Thursday, October 19, 2023

बतकाव बिन्ना की | चुनाव मने परीक्षा के टेम पे बंजरंगबली याद आऊत आएं | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम | बुंदेली व्यंग्य | प्रवीण प्रभात

"चुनाव मने परीक्षा के टेम पे बंजरंगबली याद आऊत आएं" - मित्रो, ये है मेरा बुंदेली कॉलम "बतकाव बिन्ना की" साप्ताहिक #प्रवीणप्रभात , छतरपुर में।
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बतकाव बिन्ना की      
चुनाव मने परीक्षा के टेम पे बंजरंगबली याद आऊत आएं
 - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
            आजकाल भैयाजी औ भौजी दोई जने बिजी चल रए। काय से के चुनाव को टेम आए। आचार संहिता सोई लग चुकी आए। सो, अब तो घरे जा-जा के संपर्क करने पड़ रओ सबई पार्टी वारन खों। अब चुनाव के लाने टेम कम्म बचो आए, औ जोन को एरिया बड़ो ठैरो उनको ज्यादा मानुस की जरूरत पड़ रई। सो, अबई एक दिनां भैयाजी ने सोची के जेई टेम आए के कछू टेम पास कर लओ जाए औ कछू ब्योहार कमा लओ जाए। सो, उन्ने एक पार्टी वारन के लाने प्रचार करबे औ घरे-घरे जा के मिलबे को ठेका ले लओ। बे अपने संगे भौजी खों सोई लेवा जा रए हते। मनो भौजी ठैरीं औ सयानी। उन्ने कई के ‘‘हमें तुमाए संगे नई जाने।’’
‘‘काय? हमाए संगे जाबे से का हो जैहे?’’ भैयाजी ने तनक तिनकत भए पूछी हती।
‘‘होने खों तो कछू ने हुइए, मनो तनक अकल से काम लेओ करो!’’ भौजी सोई बोल परी हतीं।
‘‘काय? का हम अकल से काम नईं लेत का? तुम कैबो का चा रईं, के हम पे अकल नोईं?’’ भैयाजी खों भौजी की बात तनक बुरई लगी।
‘‘अकल तो तुम पे खूब आए, बाकी जे नई सोच रए के सगे भैया आमने-सामने ठाड़े होबे की कर रए, सगी बहुएं एक-दूसरे के खिलाफ लड़बे जा रईं, औ कऊं-कऊं तो बाप औ बेटा आमने-सामने रमतूला बजा रए, सो अपन ओरें काय खों एकई पार्टी के संगे जाएं?’’ भौजी ने भैयाजी खों समझाओ।
‘‘देखों धना! उन ओरन की बात दूसरी कहानी। बो का कहाउत आए के चित बी अपनी औ पट बी अपनी। जे पार्टी जीती सो अपनो भैया जीतो औ बा पार्टी जीती सो अपनो भैया जीतो। दोई हाथन में लड़ुआ धर लओ, कोनऊं हाथ को तो खाबे के लाने मिलई जैहे।’’ भैयाजी ने सोई भौजी को समझाबे को प्रयास करो।
‘‘जेई सो हम कै रए आपके लाने। के अपन ओरें सोई अलग-अलग पार्टी के संगे हो के उनको प्रचार करबी। ईसे हुइए जे के कल को जोन पार्टी जीतहे बोई अपनो केंडीडेट कहलाहे।’’ भौजी चतुराई दिखात भई बोलीं।
‘‘कै तो तुम सांची रईं!’’ भैयाजी खों समझ में आ गई।
‘‘औ का!’’ भौजी बोलीं।
‘‘सो चलो, तुम रामजी की पार्टी वारन के संगे जइयो औ हम वामजी की पार्टी के संगे।’’ भैयाजी खुस होत भए बोले।
‘‘सुनो, अब कोनऊं राम-वाम नई रओ! सबई बंजरंगबली के इते अपनो मत्था टेक रए।’’ भौजी बोली हतीं। भौजी भैयाजी से कऊं ज्यादा अपडेट निकरीं।
‘‘देखो धना! ऐसो आए के परीक्षा के टेम पे सबई बजरंगबली के इते मत्था टेकन लगत आएं। हम सोई जबे स्कूल में पढ़त्ते सो केबल मंगलवार औ शनीवार खों हनुमान जी की मढ़िया पे जात्ते। बाकी जोन टेम पे परीक्षा शुरू होबे वारी रैत्ती, सो संझा, संकारे मढ़िया पे मत्था टेकबो शुरू कर देत्ते। दो अगरबत्ती सोई उते जलात्ते। औ कभऊं-कभऊं चिरौंजी दाना औ चना सोई चढ़ा आउत्ते।  बो का आए के परीक्षा के टेम पे सबई खों बजरंगबली याद आऊत आएं।’’ भैयाजी ने भौजी खों बताई रई।
‘‘हऔ, सोई संगे बदत रए हुइए के जो अच्छे नंबरन से पास हो जेबी सो आपके लाने शुद्ध घी को पेड़ा औ नरियल चढ़ाबी। काए सई कई ने!’’ भौजी हंसत भईं बोली रईं।
‘‘‘‘औ का, अब बजरंगबली को खुस करबे के लाने उने पैलई से बताने तो परतई रओ के हम उनके लाने का करबी।’’ भैयाजी मनो सीरियसई मूड में बोले।
‘‘चलो, अब जे ओरें अपनी परीक्षा मने चुनाव के टेम पे बजरंगबली खों जप रए, सो अच्छो कर रए। जेई बहाने नांव सो ले रए।’’ भौजी ऊंसई हंस के बोलीं रईं।
फेर दोई जने अपनी-अपनी पार्टी पकर के चुनाव प्रचार के लाने निकर परे। जेई से आजकाल उनसे मोरी भेंट नईं हो रई आए। बे ओरें सुभे नौ-दस बजे से निकर परत आएं। औ तब लौं मोरो चैेका-बासन हो पात आए।
‘‘तुम काय नईं चल रईं? तुम सोई चलो संगे। मजो आहे।’’ भैयाजी ने मोय सोई आफर करो रओ।
‘‘मोय नईं जानें! आपई ओरें जाओ। मोय राजनीति में नईं परने।’’ मैंने साफ मना कर दई रई।
‘‘ईमें राजनीति में परबे की का? अपन ओरें कोन कोनऊं से कुर्सी मांग रए? पार्टी अपन ओरन खों खाबे-पीबे के लाने खर्चा दैहे औ संगे कओ धुतिया, हुन्ना सोई मिल जाएं।’’ भैयाजी ने तनक लालच दिखाओ रओ।
‘‘कऊं नईं! आजकाल चाुनाव आयोग वारे कछू नईं बाटन देत आएं।’’ मैंने भैयाजी खों याद दिलाई रई।
‘‘अरे, सो बे पार्टी वारे वोट देबे वारन खों थोड़ी, प्रचार करबे वारन खों दैहें। अब तुमई सोचो के मनो अपने घरे कोनऊं को ब्याओ हो रओ होय औ अपन कोनऊं चिनारी वारे से बोलें के भैया तनक हमाए कार्ड सो बांट आओ! सो का कार्ड बांटबे वारे की फटफटिया में पेट्रोल के लाने ऊंको पइसा ने देबी, के ऊंको चाय-पानी के चाले कछू ने देबी। इत्तो ब्यौहार तो साधेनई परत आए। सो, जेई ब्योहार जे ओरें साधहें। अपने प्रचार के लाने काम करबे वारन के खाबे-पीबे को खयाल राखहें के नईं? तुमई कओ?’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ, आप सांची कै रए। ऐसई ब्योहार में तो पैले पेटियां चलत्तीं।’’ मैंने सोई ठिठोली करी रई।
‘‘चलो, तुमें नई जाने सो ने जाओ! हम दोई सो जा रए। कछू टेम सोई पास हो जाहे।’’ भैयाजी मुस्कात भए बोले रए।
सो, ऊं दिना से भैयाजी औ भौजी टेम पास माने प्रचार करत फिर रए। सो बोई दिनां से दिखा नईं पर रए। मोय तो लगत आए के बे दोई जने प्रचार के लाने घरे-घरे सो जाई रै हुइएं, बाकी उन ओरन के संगे बंजरंगबली के इते मत्था टेकबे सोई पौंच जात हुइएं।
खैर, जे तो अपनो-अपनो तरीका आए काम बनाबे को। जैसे लड़का हरें परीक्षा के टेम पे हनुमान जी की मढ़िया पे जात्ते, ऊंसईं लड़कियां हरें देबी मैया के लिंगे जल ढारबे खों भुनसारे से निकर परत्तीं। चाए ऊं टेम पे नवरातें होंए, चाए ने होंए। बे ओरें मातारानी के लाने बदत्तीं के जो आप हमें पास करा दैहो सो हम साजी सी चुनरिया चढ़ाहें। बाकी ऊं टेम पे, मने जब मैं स्कूल में पढ़त्ती, ऊं टेम पे अपने इते दुर्गा मैया खों मातारानी नई कओ जात्तो। जे तो जब से टीवी के सीरियल आन लगे सो ऊंमें देख-देख के दुर्गा मैया खों मातारानी कओ जान लगो। ने तो अपने बुंदेलखंड में चाए दुर्गा मैया होंए, चाए शारदा मैया होंए, चाए अनगढ़ माईं, चाए नरबदा जी, सबई खों सो मैया औ माई कओ जात्तो। बे असली वारे लोकगीतन में देख लेओ पतो पर जैहे। बाम्बुलिया में देख लेओ, ऊंमें नरबदा मैया खों मैया कओ गओ आए-
नरबदा मैया ऐसी मिली रें,
ऐसी तो मिली के जैसे मिले
मताई औ बाप रे, नरबदा मैया हो.....।
जेई टाईप को एक भजन औ आए जीमें ऊंची टेकरी पे रैबे वारी देवी मैया की बड़वार करी गई आए। ने मानो, सो देख लेओ जे लाईने-
सबई की बिपदा टार रई मैया
हमरी बी बिपदा टारियो मां...
ऊंची टेकरी मैया बसत हैं
मोसे चढ़ो ने जाए, हो मां
अंसुवा जो देख लए मैया ने मोरेे
नैचे खों खुद चली आई हो मां...
सबई के अंसुवां पोछ रई मैया
मोरे बी अंसुवां पोछियो मां....
बाकी ईसे कोनऊं फरक नई परत के देवी मैया खों मातारानी कओ जाए के मैया औ माई कओ जाए। मनो जोन अपने इते कओ जात रओ, बोई कओ जाए सो नोनो लगत आए। बाकी जैसी जोन की मरजी।    
तो, चुनाव लौं अपनई ओरें बतकाव करबी, काय से के भैयाजी औ भौजी सो बिजी चल रए। आप ओरे सोई देखत रओ के कोन-कोन कां-कां मत्था टेक रओ। काय से के उन ओरन की आस्था भगवान पे नोंई वोटन पे रैत आए। मनो बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। सो, सबई जनन खों शरद बिन्ना की राम-राम!
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