Showing posts with label पुस्तक लोकार्पण समारोह. Show all posts
Showing posts with label पुस्तक लोकार्पण समारोह. Show all posts

Tuesday, November 28, 2023

हमें उन सभी लोगों को याद रखना चाहिए जिन्होंने देश के प्रति अपना अवदान दिया है। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्य अतिथि

" हमें उन सभी लोगों को याद रखना चाहिए जिन्होंने देश के प्रति अपना अवदान दिया है।" मुख्य अतिथि के रूप में मैंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा।
   अवसर था, 27.11.2023 को प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित समारोह में स्थानीय कवि श्री महेन्द्र खरे जी के काव्य संग्रह "भारत के महापुरुष एवं देशभक्ति गीत" के लोकार्पण का। 
      अध्यक्ष थे प्रगतिशील लेखक संघ की सागर इकाई के अध्यक्ष श्री टीकाराम त्रिपाठी जी विशिष्ट अतिथि  थे सागर कायस्थ महासभा के अध्यक्ष श्री शैलेंद्र श्रीवास्तव जी एवं गांधीवादी चिंतक श्री शुकदेव तिवारी जी। पुस्तक पर समीक्षात्मक आलेख का वाचन किया श्री आर पी मलैया जी तथा मनोज श्रीवास्तव जी ने। प्रगतिशील लेखक संघ की सागर इकाई के सचिव एड. पेट्रिस फुसकेले ने स्वागत भाषण दिया। संचालक थे डॉ सतीश पांडेय जी तथा संयोजक थे श्री मुकेश तिवारी। 
    लोकार्पण समारोह में कवि श्री वीरेंद्र प्रधान जी, श्री आशीष ज्योतिषी, श्री बसंत श्रीवास्तव आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
  श्रीसरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय के सभागार में आयोजित इस समारोह की साझा कर रही हूं समारोह की कुछ तस्वीरें 😊
#डॉसुश्रीशरदसिंह #drmisssharadsingh #chiefguest #मुख्यअतिथि #पुस्तकलोकार्पण #पुस्तकविमोचन #bookrelease #booklaunch 

Tuesday, October 31, 2023

जंगल पर वही लिख सकता है जिसने जंगल की आत्मा को पहचान हो। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह, विशिष्ट अतिथि, पुस्तक लोकार्पण समारोह

"उद्गार : एक फॉरेस्ट ऑफिसर का सफरनामा" दरअसल मात्र एक पुस्तक नहीं अपितु लेखक प्रेम नारायण मिश्रा के उन अनुभवों का दस्तावेज है जो उन्होंने वन परिक्षेत्र में रहकर प्राप्त किया। दरअसल जंगल पर वही लिख सकता है जिसने जंगल की आत्मा को पहचान हो। इस पुस्तक में 40 वर्षों के उनके दीर्घकालिक अनुभवों की वे विशेष घटनाएं हैं जिन्होंने उनके मन और जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया। इस पुस्तक को पढ़ कर वन-जीवन को बखूबी जाना और समझा जा सकता है। - विशिष्ट अतिथि के रूप में मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह) अपने उद्बोधन में कहा। अवसर था श्यामलम संस्था की ओर से आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह।
       कार्यक्रम की अध्यक्षता की व्यंगकार प्रोफेसर सुरेश आचार्य जी ने तथा मुख्य अतिथि थे सेवानिवृत्ति वन संरक्षक श्री बीपी उपाध्याय। डॉ कविता शुक्ला तथा श्रीमती सुनील सराफ ने पुस्तक पर अपने सारगर्भित विचार रखें। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन किया डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने। स्वागत भाषण श्री रमाकांत शास्त्री जी ने दिया तो आभार प्रदर्शन किया श्री दीक्षित जी ने।
     श्री प्रेम नारायण मिश्र द्वारा लिखित संस्मरण पुस्तक "उद्गार : एक फॉरेस्ट ऑफिसर का सफरनामा" का लोकार्पण समारोह वस्तुत: वन संरक्षण के प्रति जागरूकता और चिंता पर केंद्रित रहा। इस दृष्टि से यह एक विशिष्ट और अत्यंत सफल कार्यक्रम साबित हुआ क्योंकि कार्यक्रम के उपरांत लोगों के मन में जंगलों को बचाने के प्रति चिंतन मनन करते देखा गया।
    वरदान होटल के सभागार में आयोजित इस सार्थक कार्यक्रम के लिए श्यामलम संस्था के अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्रा जी एवं संस्था के सभी सदस्य धन्यवाद के पात्र हैं। वैसे श्यामल संस्था के प्रत्येक कार्यक्रम विशिष्ट एवं गरिमामय होते हैं।
  कुछ तस्वीरें, कुछ खबरें आयोजन की...
#डॉसुश्रीशरदसिंह #DrMissSharadSingh #पुस्तकलोकार्पण #booklaunch 
#shyamlam #savetheforest

Wednesday, October 25, 2023

जो अनुभव के दायरे का हो, जो आपकी दृष्टि से गुज़रा हो, जिसने आपके मानस को स्पर्श किया हो, उस पर कलम चलाना ज़्यादा सही होता है। - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023


🚩
'काशी का अस्सी' काशीनाथ सिंह का संस्मरण है जिसमें उन्होंने बनारस के अस्सी घाट के बारे में लिखा है। आदरणीय काशीनाथ सिंह जी ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि "पढ़ो और ख़ूब पढ़ो—किताबें भर नहीं, इंसान भी। किताबें भी पढ़ो, लेकिन यह देखते हुए कि वे दुनिया और आदमी को समझने में कितनी मदद देती हैं।"
🚩
इंसानों को पढ़ना यानी जीवन से अनुभव प्राप्त करना जीवन का आकलन करना जीवन का सर्वेक्षण करना। कई बार लोग सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर अथवा गूगल सर्च करके अपनी जानकारी का आधार बना लेते हैं जिससे कई तथ्यात्मक भूलें उनसे हो जाते हैं जैसे मैं आपको एक घटना बताऊं ..... एक लेखक जिन्होंने अब दिवंगत हो गए हैं अतः में उनका नाम नहीं लेना चाहूंगी, इंदौर के निवासी थे उन्होंने बांछड़ा समाज पर एक उपन्यास लिखा और जिसमें उन्होंने बेड़िया समाज का भी जिक्र किया... जो की तथ्यात्मक दृष्टि से गलत थे जिससे मैं अपनी समीक्षा में प्वाइंट आउट किया। इस पर वे मुझे फोन करके बुरा-भला कहने लगे। उम्र में मुझसे बड़े थे अतः मैं विनम्रतापूर्वक उनसे सिर्फ यही कहा कि जिस तथ्य के बारे में आपको जानकारी ना हो उस पर लिखना कोई विवशता नहीं है। आप उस विषय के बदले किसी और विषय पर लिख सकते थे।
🚩
इसीलिए जो अनुभव के दायरे का हो, जो आपकी दृष्टि से गुज़रा हो, जिसने आपके मानस को स्पर्श किया हो, उस पर कलम चलाना ज़्यादा सही होता है।
..... या फिर आपमें इतनी घनी, गहरी कल्पनाशीलता हो कि आप किसी घटना व्यक्ति या समाज में ट्रांसफॉर्म हो सकें तभी सही लेखन कर सकते हैं ..... दरअसल यही तो है इंसानों को पढ़ाना।
🚩
आराधना खरे जी ने इंसानों और इंसानी रिश्तों को बखूबी पढ़ा है। यह बात उनकी कहानियों और कविताओं को पढ़ने के बाद दावे से कहीं जा सकती है। कहानी संग्रह "जीवन एक रंग अनेक" तथा कविता संग्रह "काव्य रश्मि" के प्रकाशन पर उन्हें हार्दिक बधाई
💐
🚩
आराधना खरे जी की कहानियां परिवार विमर्श की कहानियां हैं। वे पारिवारिक रिश्तों के तानेबाने को बड़ी बारीकी से अपनी कहानियों में प्रस्तुत करती हैं, जिनमें पात्रों का मनोविज्ञान भी शामिल है।
🚩
आराधना खरे जी की कविताओं में मन:स्थितियों का सुंदर प्रस्तुतीकरण है, जिनमें उदासी, उच्छ्वास, पीड़ा, अवसाद एकाकीपन के साथ ही वह अदम्य साहस भी दिखाई देता है जो स्त्री को इस समाज में बने रहने का साहस देता है। आराधना खरे जी के रचनाकर्म में कथा और कविता दोनों में संतुलन है। उन्होंने दोनों विधाओं को साधने का सफल प्रयास किया है।"
मैंने अपने ये विचार व्यक्त किए थे मुख्य अतिथि के रूप में... विगत दिनों प्रगतिशील लेखक संघ की सागर इकाई द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में। कवयित्री एवं कथाकार श्रीमती आराधना खरे की दो पुस्तकों - कहानी संग्रह एवं काव्य संग्रह के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की थी इकाई के अध्यक्ष श्री टीकाराम त्रिपाठी जी ने। पुस्तकों के समीक्षक थे श्री पी आर मलैया, डॉ कविता शुक्ला एवं डॉ छाया चौकसे। संचालन किया था डॉ मनोज श्रीवास्तव ने। शेष व्यवस्थाओं का संचालन इकाई के सचिव श्री पेट्रिस फुसकेले ने किया।
🚩
समारोह में उमाकांत मिश्र जी, मुन्ना शुक्ला जी, आर के तिवारी जी, प्रभात कटारे जी, स्वाति हल्वे जी, प्रफुल्ल हल्वे जी, वीरेन्द्र प्रधान जी आदि कला एवं साहित्य मनीषियों सहित प्रगतिशील लेखक संघ इकाई सागर के सदस्यगण उपस्थित रहे।
डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023