Dr (Miss) Sharad Singh |
विशेष लेख :
सुरखी विधान सभा उपचुनाव उर्फ़ दूबरे और दो अषाढ़
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
जैसे-जैसे सुरखी विधान सभा उपचुनाव की तारीख की घोषणा होने के दिन करीब आते जा रहे हैं वैसे-वैसे रोचकता बढ़ती जा रही है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की जुबान फिसल गई और वह बीजेपी को ही कोस गए। राजपूत पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे। सागर जिले के सुरखी विधानसभा से विधायक रहे राजपूत ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। उन्हें आगामी समय में होने वाले उपचुनाव में सुरखी से बतौर बीजेपी उम्मीदवार चुनाव लड़ना है। इससे पहले उन्होंने यहां रामशिला पूजन यात्रा निकाली। इस यात्रा का सोमवार को समापन हुआ। सुरखी विधानसभा क्षेत्र के 300 गांवों में तेरह दिनों तक भ्रमण के बाद सोमवार को पहलवान बब्बा मंदिर, सागर में रामशिलाओं का पूजन हुआ। इसी के साथ रामशिला पूजन यात्रा का समापन हो गया। समापन अवसर पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए राजपूत बीजेपी के पक्ष में बोल रहे थे कि अचानक उनकी जुबान फिसल गई और बीजेपी के विरोध में बोल उठे। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुआ उसमें राजपूत कहते दिखाई दिए कि ‘‘इस समय पूरा मध्यप्रदेश राममय है, सुरखी राममय है, बीजेपी को नकली राम नाम का, भगवा झंडे को धारण करना पड़ रहा है...।’’ कांग्रेसियों ने राजपूत की इस चूक को आड़े हाथों लिया और उन्हें खूब ट्रोल किया।
Article of Dr (Miss) Sharad Singh in Dainik Jagaran, 17.09.2020 |
बुंदेलखंड की महिलाओं पर प्रकाशित अपने एक लेख को जब मैंने अपनी फेसबुक वाॅल पर शेयर किया तो उस पर पारुल साहू ने जो टिप्पणी की थी, उसमें भी उनके रोष के संकेत स्पष्ट थे। उन्होंने लिखा था कि ‘‘रानी लक्ष्मीबाई की कर्मभूमि में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी जीरो है एक भी महिला विधानसभा या लोकसभा में बुंदेलखंड से नहीं है।’’ पारुल साहू सागर की सुरखी सीट से विधायक रह चुकी हैं। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को चुनाव में हराया था। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पारुल साहू को टिकिट नहीं दिया था और गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सुरखी से चुनाव जीते थे। कहा जा रहा है कि पारुल साहू पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से भेंट कर चुकी हैं जिसके बाद उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा जोर पकड़ती जा रही है।
पारुल साहू के अलावा दूसरा नाम पूर्व मंडी अध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर का भी सामने आ रहा है। यह भी एक दमदार नाम है। यदि राजेंद्र सिंह मोकलपुर कांग्रेस में जाते हैं तो भाजपा को सुरखी में जीत के लिए जम कर पापड़ बेलने पड़ेंगे क्योंकि उनके पास भी व्यापक जनाधार है। यह तो कुछ दिन बाद ही स्पष्ट होगा कि ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है लेकिन यह तो तय है कि गोविंद सिंह राजपूत के लिए चुनावी डगर आसान नहीं है। प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरने वाली चुनौतियों को साधने के साथ ही उन्हें अपने उद्गार पर भी ध्यान देना होगा वरना उनका दांव उन्हीं पर उल्टा पड़ सकता है। बहरहाल, सुरखी विधान सभा क्षेत्र में इन दिनों चुनावी रोचकता बढ़ती जा रही है।
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(दैनिक जागरण में 17.09.2020 को प्रकाशित)
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बहुत बहुत बधाई एक अच्छे आलेख हेतु
ReplyDeleteराजनीति के महासागर पर आपकी अच्छी पकड़ है
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं!
बुंदेलखंड क्षेत्र की राजनीति पर आपकी ख़ासी पकड़ है शरद जी । बुंदेलखंड तथा मध्यप्रदेश की राजनीति में रुचि लेने वालों के लिए आपका यह लेख अत्यंत उपयोगी है ।
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