Wednesday, October 25, 2023

जो अनुभव के दायरे का हो, जो आपकी दृष्टि से गुज़रा हो, जिसने आपके मानस को स्पर्श किया हो, उस पर कलम चलाना ज़्यादा सही होता है। - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023


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'काशी का अस्सी' काशीनाथ सिंह का संस्मरण है जिसमें उन्होंने बनारस के अस्सी घाट के बारे में लिखा है। आदरणीय काशीनाथ सिंह जी ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि "पढ़ो और ख़ूब पढ़ो—किताबें भर नहीं, इंसान भी। किताबें भी पढ़ो, लेकिन यह देखते हुए कि वे दुनिया और आदमी को समझने में कितनी मदद देती हैं।"
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इंसानों को पढ़ना यानी जीवन से अनुभव प्राप्त करना जीवन का आकलन करना जीवन का सर्वेक्षण करना। कई बार लोग सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर अथवा गूगल सर्च करके अपनी जानकारी का आधार बना लेते हैं जिससे कई तथ्यात्मक भूलें उनसे हो जाते हैं जैसे मैं आपको एक घटना बताऊं ..... एक लेखक जिन्होंने अब दिवंगत हो गए हैं अतः में उनका नाम नहीं लेना चाहूंगी, इंदौर के निवासी थे उन्होंने बांछड़ा समाज पर एक उपन्यास लिखा और जिसमें उन्होंने बेड़िया समाज का भी जिक्र किया... जो की तथ्यात्मक दृष्टि से गलत थे जिससे मैं अपनी समीक्षा में प्वाइंट आउट किया। इस पर वे मुझे फोन करके बुरा-भला कहने लगे। उम्र में मुझसे बड़े थे अतः मैं विनम्रतापूर्वक उनसे सिर्फ यही कहा कि जिस तथ्य के बारे में आपको जानकारी ना हो उस पर लिखना कोई विवशता नहीं है। आप उस विषय के बदले किसी और विषय पर लिख सकते थे।
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इसीलिए जो अनुभव के दायरे का हो, जो आपकी दृष्टि से गुज़रा हो, जिसने आपके मानस को स्पर्श किया हो, उस पर कलम चलाना ज़्यादा सही होता है।
..... या फिर आपमें इतनी घनी, गहरी कल्पनाशीलता हो कि आप किसी घटना व्यक्ति या समाज में ट्रांसफॉर्म हो सकें तभी सही लेखन कर सकते हैं ..... दरअसल यही तो है इंसानों को पढ़ाना।
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आराधना खरे जी ने इंसानों और इंसानी रिश्तों को बखूबी पढ़ा है। यह बात उनकी कहानियों और कविताओं को पढ़ने के बाद दावे से कहीं जा सकती है। कहानी संग्रह "जीवन एक रंग अनेक" तथा कविता संग्रह "काव्य रश्मि" के प्रकाशन पर उन्हें हार्दिक बधाई
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आराधना खरे जी की कहानियां परिवार विमर्श की कहानियां हैं। वे पारिवारिक रिश्तों के तानेबाने को बड़ी बारीकी से अपनी कहानियों में प्रस्तुत करती हैं, जिनमें पात्रों का मनोविज्ञान भी शामिल है।
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आराधना खरे जी की कविताओं में मन:स्थितियों का सुंदर प्रस्तुतीकरण है, जिनमें उदासी, उच्छ्वास, पीड़ा, अवसाद एकाकीपन के साथ ही वह अदम्य साहस भी दिखाई देता है जो स्त्री को इस समाज में बने रहने का साहस देता है। आराधना खरे जी के रचनाकर्म में कथा और कविता दोनों में संतुलन है। उन्होंने दोनों विधाओं को साधने का सफल प्रयास किया है।"
मैंने अपने ये विचार व्यक्त किए थे मुख्य अतिथि के रूप में... विगत दिनों प्रगतिशील लेखक संघ की सागर इकाई द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में। कवयित्री एवं कथाकार श्रीमती आराधना खरे की दो पुस्तकों - कहानी संग्रह एवं काव्य संग्रह के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की थी इकाई के अध्यक्ष श्री टीकाराम त्रिपाठी जी ने। पुस्तकों के समीक्षक थे श्री पी आर मलैया, डॉ कविता शुक्ला एवं डॉ छाया चौकसे। संचालन किया था डॉ मनोज श्रीवास्तव ने। शेष व्यवस्थाओं का संचालन इकाई के सचिव श्री पेट्रिस फुसकेले ने किया।
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समारोह में उमाकांत मिश्र जी, मुन्ना शुक्ला जी, आर के तिवारी जी, प्रभात कटारे जी, स्वाति हल्वे जी, प्रफुल्ल हल्वे जी, वीरेन्द्र प्रधान जी आदि कला एवं साहित्य मनीषियों सहित प्रगतिशील लेखक संघ इकाई सागर के सदस्यगण उपस्थित रहे।
डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह, मुख्यअतिथि,  श्रीमतीआराधना खरे की पुस्तकों का लोकार्पण, 15.10.2023

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