"उद्गार : एक फॉरेस्ट ऑफिसर का सफरनामा" दरअसल मात्र एक पुस्तक नहीं अपितु लेखक प्रेम नारायण मिश्रा के उन अनुभवों का दस्तावेज है जो उन्होंने वन परिक्षेत्र में रहकर प्राप्त किया। दरअसल जंगल पर वही लिख सकता है जिसने जंगल की आत्मा को पहचान हो। इस पुस्तक में 40 वर्षों के उनके दीर्घकालिक अनुभवों की वे विशेष घटनाएं हैं जिन्होंने उनके मन और जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया। इस पुस्तक को पढ़ कर वन-जीवन को बखूबी जाना और समझा जा सकता है। - विशिष्ट अतिथि के रूप में मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह) अपने उद्बोधन में कहा। अवसर था श्यामलम संस्था की ओर से आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह।
कार्यक्रम की अध्यक्षता की व्यंगकार प्रोफेसर सुरेश आचार्य जी ने तथा मुख्य अतिथि थे सेवानिवृत्ति वन संरक्षक श्री बीपी उपाध्याय। डॉ कविता शुक्ला तथा श्रीमती सुनील सराफ ने पुस्तक पर अपने सारगर्भित विचार रखें। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन किया डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने। स्वागत भाषण श्री रमाकांत शास्त्री जी ने दिया तो आभार प्रदर्शन किया श्री दीक्षित जी ने।
श्री प्रेम नारायण मिश्र द्वारा लिखित संस्मरण पुस्तक "उद्गार : एक फॉरेस्ट ऑफिसर का सफरनामा" का लोकार्पण समारोह वस्तुत: वन संरक्षण के प्रति जागरूकता और चिंता पर केंद्रित रहा। इस दृष्टि से यह एक विशिष्ट और अत्यंत सफल कार्यक्रम साबित हुआ क्योंकि कार्यक्रम के उपरांत लोगों के मन में जंगलों को बचाने के प्रति चिंतन मनन करते देखा गया।
वरदान होटल के सभागार में आयोजित इस सार्थक कार्यक्रम के लिए श्यामलम संस्था के अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्रा जी एवं संस्था के सभी सदस्य धन्यवाद के पात्र हैं। वैसे श्यामल संस्था के प्रत्येक कार्यक्रम विशिष्ट एवं गरिमामय होते हैं।
कुछ तस्वीरें, कुछ खबरें आयोजन की...
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