Thursday, July 10, 2025

बतकाव बिन्ना की | भोले बाबा चैकिंग करत आएं चार मईना | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
भोले बाबा चैकिंग करत आएं चार मईना
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
          ‘‘इत्ते पानी बरसत में कां फिर रईं हती? हमने तुमाई वीडियो देखी रई।’’ भौजी ने देखतई साथ मोसे पूछी।
‘‘कछू नईं, देखबे गई रई के पानी-पानी होत भओ अपनो शहर कैसो लगत आए।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘अपनो सहर तो भरी गर्मी में बी पानी-पानी होत रैत आए।’’ भौजी ने हंस के कई।
‘‘मैं कहनात वारे पानी-पानी की नईं कै रई, मैं तो सच्ची वारे बरसत भए पानी खों देखबे निकरी हती।’’ मैंने भौजी खों क्लियर करो।
‘‘बा सो हम समझ गए, मनो सड़कों की दसा सो पैलेई खराब होत जा रई हती, सो अब तो औरई बिगर गई हुइए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘सो तो सई बात आए। बाकी आप खों पतो के विष्णु जी चार मईना खों सोबे काए चले जात आएं? औ उनके सोबे जाबे के बाद उनको काम-काज को देखत आए?’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘हऔ, हमें पतो। दो-चार किसां सो हमई जानत आएं। एक बा वारी आए के, विष्णु जी वामन औतार धर के राजा बलि के लिंगे पौंचे हते औ उन्ने बलि से तीन पांव भरे जमीन मांगी हती। राजा बलि ने सोची के तीन पांव भरे तो भौतई कम हुइए, सो बलि ने कई के तीन पांव भर का, हम तुमाए लाने तीन गांव दै दे रए, अच्छे से रइयो। सो, वामन ने कई के नईं हमें तो तीन पांव नप्प के जमीन चाऊंने, जो मोए नप्प के लेन देने होए सो कओ, ने तो हम सबई से कैबी के तुम कहे भर के दानी आओ। जा सुन के बलि बोलो के जो तुमाई जेई मरजी आए तो जेई सई। नप्प लेओ जमीन। फेर का हतो बा वामन तो असल में रए विष्णु भगवान, सो, उन्ने अपने तीन पांव में तीन लोक नप्प लए। तब कऊं बलि को समझ परी के जे तो वामन नोंई, वामन के भेस में भगवान विष्णु आएं। सो ऊने अपनों मूंड़ धर दओ विष्णु के पांव तरे औ कैन लगो के आप तो हमाओ सब कछू ले लेओ, मनो आप हमें अपने संगे राख लेओ। सो विष्णु भगवान ने ऊको अपनो द्वारपाल बना लओ। अब का भओ के बलि महराज विष्णु खों क्षीर सागर से कऊं कढ़न ने देवें। उते महल में लक्ष्मी माई विष्णु जू की रास्ता हेरत-हेरत थकन लगीं। सो उन्ने बलि से कई के जे जो तुमने भगवान खों कैद सो कर राखो आए, जो ठीक नईंया। ईपे भगवान विष्णु ने कई के हम चार मईना अपने भक्त बलि के संगे क्षीर सागर में रैंहें औ बाकी टेम लक्ष्मी जू के संगे महल में रै के ई दुनिया को काम-काज देखहें। सो चार मईना विष्णु भगवान क्षीर सागर में सोऊत आएं और बलि उनके लाने पैरा देत आए के कोऊ उनको जगा ने दे। जे आए एक किसां।’’ भौजी ने मोए पूरी किसां सुना डारी। मोए जे किसां पती तो रई, बाकी मैंने भौजी खों टोंकबो ठीक ने समझो। 
‘‘कित्ती नोंनी किसां आए।’’ मैंने कई। 
‘‘एक मजे की किसां औ सुनाएं!’’ कैत भईं भौजी किसां कहन लगीं। मोए उने टोंकबो ठीक ने लगो। बे बतान लगीं, ‘‘कओ जात आए के जबें विष्णु जी सोऊंत आएं सो उनको वजन बढ़ जात आए। ऊंसई बी उनकी नींद योगवारी नींद रैत आए, अपन ओरन घांईं नोंई। सो एक दार भगवान विष्णु चार मईना से तनक ज्यादा सो गए। चार मईना लौं शेषनाग जू ने उनको वजन ढो लओ, मनो चार मईना के आगे उनसे ढोओ ने जा रओ हतो। बे घबड़ा गए। उनको सरीर दुखन लगो। बे फुफकारन लगे। उनकी फुफकान से जहर निकरो जोन खों देख के देवता हरें डरा गए। उने लगो के जो विष्णु खों ने जगाओ गओ तो शेष नाग के जहर से तो तीनों लोक को राम नाम सत्त हो जैहे। सो उन्ने योगनिद्रा माई से प्रार्थना करी के आप विष्णु खों छोड़ो, जीसें बे जागें औ शेष नाग खों सहूरी आए। योगनिद्रा माई ने देवताओं की बात मान लई औ विष्णु जी खों छोड़ दओ। विष्णु जागे सो उन्ने शेषनाग की दसा देखी। बे घबड़ाए। उन्ने कई के अब हम तुमाए ऊपरे ने सोबी। सो, शेषनाग ने कई के भगवान ऐसो ने कओ, हमसे सेवा को मौको ने छीनों। बाकी जे तो आए के हम आप खों चार मईना से ज्यादा अपने ऊपरे सोआ नईं सकत। सो, आप मईना फिक्स कर लेओ औ असाढ़ से कातिक लौं हमाए ऊपरे खूब सोओ, बाकी फेर उठ जइयो। सो विष्णु ने शेषनाग की बात मान लई। सो एक किसां जे वारी सोई आए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘हऔ, जे बी भौतई मजे की किसां आए।’’ मैंने कई।
‘‘चलो अब तुम सुनाओ, तुम कोन सी किसां जानत आओ?’’ भौजी ने मोसे पूछी।
‘‘मोए दो किसां पता, एक तो बा पुरानी पुराणों वारी औ एक आजकाल की। दोई को बड़ो गहरो नातो आए।’’ मैंने कई।
‘‘का मतलब? आजकाल की किसां कोन सी आए?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘चलो, आप खों सुना रई ना मैं! पैले पुरानी वारी किसां सुनो आप। का भओ के एक बेरा भगवान विष्णु, ब्रह्मा औ शंकर जू बैठे बतकाव कर रै हते। सो, ब्रह्मा जू ने विष्णु से कई के- देखों तो हमने जा दुनिया बनाई मनो ईको सगरो कामकाज आपई देखत आओ। हम तो ठलुआ घांई बैठे रैत आएं। कभऊं हमें सोई चार्ज दे दओ करे। हम सोई कछू कमा-खा लेओ करें। ब्रह्मा जू की जा बात सुन के भोले बाबा भगवान शंकर सोई उचक परे। बे सोई कैन लगे के-ब्रह्मा जू सई कै रए। जे बनाबे वारे देवता आएं औ हम मिटाबे वारे। कऊं कछू ज्यादा हो रई हो तो हम ऊको मिटा के जा दुनिया में बैलेंस कर सकत आएं। मनो आप तो हमें मौका ई नई देत आओ। भगवान विष्णु ने ब्रह्मा औ शंकर जू की बात सुनी सो बे मुस्क्यान लगे औ बोले- ठीक कैत हो आप दोई। आप ओरें बी धरती को कामकाज देख लेओ करे। ईपे भोले बाबा बोले के-ऐसो नईं, हमाओ तो मईना फिक्स करो जाए। ईपे विष्णु ने कई के आपके लाने बरसात को चार मईना सबसे बढ़िया रैहे। आप इंद्र जू के संगे मिल के चाए बाढ़ लाओ, चाए पहाड़ धंसकाओ, मनो धरती को बैलेंस बनो चाइए। भोले बाबा ने बात मान लई। सो तभई से भगवान विष्णु चार मईना के लाने सोबे चले जात आएं औ उनके पांछू भोले बाबा उनकी धरती सम्हारत आएं। मनो विष्णु ठैरे चतुर, सो बे ऐसी वारी नींद नईं सोत आएं के उने कछू पतो ने परे, बे योग वारी नींद सोऊत आएं। जीसें जो भोले बाबा अपने भोलापने में कछू काज बिगार बैठें सो उने तुरतईं पतो पर जाए औ बे ऊको सुदार सकें। जा तो हती पुरानी वारी किसां अब सुनो आप नईं किसां। का आए के भोले बाबा शंकर जू भगवान चार मईना सबरे निर्माण वारे कामों की चैकिंग करत आएं। बा जे देखत आएं के इंसानों ने कोन सो काम ठीक करो आए औ कोन सो बिगारो आए। मनो, जो कऊं उनें रोड बनाबे में खोट मिलत आए, दरार दिखात आए तो बे उते की पूरी रोड मिटा के धर देत आएं। जां पहाड़न पे पेड़ काट-काट के खा लओ गओ रैत आए, उते भोले बाबा लात मार के देखत आएं के पहाड़ टिकबे जोग बचो के नईं? जेई से तो लैंड स्लाईडिंग होत आए। बे नईं चात आएं के एकई दार में पूरो पहाड़ टपक परे औ चार जने के पाप करे को फल चार हजार जने भुगतें औ मरें। सो भोले बाबा जे चार मईना बंधान, तला, नदी को पाट, सड़कें, पुल, मकान बगैरा सब कछू चैक करत फिरत रैत आएं। सो जे आए नईं वारी किसां।’’ मैंने भौजी खों दोई किसां सुना दई।
‘‘तुमरी घांईं चैकिंग करत फिरत आएं बे?’’ भौजी ने हंस के कई।
‘‘अरे कां भौजी! हम ओरें सो देख के लिखई सकत आएं बाकी बिगारबे वारों को कछू उखाड़ तो सकत नईयां। बाकी, बिगारे गए काम खों देख के जबे भोले बाबा को माथा भिन्नात आए तो बे सबई खों छठीं को दूद याद करा देत आएं। फेर सबरे रोऊत फिरत आएं औ बारिस खों हत्यारी कैन लगत आएं। जबके काम खुदई बिगारत आएं।’’ मैंने कई।
‘‘सई कई बिन्ना! जो सड़कन पे बड़े-बड़े गढ्ढा पर गए बे खराब ढंग से बनाबे के कारन परे, ने तो का इन्द्र देवता इते आ के सड़कन पे गढ्ढा खोद गए हते? चाए कोनऊं सहर होय, सबरे जिम्मेवारन खों अपनो घर भरबे की परी रैत आए, उने अपने काम की औ पब्लिक की कोनऊं फिकर नईं रैत।’’ भौजी बोलीं।
‘‘जेई से तो भोले बाबा को गुस्सा आ जात आए। चार मईना चैकिंग करत-करत उनको सोई मूंड़ पिरा जात हुइए। उने कऊं रोडन पे दरारें दिखात हुइएं, तो कऊं पुल हिलत भओ मिलत हुइए। औ बारिस में मचत भई गंदगी सो उनसे देखत ने बनत हुइए। जेई से बे गुस्सा रैत आएं। मोए तो लगत आए के कऊं एकाद बेरा बे सब खों सई से ठिकाने ने लगा देबें।’’ मैंने भौजी से कई।       
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लौं जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर ई बारे में के जो कऊं बाढ़ आऊत आए, के पुल टूटत आएं, के बंधान दरकत आएं तो ईके लाने जिम्मेवार को आए, इंद्र देव, के बे प्रसासन वारे खऊआ  हरें?  
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