आज पत्रिका में "टॉपिक एक्सपर्ट" में बुंदेली में ...
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टाॅपिक एक्सपर्ट
जे चुंगी घाई काॅरीडोर के ट्रैफिक को का हुइए?
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
अपने इते एक झील आए, जोन को नांव आए लाखा बंजारा झील। अब जे झील कटत-कटत चिपटी सुपारी भई जा रई। औ ऊपे बना दओ गओ आए चपटो सो काॅरीडोर। मनो जब से बा एलीवेटर काॅरीडोर पब्लिक के लाने खुलो, तभईं से उते पे भीड़ टूटन लगी। सबई जने उते पौंच के अपनी फोटू-मोटू खेंच के सोशल मीडिया पे डारन लगे। हमें सोई सबने कई के तुम का कर रईं? अबे लौं काय नईं गई? हमें लगी मनो हम ट्रेंड से बाहर भए जा रए, सो हम सोई दौड़ के उते काॅरीडोर पे पौंचे। हमने सोची के हम काय पांछू रैंय। सो हमने अपनी वीडियो बनाई औ सोशल मीडिया पे डार दई।
बा सब सो अपनी जांगा। जो हम काॅरीडोर पे पौंचे सो हमें बो बड़ो लम्बो-चौड़ो दिखानो। हमें बड़ो नोनो लगो। हमने सोची के ई छोर से ऊं छोर तक देख लओ जाए। काय से काॅरीडोर के नैंचे सो देखो नईं जा रओ हतो। उते तो घास-पतूला दिखा रए हते। उते तो बोर्ड लगा दओ चाइए के ‘‘इते से नीचे देखबो मना आए!’’ खैर, हम निंगत-निंगत काॅरीडोर के दूसरे छोर पे पौंचे, सो हमाई मुंडी चकरा गई। दूसरो छोर जां खुल रओ हतो, उते पुरानी संकरी रास्ता दिखानी। मने जा काॅरीडोर सो हमें तेल भरत की चुंगी घांई लगो। एक तरफी से चौड़ो औ दूसरी तरफी खुलतई साथ संकरौंदा। हमें समझ ने परी के जे चुंगी घांई काॅरीडोर पे कढ़बे वारे ट्रैफिक को का हुइए? तनक जे स्मार्टसिटी वारे समझा देवें सो कछू समझ में आए, ने तों अपन तो अबे इत्ते स्मार्ट भए नईंया के चुंगी काॅरीडोर के ट्रैफिक के निस्तार खों समझ सकें।
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