगबुगाहट कमरों से निकल कर अब सड़कों तक आ गई है। जहां कल तक कांग्रेस के खेमे में अनिश्चितता की स्थिति थी वहां अब कई दमदार नाम उभर कर सामने आने लगे हैं। इसमें से दो नाम ऐसे हैं जो अभी तो कांग्रेस में नहीं हैं लेकिन उनमें से एक के भी कांग्रेस में शामिल होते ही सुरखी में गोविंद सिंह राजपूत के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी। भाजपा में असंतोष के स्वर उसी समय से तेज हो चुके हैं जब से गोविंद सिंह राजपूत भाजपा में आए और उन्हें सुरखी की कमान के साथ-साथ मंत्रीपद भी सौंपा गया। भाजपा के समर्पित कुछ नेताओं को यह नागवार गुज़रा और उन्होंने भाजपा की उन नीतियों पर उंगली उठानी शुरू कर दी जो उन्हें दोषपूर्ण लगीं। इनमें सबसे चर्चित रही वह फेसबुकपोस्ट जो सुरखी सीट से विधायक रह चुकी पारुल साहू ने पोस्ट की थी। अपने फेसबुक पेज पर पारुल साहू ने विभागों के बंटवारे में सिंधिया खेमें को महत्व दिए जाने पर तंज कसते हुए लिखा था कि ‘‘ये राजनीतिक दहेज प्रताड़ना कहीं तलाक का कारण ना बन जाए, मेरा शीर्ष नेतृत्व से निवेदन है कि जननायक मुख्यमंत्री शिवराज जी के प्रति आम जन में लगाव और सम्मान को इस तरह धूमिल नहीं किया जाये। उनके अनुभव, पार्टी के प्रति निष्ठा और कार्यकर्ताओं की भावना अनुरूप कोई भी निर्णय लेने के लिये आदरणीय मुख्यमंत्री जी को पूर्ण स्वतंत्रता दी जाए।’’ 

        बुंदेलखंड की महिलाओं पर प्रकाशित अपने एक लेख को जब मैंने अपनी फेसबुक वाॅल पर शेयर किया तो उस पर पारुल साहू ने जो टिप्पणी की थी, उसमें भी उनके रोष के संकेत स्पष्ट थे।  उन्होंने लिखा था कि ‘‘रानी लक्ष्मीबाई की कर्मभूमि में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी जीरो है एक भी महिला विधानसभा या लोकसभा में बुंदेलखंड से नहीं है।’’ पारुल साहू सागर की सुरखी सीट से विधायक रह चुकी हैं। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को चुनाव में हराया था। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पारुल साहू को टिकिट नहीं दिया था और गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सुरखी से चुनाव जीते थे। कहा जा रहा है कि पारुल साहू पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से भेंट कर चुकी हैं जिसके बाद उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा जोर पकड़ती जा रही है।  

         पारुल साहू के अलावा दूसरा नाम पूर्व मंडी अध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर का भी सामने आ रहा है। यह भी एक दमदार नाम है। यदि राजेंद्र सिंह मोकलपुर कांग्रेस में जाते हैं तो भाजपा को सुरखी में जीत के लिए जम कर पापड़ बेलने पड़ेंगे क्योंकि उनके पास भी व्यापक जनाधार है। यह तो कुछ दिन बाद ही स्पष्ट होगा कि ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है लेकिन यह तो तय है कि गोविंद सिंह राजपूत के लिए चुनावी डगर आसान नहीं है। प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरने वाली चुनौतियों को साधने के साथ ही उन्हें अपने उद्गार पर भी ध्यान देना होगा वरना उनका दांव उन्हीं पर उल्टा पड़ सकता है। बहरहाल, सुरखी विधान सभा क्षेत्र में इन दिनों चुनावी रोचकता बढ़ती जा रही है।   

                         --------------------- 

(दैनिक जागरण में 17.09.2020 को प्रकाशित)
#शरदसिंह #DrSharadSingh #miss_sharad #DainikJagaran
#postforawareness #भाजपा #कांग्रेस #सुरखी_विधान_सभा_क्षेत्र
#गोविंदसिंहराजपूत #पारुलसाहू #राजेंद्रसिंहमोकलपुर #उपचुनाव #सागर #रोचक #SurkhiMiniPole #govindsinghrajput #parulsahu #rajendrasinghmokalpur #BJPMP #congress