Thursday, March 25, 2021

चर्चा प्लस | इस कोरोना काल में होली का त्योहार, बनाएं यादगार | डाॅ. शरद सिंह

चर्चा प्लस   
 इस कोरोना काल में होली का त्योहार, बनाएं यादगार
     - डाॅ. शरद सिंह
        हमने हमेशा होलिका दहन किया है, हमने हमेशा एक-दूसरे के गालों पर गुलाल मला है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा। तो क्या कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के कारण इस बार होली फीकी रहेगी ? हरगिज़ नहीं, अगर हम चाहें तो अपनी इस बार की होली का पूरा आनन्द ले सकते हैं और इसे यादगार भी बना सकते हैं। यह कैसे संभव है? तो आइएआज का ‘चर्चा प्लस’ है इसी मुद्दे पर।
एक व्यक्ति हमेशा टूर पर दूसरे शहरों में जाता था। टूर पर जाने के लिए वह आॅनलाईन बुकिंग कराता। जाने का दिन और गाड़ी तय, लौटने का दिन और गाड़ी तय। हमेशा यही रूटीन। इसमें कुछ भी विशेष नहीं। लेकिन एक बार वह टूर पर बाहर गया और जब लौटने का समय आया तो पता चला कि किसी कारण से उसकी ट्रेन कैंसिल हो गई है। टिकट का पैसा तो आॅनलाईन रिफंड हो जाना था लेकिन समस्या थी वापस घर पहुंचने की। उसने प्राईवेट टैक्सी बुक की और टैक्सी पर सवार हो कर घर लौट पड़ा। दुर्योग से बीच रास्ते में टैक्सी में कुछ ख़राबी आ गई। कई घंटे भूखे-प्यासे रहते हुए सड़क के किनारे गुज़ारने पड़े। जैसे-तैसे टैक्सी में आई ख़राबी दूर हुई और वह व्यक्ति फिर चल पड़ा अपने घर की ओर। इस बीच उसके मोबाईल का चार्ज भी ख़त्म हो गया था। घरवालों से बात किए बिना घंटों गुज़र गए थे। उसे पता था कि उसके घरवाले उसकी चिन्ता में व्याकुल हो रहे होंगे। ड्राईवर के फ़ोन से घरवालों से बात करने का प्रयास किया तो नेटवर्क ने साथ नहीं दिया। तमाम विपरीत परिस्थितियों से जूझता हुआ अंततः वह अपने घर पहुंचा। उसके सकुशल घर पहुंचने पर उसके घर वाले खुश और वह भी खुश। जैसे खुशी की घटना हमेशा चर्चा का विषय बनी रहती है ठीक वैसे ही दुख और कष्ट की घटना भी हमेशा चर्चा का विषय बन कर रोचकता का कारण बना रहती है। वह व्यक्ति आज भी अपनी उस कष्टप्रद यात्रा के बारे में हंस-हंस कर चर्चा किया करता है। सभी रुचिपूर्वक उसके अनुभव भरे उसके संस्मरण सुना करते हैं। यही तो मंत्र होता है विपरीत परिस्थितियों पर विजय हासित करने का और उन्हें अपने अनुकूल ढाल कर यादगार बना लेने का।

इस बार होली का त्योहार आने के पहले ही कोरोना संक्रमण ने फिर अपने पांव पसारने शुरु कर दिए हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी होली का त्योहार ऐसे समय में आ रहा है जब एक बार फिर से कोरोना वायरस महामारी का खतरा बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में एक बार फिर सवाल उठने लगा है कि क्या इस बार भी पहले की तरह होली का त्योहार फीका चला जाएगा? होली खेलने की दृष्टि से परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। इसलिए जरूरी है कि अपने घर में परिवार के साथ ही होली मनाई जाए। टोलियों में और दूसरों के घर जाकर इस बार होली न खेंले। इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। अक्सर होली में रंग लगाने में लोगों का हाथ, मुंह, आंख सभी संपर्क में आते हैं, इस बार इससे बचना होगा। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण पाने के लिए भारत सरकार की ओर से जारी निर्देश का पालन किया जाना अनिवार्य है। सार्वजनिक स्थानों पर सामूहिक होली मिलन समारोह प्रतिबंधित रहेगा। सार्वजनिक होलिका दहन कार्यक्रम नहीं होगा। हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी है। सैनिटाइजर का उपयोग करना अनिवार्य है। निज-निवास में होली मिलन में सम्मिलित होने वाले व्यक्तियों की थर्मल स्क्रीनिंग जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो आयोजनकर्ता और कार्यक्रम के अहम लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए होली अपने परिवार के साथ घर पर ही मनाना है और सैनिटाइजर का उपयोग करते हुए हर्बल कलर का प्रयोग करना है।

मध्यप्रदेश में ही विगत 7 दिनों के औसत के अनुसार, प्रदेश में प्रतिदिन औसत 1019 पॉजिटिव मामले आ रहे हों तो सतर्कता बरतनी जरूरी है। मध्यप्रदेश में कोरोना के मामले में लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में सरकार सख्ती के साथ-साथ लोगों को जागरूक भी कर रही है। रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर कहा है कि महामारी की रोकथाम के लिए लॉकडाउन को छोड़कर दूसरे उपाय करने होंगे। इसलिए होली के चल समारोह और मेला प्रतिबंधित रहेंगे। मध्य प्रदेश सरकार ने दो दिन पहले कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए होली के त्यौहार को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार, होली, रंगपंचमी पर न सामूहिक भागीदारी के कार्यक्रम होंगे और न जुलूस निकाला जा सकेगा। होली पर सार्वजनिक कार्यक्रमों को अनुमति नहीं दी जाएगी। कोरोना की नई गाइडलाइन के मुताबिक, होली, रंगपंचमी पर सामूहिक भागीदारी के कार्यक्रम नहीं होंगे। खुले स्थान पर होने वाले बड़े कार्यक्रम भी नहीं होंगे। हालांकि व्यक्तिगत कार्यक्रमों को कहीं नहीं रोका जाएगा। होली के रंग खेलने वाले सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे लोगों को अपने घरों में ही होली के रंग खेलनी पड़ेगी। यह तय किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना की गाइडलाइन का पालन करता हुआ नहीं पाया जाएगा तो फिर उसके खिलाफ चालानी कार्रवाई की जाएगी।
तो ऐसी परिस्थियों से घबराना कैसा? क्यों न इस बार की होली को ऐसी यादगार बनाई जाए कि इस कोरोना संकट के गुज़रने के बाद हम सभी हंस-हंस के अपने अनूठे अनुभवों को आपस में साझा करते रहे। और आगे चल कर अपने नाती-पोतों को भी मज़े लेते हुए किस्से सुना सकें कि जब एक बार कोरोना आपदा में होली का त्योहार पड़ा तो हमने इस तरह होली मनाई थी। वैसे भी हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह रंगों का पर्व है। होली आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का त्योहार है। यह आपसी भाईचारा को दर्शाता है। पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है। उसकी अगली सुबह यानी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को रंग वाली होली खेली जाती है। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि इस साल होली के पर्व पर 500 साल बाद एक अदभुत संयोग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि भी पड़ रही है। साथ ही इसी दिन ध्रुव योग का भी निर्माण भी हो रहा है।  इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ ही अमृतसिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। अर्थात इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग के साथ- साथ अमृतसिद्धियोग में मनाई जायेगी। ऐसा दुर्लभ योग 500 साल बाद बन रहा है। इसके पहले यह दुर्लभ योग 03 मार्च 1521 को पड़ा था। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होली 29 मार्च 2021 को मनाई जायेगी, इस दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि भी पड़ रही है। साथ ही इसी दिन ध्रुव योग का भी निर्माण भी हो रहा है।  इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ ही अमृतसिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। अर्थात इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग के साथ- साथ अमृतसिद्धियोग में मनाई जायेगी। ऐसा दुर्लभ योग 500 साल बाद बन रहा है। इसके पहले यह दुर्लभ योग 03 मार्च 1521 को पड़ा था। 

तो चलिए तय किया जाए कि इस बार हम कैसे होली मनाएं यह दुर्लभ संयोग वाली होली यादगार बन जाए। हमारे पास आपसी संपर्क का सबसे अच्छे साधन के रूप में सोशल मीडिया तो है ही। तो हम सोशल मीडिया पर हंसी-खुशी के सकारात्मक, उत्साहवर्द्धक संदेश, चित्र, मीम आदि एक-दूसरे को भेज सकते हैं। यदि चाहें तो अच्छी क्वालिटी की डिब्बाबंद मिठाइयां होमडिलीवरी के द्वारा परस्पर भिजवा सकते हैं। सबसे अच्छा है कि परिवार के सभी लोग मिल कर कुछ अच्छा-अच्छा पकाएं और साथ बैठ कर उसे खाने का आनंद उठाएं। होली का सही माने में मजा लेना है तो स्वाद और सेहत दोनों को ध्यान में रखते हुए होली के व्यंजन घर पर ही बनाएं। होली पर घर में बनी ठंडाई, शरबत, गुझिया, कांजी वडा, पापड़ खाएं और इस त्योहार का मजा उठाएं। अगर आप अपने बढ़ते वजन को ले कर परेशान हैं लेकिन साथ ही होली का मजा भी लेना चाहते हैं तो हर चीज खाएं लेकिन सीमित मात्रा में। 

विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत यह भी है कि जो रंग या गुलाल ज्यादा चमकदार होते हैं उनमें ज्यादा कैमिकल मौजूद होते हैं। इसलिए ऐसे रंगों से बचें। क्योंकि रंगों व गुलाल को चमकीला बनाने के लिए उन में घटिया अरारोट या अबरक पीस कर मिला दिया जाता है। बाज़ार में घटिया क्वालिटी के जो रंग बेचे जाते हैं वे ज्यादातर औक्सीडाइज्ड मैटल होते हैं। हरा रंग कौपर सल्फेट, काला रंग लेड औक्साइड से तैयार किया जाता है। ये रंग बहुत ही खतरनाक होते हैं। आंखों को हरे रंग से बचाना बहुत ही जरूरी है। बेहतर यही है कि हर्बल रंगों से होली का आनंद लें। परिवार में एक-दूसरे को हर्बल गुलाल लगाएं। यह शर्तिया कहा जा सकता है कि कोरोना आपदा समाप्त होने के बाद हम अपनी इस होली को एक खास संस्मरण की तरह एक-दूसरे को सुनाएंगे और मजे लेंगे। आखिर होली यादगार होगी तभी तो याद रहेगी वर्षों तक। याद रखें इस बार की होली एक सेहतमंद होली हो। एक शानदार और एक यादगार होली।     
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  (दैनिक सागर दिनकर 25 .03 .2021 को प्रकाशित)
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Wednesday, March 17, 2021

चर्चा प्लस | भावनाओं की मछली और इंटरनेट के मछुवारे | डाॅ. शरद सिंह

चर्चा प्लस 
भावनाओं की मछली और इंटरनेट के मछुआरे 
- डाॅ. शरद सिंह
        यदि दुनिया में ‘पाप’ की कोई अवधारणा है तो सबसे बड़ा पाप है - किसी की भावनाओं से खेलना। इंटरनेट की दुनिया में ऐसे पापियों की कोई कमी नहीं है जो दूसरों की भावनाओं को हथियार बना कर उन्हीं पर वार करते हैं। इंटरनेट की आभासीय दुनिया में सच और झूठ के बीच फ़र्क़ करना बहुत कठिन है। प्रेम और विश्वास के नाम पर छलावा इंटरनेट पर हमेशा सबसे ऊपर ट्रेंड करता रहता है।
कोरोना वायरस आपदा से जब दुनिया अचानक थम-सी गई तो इंटरनेट की दुनिया ने लोगों के बीच की पारस्परिक दूरियों को मिटाया। उन्हें एक-दूसरे से जुड़े रहने में मदद की। लेकिन इंटरनेट ने जीवन को जितना सुविधाजनक बनाया है, इस इंटरनेट से उतने ही ख़तरे बढ़े हैं। आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने वाले लोगों ने इसका इसका प्रयोग अपराध के हथियार के रूप में करने से बाज नहीं आते हैं। भारत इससे अछूता नहीं है। एक मां सोचती रही कि उसका लाड़ला बेटा घंटों अपने कमरे में बैठा पढ़ाई करता रहता है। उसने अपने पढ़ाकू बेटे के खाने-पीने का पूरा ध्यान रखा। ‘‘मुझे डिस्टर्ब मत करो’’ जैसी झिड़कियां भी झेला। मगर जब भयावह सच्चाई सामने आई तो मां स्तब्ध रह गई। वह अपने जिस बेटे को पढ़ाकू समझती थी। जिसके लिए वह गवर्् से कहती फिरती थी कि मेरा बेटा दिन-रात पढ़ाई में जुटा रहता है, वही बेटा इंटरनेट जुआरी और शराबी निकला।  घटना छत्तीसगढ़ की है। वैसे इस तरह की घटना किसी भी राज्य, किसी भी जिले की हो सकती है। रायगढ़ में 17 साल के एक लड़के ने ऑनलाइन गेम के चक्कर में फंसकर 75 हजार रुपये का कर्ज़ ले लिया और इसी के चलते उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। उसने अपने दोस्त से ‘फ्री फायर’ गेम में गन के अपडेट और बाकी फीचर्स खरीदने के लिए पैसे लिए थे और जिसे वह लौटा नहीं पाया। इससे नाराज होकर उसके दोस्त ने उसे शराब पिलाकर उसका गला काट दिया। इंटरनेट पर ‘पब्जी’, ‘ब्लूव्हेल’ और ‘मोमो’ जैसे आत्मघाती गेमिंग ने कुछ साल पहले ही चेतावनी दे दी थी कि इस तरह के गेम एक नशे की तरह होते हैं और खेलने वाले के मन में चुनौती का जुनून जगा कर उन्हें आत्महत्या या हत्या करने तक को विवश कर देते हैं। युवाओं के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन कर सामने आई है इस तरह की गेमिंग।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा के मुताबिक वर्ष 2017 में 21796 मामले आए, वर्ष 2018 में 27248 मामले आए और वर्ष 2019 में 44546 मामले सामने आए। आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि प्रति वर्ष साइबर क्राइम में वृद्धि होती जा रहा है। सरकार ने इनसे निपटने के लिए साइबर पुलिस स्टेशन, सूचना प्रौद्यिगिकी अधिनियम 2000 में साइबर क्राइम को खत्म करने के लिए कई प्रावाधान जोड़े हैं। लेकिन हमेशा की तरह सिर्फ़ कानून बन जाने से सबकुछ नहीं हो जाता है। महज़ सावधानी ही है जो किसी भी अपराधी से बचाए रखती है। इंटरनेट की दुनिया में अपराध का कोई एक चेहरा नहीं है। किसी भी उम्र, किसी भी लिंग का व्यक्ति इसका शिकार बन सकता है।  
एक युवती सोशल मीडिया एक युवक से दोस्ती कर बैठी। दोनों को परस्पर प्रेम हो गया। युवक ने मीठी और अपनेपन की बातों से लड़की का विश्वास जीता और उसे उकसा कर उसकी कुछ न्यूड फोटो हासिल कर लीं। इसके बाद ही युवती के उस कथित प्रेमी ने अपना असली चेहरा दिखा दिया। उसने युवती को धमकी दी कि अगर वह पैसे नहीं देगी तो तो वह उन न्यूड फोटो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर देगा। युवती घबरा गई। आरोपी युवती को लगातार ब्लैकमेल करता रहा और रुपए ऐंठता रहा। उसने लगभग ढाई लाख रुपए ऐंठ लिए। उसके बाद जब युवती ने रुपए दे पाने में असमर्थता जताई तो उस युवक ने कुछ आपत्तिजनक काम कर के रुपए जुटाने के लिए दबाव डाला। जिसके लिए युवती तैयार नहीं हुई और उसने साहस का परिचय देते हुए पुलिस में इसकी शिकायत कर दी। पुलिस ने साईबर क्राईम शाखा की मदद से आरोपी को धर दबोचा। आरोपी को उसके किए की सज़ा तो जरूर मिलेगी लेकिन युवती के विश्वास और सम्मान को जो ठेस पहुंची, उससे उबर पाना उस युवती के लिए बहुत कठिन साबित होगा। लेकिन उसे यह सीख अवश्य मिल गई कि इंटरनेट पर सबकुछ अच्छा या सबकुछ सुरक्षित नहीं होता है। इंटरनेट पर अनेक फ्रेंडशिप साईट्स हैं जहां अपराधियों फ़र्ज़ी परिचय, फ़र्ज़ी तस्वीरें लगा कर अकाउंट खोल लिए जाते हैं। उनके निशाने पर युवक, युवती, बच्चे, बूढ़े सभी होते हैं। इन सबके साथ तरीका एक ही अपनाया जाता है- भावनाओं को भड़का कर अपने प्रभाव में ले लेना और अपने अनुसार चलने को उन्हें विवश करना। बच्चों को गेमिंग के लिए, युवक-युवतियों को प्रेम के नाम पर और बड़े उम्र के व्यक्तियों को उनके एकाकीपन में भावनात्मक सहारा देने का ढोंग कर के उनके साथ छल किया जाता है।  

जहां तक भावनाओं को भड़का कर छल करने का अपराध है तो अभी पिछले दिनों इसी प्रकार की घटना सामने आई जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डाल दिया। इस घटना में एक पाकिस्तानी महिला एजेंट के हनीट्रैप में भारतीय सेना का एक जवान फंस गया। वह महिला एजेंट वीडियो कॉल पर न्यूड होकर उस जवान से अश्लील बातें किया करती थी। साईबर सुरक्षा के सामने यह तथ्य आने पर उस जवान को सेना की खुफिया जानकारी विदेशी मुल्क को देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अब इस बात की जांच की जा रही है कि उस महिला ने उस जवान से कहीं कोई खुफ़िया बातें तो नहीं जान ली हैं। जाहिर है कि वह पाकिस्तानी महिला ऐजेंट ने सेना के जवान की कमजोर मनोवृत्ति का फ़ायदा उठाया।

इंटरनेट पर सोशल मीडिया तो भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का गढ़ बना हुआ है। जिसके कारण कई बार माहौल गरमाने लगता है और पुलिस व्यवस्था को यथार्थ के बदले आभासीय दुनिया से उपजे खतरों के पीछे दौड़ना पड़ता है। महिलाओं और उसमें भी विशेषरूप से स्कूल-काॅलेज जाने वाली लड़कियों को इससे विशेष खतरा रहता है। बदनीयत लड़के पहले मित्र बनते हैं फिर अवसर पाते ही विशेष ऐंगल से ली गई सेल्फी या फिर मित्रता प्रेम में बदल चुकी हो तो भावुक पलों का मोबाईल-वीडियो बना लेते हैं और फिर उसे इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी दे कर लड़की को ब्लैकमेल करते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसे अपराध पहले नहीं होते थे। लेकिन एक पीढ़ी पहले तक ऐसे अपराधों को उंगलियों पर गिना जा सकता था। तब लड़की द्वारा लिखे गए प्रेमपत्र बदनीयत लड़कों के हथियार होते थे लेकिन वह उन्हें लड़की के माता-पिता या रिश्तेदारों तक ही भेजने की क्षमता रखता था। लेकिन आज एक अपलोड लड़की की गोपनीयता को पल भर में पूरी दुनिया के सामने सार्वजनिक कर सकता है। यह अपराध भावनाओं के साथ किया गया ऐसा अपराध है जो हत्या से भी अधिक जघन्य है। सिर्फ लड़की नहीं वरन किसी सभ्रांत पुरुष या लड़के की आपत्तिजनक तस्वीरें या वीडियो इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी दे कर उसका जीना हराम करने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। यहां तक कि कभी कोई प्रोफेसर इस अपराध की चपेट में आता है तो कभी कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता।

आज का युग कम्प्यूटर, मोबाईल और इंटरनेट का युग है। इंटरनेट की मदद के बिना किसी बड़े काम की कल्पना करना भी मुश्किल है। ऐसे में अपराधी भी तकनीक के सहारे हाईटेक हो रहे हैं। वे अपराध करने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज और वल्र्ड वाइड वेब आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑनलाइन ठगी या चोरी भी इसी श्रेणी का अहम अपराध होता है। किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना ये सभी तरीके साइबर क्राइम की श्रेणी में आते हैं। साइबर क्राइम दुनिया भर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां के लिए परेशानी का कारण साबित हो रहा है। लेकिन कंप्यूटर, इंटरनेट और मोबाईल का प्रयोग करने वालों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि कहीं उनसे भी जाने-अनजाने में कोई साइबर क्राइम तो नहीं हो रहा है। जहां तक संभव हो आपत्तिजनक संदेशों को फार्वर्ड करने से बचने में ही भलाई है। साथ ही, संदिग्ध-संवेदनशील संदेशों को कुछ पल ठहर कर परखना जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि जाने-अनजाने हम अपनी भावुकता के हाथों ही ठगे जाएं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सोशल मीडिया के अपराधी दूसरों के दिमाग पर कब्जा कर के अपने अपराधों को अंजाम देते हैं। इसी लिए सतर्क रहते हुए सोशल मीडिया में मौजूद अपराधियों से अपनी संवेदनाओं और भावनाओं को बचाए रखना जरूरी है। वरना हर साईबर अपराधी ऐसा मछुआरा के जिसके लिए हर इंटरनेट सर्फर जाल में फंसाने योग्य एक मछली है।
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(दैनिक सागर दिनकर 17.03.2021 को प्रकाशित)
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Monday, March 15, 2021

पेंटिंग्स वर्कशॉप | विज्ञान में रंग | डॉ शरद सिंह

प्रिय ब्लॉग साथियों,  पेंटिंग्स का मुझे बहुत शौक़ है। मेरा एक पेंटिंग्स ब्लॉग भी है-  
और फेसबुक पेज भी...
यह सच है कि लेखन और सामाजिक संपर्क कार्यों के कारण यह शौक़ ज़रा पीछे रह गया है। फिर भी जब भी किसी पेंटिंग एक्जीबिशन या वर्कशॉप में जाने का अवसर मिलता है मैं ज़रूर जाती हूं।
         मेरी और मेरी दीदी डॉ वर्षा सिंह का बचपन से ही पेंटिंग में रुचि रही है। बचपन में हम दोनों ऑक्साईड कलर और पेस्टल कलर्स से काग़ज़ पर पेंटिंग किया करती थीं। फिर काग़ज़ के अलावा कैनवास, कांच, लकड़ी और कपड़े पर भी पेंटिंग्स की। लोक और समकालीन दोनों विधाएं पसंद हैं। 
     अभी हाल ही में शहर के 'रंग के साथी' ग्रुप के असरार अहमद और अंशिता वर्मा ने एक पेंटिंग वर्कशॉप किया जिसकी थीम थी 'विज्ञान में रंग'। हम दोनों बहनों ने वर्कशॉप देखा। वर्षा दीदी ने पेंटिंग्स की कला समीक्षा भी की जो 'आचरण' समाचारपत्र में प्रकाशित हुई है।
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Sunday, March 14, 2021

भोपाल के रवीन्द्र भवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महोत्सव में डाॅ (सुश्री) शरद सिंह द्वारा कहानी पाठ

 

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021 

प्रदेश की राजधानी भोपाल के रवीन्द्र भवन में महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 09 मार्च'21 को "साहित्य और समाज में स्त्री-स्वर" विषय पर आयोजित कार्यक्रम के अंतर्गत मेरे द्वारा कहानी पाठ किया गया।

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

हमारा भारतीय समाज अनेक विडम्बनाओं से घिरा हुआ है। जब कोई स्त्री संतान के रूप में बालिका को जन्म देती है तो अनेक घरों में आज भी उसे दोषी ठहराया जाता है। उस पर यदि तीन बेटियां हो जाएं तो उस स्त्री पर दबाव और अधिक बढ़ जाता है। कई घटनाओं में उसके ससुरालजन ही नहीं वरन् उसका पति भी उसे ठुकरा देता है या फिर उसकी उपेक्षा करने लगता है। मेरी कहानी में भी एक ऐसी ही स्त्री है जो तीन बेटियों की मां है और अपने पति के उपेक्षा की शिकार है। उसकी इस दशा का फ़ायदा उठाने की नीयत से एक लम्पट पुरुष उसके समीप पहुंचने का प्रयास करता है। यहीं से शुरू होती है उस स्त्री के अंतर्द्वद्व और निर्णय की कथा।

स्त्री सरोकार की मेरी इस कहानी में स्त्री के स्वाभिमान एवं आत्मसम्मान का केन्द्रीय भाव था कि एक लाचार-सी दिखने वाली अपढ़ महिला किस तरह किस तरह एक लम्पट पुरुष को अपनी मज़बूरी का फ़ायदा उठाने से रोक सकती है। - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021





Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021

Dr (Miss) Sharad Singh Storytelling  at Ravindra Bhavan, Bhopal on International Woman's Day Celebrated by Woman & Child Walfare Diptt. MP, 08 March 2021


#HappyInternationalWomenDay #ChooseToChallenge #IWD2021

Saturday, March 13, 2021

महिलाएं अपने मन की आवाज़ सुनें - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021

 

Dr (Miss) Sharad Singh as special Guest in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021

08 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को दोपहर 'पत्रिका' समाचारपत्र द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मुझे वहां उपस्थित अपनी बहनों को सम्मानित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हुई। वहीं, पत्रिका समाचारपत्र तथा हीरो सेंट्रल स्कूटर्स की ओर से मुझे और मेरी दीदी डाॅ वर्षा सिंह को भी सम्मानित किया गया। यह समारोह पत्रिका तथा हीरो सेंट्रल सागर ने मिल कर आयोजित किया था। जहां ग्रामीण अंचल की वीर महिला श्रीबाई से भी मुलाक़ात हुई।

Dr (Miss) Sharad Singh as special Guest in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021 (publish in 09 March 2021

इस अवसर पर जहां मैंने उद्बोधन दिया वहीं मेरी दीदी डाॅ. वर्षा सिंह ने महिलाओं पर केन्द्रित अपनी ग़ज़ल सुनाई। वीर महिला श्रीबाई ने अपनी साहसिक कथा सुनाई।

Dr (Miss) Sharad Singh as special Guest in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021 with Shribai

सागर जिले में आबचंद नामक ग्राम की रहने वाली साहसी महिला श्रीबाई की साहस कथा अनुकरणीय है। श्रीबाई ने ने केवल अपनी जान की रक्षा किए बगैर महिला को दुष्कर्मियों से बचाया, बल्कि उन्हें कानून की गिरफ्त तक पहुंचाकर ही दम लिया। बात 26 सितंबर 2021 की दोपहर की है, जब वह खेत में फसल काट रही थीं, तभी अचानक उन्हें आवाज सुनाई पड़ी, कोई बचा लो, बचा लो चिल्ला रहा था। जब उन्होंने पास जाकर देखा तो एक महिला दो बच्चों को लिए चीखती हुई उनकी ओर भागती आ रही थी। वह निर्वस्त्र थी और उसके पीछे चार लोग दौड़ते हुए आ रहे थे। ये देख श्रीबाई ने चिल्लाते हुए कहा, 'इसे क्यों परेशान कर रहे हो' ये सुनकर वे लोग भाग गए, लेकिन एक व्यक्ति हाथ में एक बॉटल में पेट्रोल लिए श्रीबाई के पास आया और बोला, 'ये मेरी साली है तू यहां से चली जा, वरना तुझे भी जिंदा जला दूंगा।' पीड़ित महिला सागर से अपने गांव बलेह के लिए निकली थी। रास्ते में मोहन ने उसे घर पहुंचाने के बहाने एक झोपड़ी में बंदी बनाकर घृणित कर्म किया था। मुश्किल से वह उनके चंगुल से बचकर निकली तो तीनों उसका पीछा करने लगे। आरोपियों के चंगुल से छूटी महिला ने जब खेत में काम कर रही श्रीबाई से गुहार लगाई तो श्रीबाई ने आरोपियों को धमकाकर भागने पर मजबूर कर दिया था। आरोपियों ने श्रीबाई को भी डराने की कोशिश की, उसे पेट्रोल डालकर जलाने की धमकी दी, लेकिन वह हसिया लेकर उनके सामने खड़ी हो गई। श्रीबाई के हिम्मत और जज्बे ने पीड़ित महिला को दुष्कर्मियों की गिरफ्त से बचा लिया। श्रीबाई ने तुरंत अपने घर से अपनी एक साड़ी मंगवाकर पीड़िता को दी। जिससे उसने शरीर ढंका. पीड़िता के दो बच्चे जिनमें से एक 2 साल और दूसरा 6 महीने का था, दो दिन से भूखे थे। उन्होंने अपने बेटे से दूध मंगवाकर दोनों को पिलाया. इसके बाद उन्होंने डरी-सहमी पीड़िता को रिपोर्ट लिखाने के लिए हिम्मत दी और अगले दिन खुद उसके साथ जाकर पुलिस में बयान दर्ज कराया।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान श्रीबाई धानुक को ‘‘मैं हूं असली हीरो’’ सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। उनके साहस व जज्बे की प्रशंसा करते हुए दूसरों को भी इससे प्रेरणा लेने के लिए कहा था। मुख्यमंत्री ने श्रीबाई से कहा था कि ‘‘आपका जीवन धन्य है। मैं आपका अभिनंदन करता हूं। आप असली हीरो हैं।’’ कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने सभी को प्रणाम किया। इसके बाद श्रीबाई से कहा- आप एक मिनट में बताइए कि आपने कैसे और क्या किया? श्रीबाई ने भी खड़े होकर घटनाक्रम बताना शुरू किया। श्रीबाई के कुर्सी से उठते ही सभी अधिकारी भी खड़े हो गए। घटना सुनने के बाद सीएम ने कहा कि आपने अद्भुत काम किया, आपको डर नहीं लगा? इस पर श्रीबाई ने कहा कि नहीं। सीएम ने कहा, यह असली हीरो हैं।

सचमुच, जो साहस शहरी क्षेत्र की एक पढ़ी-लिखी महिला भी शायद नहीं कर पाती वह साहस एक अपढ़ ग्रामीण महिला ने दिखा कर सबके सामने एक अनुकरणीय उदाहरण सामने रखा। श्रीबाई एक बहुत सहज, सरल और ऊर्जा से भरपूर महिला हैं। पहली मुलाक़ात में ही हम दोनों परस्पर सहेलियों जैसा महसूस करने लगे। मुझे उनसे मिल कर अत्यंत प्रसन्नता हुई। - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह


#पत्रिका , सागर संस्करण परिवार तथा #हीरोसेंट्रल के प्रति हार्दिक आभार
Dr (Miss) Sharad Singh as special Guest in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021

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Dr (Miss) Sharad Singh as special Guest in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021 with Shribai

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Dr Varsha Singh in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021

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Dr (Miss) Sharad Singh as special Guest in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021 with Dr Varsha Singh

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Dr Varsha Singh in International Woman's Day Celebrated by Patrika News Paper, 08 March 2021

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