बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
अपनो बुंदेलखंड नोनों आए के नईं?
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
‘‘अबई कछू दिनां पैले की बात आए, मोरे एक पैचान वारे कैन लगे के तुमाए बुंदेलखंड में कछू नईं धरो। हमाए स्टेट में देखों के उते सब कछू खास आए। उनकी जा बात मोए भौतई बुरई लगी। भले मोरो बंुदेलखंड पिछड़ो भओ आए मनो कोनऊ ईकी बुराई बताए तो मोए भौतई बुरौ लगत आए। आप ई सोचो के जो आपकी मताई करिया होए, गरीब होए, मों बोल के ने जानत होय तो का बा आपकी मताई ने रैहे? का आप ऊकी बुराई सुन सकत हो? आपई बताओ भैयाजी!’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘कभऊं नईं! हम तो ऐसो बोलबे वारे के मों पे दो ठूंसा दे के ऊको सुधार दैहें।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जी तो मोरो सोई ऐसई करो, बाकी मैंने गम्म खाई औ उनसे पूछी के तुमें ऐसो काए लग रओ के बुंदेलखंड में कछू खास नई आए? सब कछू तो आए इते। तुम तो सोई इते रै के कमा खा रए। मैंने उनसे कई।’’ मैं भैयाजी खों बतात जा रई हती।
‘‘फेर उन्ने का कई?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘बे तो ज्यादई अकड़ दिखा रए हते। बे कैन लगे के कमाबे की छोड़ो, हम ओरें तो बिदेस में जा के लौं कमा लेत आएं, जो तुमाओ बुंदेलखंड का आए! उन्ने जैसई जा गई सो मोरो जी फुंक गओ। मैंने उनसे कई के जे अब कछू ज्यादा सी नईं हो रई? जिते रै के कमा-खा रए, कम से कम उते की बुराई तो ने करो। मैंने उने दो-टूक समझाई।’’
‘‘फेर? फेर का बोले बे?’’
‘‘ने पूछो आप! बे कैन लगे के हमाए स्टेट ने बड़े-बड़े नेता दए, जा तुमाए बुंदेलखंड ने का दओ? जा सुन के मोसे ने रई गई। मैंने कई सुनो सयाने, ज्यादा ने गर्रयाओ! जे ऐसई अकड़ दिखाबे में तुम ओरन खों दूसरे स्टेट वारे भगात फिरत आएं। मोरी बात सुन के बे बोले, बा बात अलग आए। सो मैंने पूछी के बा बात अलग कैसे कहानी? सो बे कैन लगे के दूसरे स्टेट की छोड़ो, अपन ओरें तो बुंदेलखंड और मोरे स्टेट की बात कर रए, सो ओई में रओ। मैंने कई ठीक आए, ओई पे रैत आएं। अब तुम जे बताओ के तुम अपने स्टेट से बुंदेलखंड को कम कैसे कै रए? मोरे पूछबे पे बे मुस्क्यान लगे।’’
‘‘देख तो कैसो ढीठ आदमी आए? एक तो इते की बुराई बता रओ औ संगे मुस्क्या रओ! तुमे ओई टेम पे हमें फोन करने रओ, हम उतई आ के ऊको इत्तो कूटत के बा अपनी टांगन पे ने चल पातो।’’ भैयाजी भुट्टा से भुंजत भए बोले।
‘‘कछू नईं भैया! जी तो मोरो बी करो रओ के ऊको मूंड़ फोड़ देबें लेकन आगे की तो आप सुनो बा जो कै रओ तो, सांची कै रओ हतो। मोए ऊकी बात मानने परी।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हैं? जो का कै रईं? एक जने अपने बुंदेलखंड की बुराई बतात रओ औ तुम कै रईं के तुमें ऊकी बात माननी परी? तुमाई तबीयत तो ठीक आए?’’ भैयाजी को मूंड़ चकरा गओ।
‘‘हऔ, मोरी तबीयत ठीक आए! मोए कछू नई भओ।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘तो तुमने ऊकी बात काय मानी?’’ भैयाजी भारी गुस्सा में हते।
‘‘का करो जाए, ऊने बातई ऐसी करी।’’ मैंने कई।
‘‘ऐसई का बात कई ऊने?’’ भैयाजी को कछू समझ ने पर रई हती।
‘‘आगे की सुनो आप। फेर ऊने कई के हम अपने इते की खास-खास बा गिनात जा रए जो उते पाई जात आए औ तुम बोलत चलियो के बा सब तुमाए ई बुंदेलखंड में आए के नईं! मैंने ऊसे कई के हऔ चलो गिनाओ! सो सबसे पैले ऊने कई के जा तो मानत आओ के हमाए स्टेट ने बड़े-बड़े नेता दए। मैंने कई हऔ चलो मान लओ, पर इते बी कोनऊं छोटे नेता नई भए। सो बो कैन लगो के हमने कब कई के इते छोटे नेता भए? मैंने कई चलो औ गिनाओ। सो बा बोलो के हमाए इते के नेता पूरे ठुर्रा होत आएं, उते बात-बात पे गोलियां चलन लगत आएं, का तुमाए इते ऐसो होत आए? मैंने कई नईं। मोरे बुंदेलखंड में ऐसो नईयां। सबरे चुनाव में भले आमने-सामने मों चलात फिरें पर पांछू गलबहियां डार लेत आएं। इते सब हिलमिल के रैत आएं। ईपे बा बोलो के औ सुनो, हमाए इते के नेता हरें चारा भूसा सब कछू खा-पचा लेत आएं, का तुमाए इते के नेता ऐसो कर सकत आएं? मैंने कई के अबे लौं तो ऐसो कोनऊं मामलो सुने नई परो आए। हमाए इते इत्ते जंगल और पहाड़ आएं के इते लकड़िया कटबा के, गिट्टी-क्रशर चला के खाबो-पीबो हो जात आए तो इते चारा-भूसा खाबे की का जरूरत? ईपे ऊने कई के सो मान लओ ने तुमने के तुमाए बुंदेलखंड में जे दोई बातें नई होतीं! मैंने कई के हऔ मान लओ। औ बोलो! सो ऊने आगे कई के अब जे बताओ के का तुमाए इते मोड़ियन के ब्याओ के लाने मोड़ा खों अपहरण करो जात आए? मैंने कई नईं! सो बा बोलो के ठीक, अब जे बताओ के हमाए स्टेट में चुनाव टेम के पैलई से जित्तो दोंदरा मचत आए, उत्तो का तुमाए इते मचत आए? मैंने कई नईं। इते तो कई दार जे होत आए के पोलिंग बूथ के बायरे पार्टी के तम्बुअन में सबरे पार्टी के कार्यकर्ता संगे गुटखा खात दिखात आएं। पिछली चुनाव में तो जे भओ के मैं वोट डारबे गई तो मोरई मोहल्ला के दो भैया हरें एकई तम्बू में बैठे दिखाने। दोई संगे गुटखा चबा रए हते। मैं उते से निकरी तो दोई बोले के दीदीजू हमाई पार्टी को बटन दबाइयो। मैंने उनमें से एक से पूछी के तुमाई कोन सी पार्टी आए? सो बा अपनी बिरोधी वारी पार्टी को नांव बोल गओ। ऊके संग वारे ने ऊको टुच्ची मारी औ ऊसे कई के जो का कै रए, तुमाई पार्टी जो नईं, जे तो हमाई पार्टी आए। तुमाई तो बा वारी आए। बा खिसिया के हंस परो औ कैन लगो के का है दीदीजू, के अबे हम इनको दओ गुटखा खा रए, सो इन्हई की बजा रए। सो इते तो ऐसो माहौल में चुनाव होत आए। मैंने ऊको समझाई। तो बा बोलो के अब तुम बताओ के जोन खासियत हमाए स्टेट में आए बा तुमाए ई बुंदेलखंड में है का? हमने कई के नईं जे सब तो नईयां औ मोए ऐसी खासियत इते चाऊने बी नइयां। सो बा बोलो के जा बात अलग आए के तुमें जा सब चाऊने के नईं। बाकी जा सब तुमाए बुंदेलखंड में नइयां, जे तो मानत हो? सो मोए मानने ई परो। औ मैंने कई के तुम सई कै रए जे सब हमाए बुंदेलखंड में नइयां। सो जा बात भई ऊसे।’’ मैंने भैयाजी खों बताई।
‘‘हऔ सई तो कै रओ हतो बा।’’ भैयाजी सोई हामी भरत भए अपनो मूंड़ हिलाबे लगे।
‘‘अब बे ओरें बी का करें? उते जो कछू बिगरो भओ आए, बा उते की पब्लिक ने तो बिगारी नइयां। बे बी अपनई ओरों घांई आएं। बिगरे भए खों अच्छो कै के काम चलात रैत आएं।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘सई कई बिन्ना! अपने हुन्ना कां-कां से फटे जा अपनईं जानत आएं, दूसरों के आंगू तो जेई कैने परत आए के हमाए सबई हुन्ना साजे आएं। नए आएं। ने तो देखो बुंदेलखंड के विकास के नांव पे जित्ती लूट मचत रई, उत्तो जो कऊं काम हो गओ रैतो तो अबे अपनो सागर, छतरपुर बंगलुरु को पांछू छोड़ चुको रैतो।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ भैयाजी, बा टेम भला को भुला सकत आएं जबे सागर से भोपाल साढ़े तीन घंटा की जांगा आठ घंटा में पौंचत्ते। कछू जने तो डिराईवर से कैन लगत्ते के भैया रोड़ पे बस ने चलाओ, बाजू से खेत के कनारे-कनारे ले चलो, गड्ढा कम मिलहें।’’ मैंने भैयाजी कई।
‘‘सो का बा भूल सकत आएं के बिजली की कटौती को ऐसो टाईम टेबल बनाओ गओ रओ के मनो सागर से अपने चले छतरपुर या दमोए के लाने बिजली की लाईट में, औ उते गाड़ी से उतरे तो पता परी के उते कटौती को टेम शुरू हो गओ आए। अब अंदियारे में पौंचो कैसे पौंचत हो ठैरबे की जांगा पे।’’ भैयाजी बोले।
‘‘अरे, ऊ टेम की तो आप याद ई ने कराओ। ऊ टेम पे अपनी जेई कालोनी में सड़ी गर्मी के दिनन में जबे आधी रात खों कटौती शुरू हो जात्ती तो उन सबरे घरों से चें-चें, पें-पें सुनाई परन लगत्ती, जां छोटे बच्चा हते। छोटे-छोटे बच्चा गरमी से तड़फन लगत्ते। मोरे इते ओई टेम पे इंवर्टर खरीदो गओ रओ। सो बा इंवर्टर आज मोरे डिराइंग रूम में राजा साब की बंदूक से मारो गओ शेर की मुंडी की फी घांई लगत आए। ऊको देख के ऊ टेम को पूरो इतिहास याद आ जात आए।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘चलो, छोड़ो! उन्ने पैले सड़कें खोंदीं, बत्ती गुल करी औ फेर जेई लाने उनके खुदई गड्ढा खुद गए औ बत्ती गुल हो गई। अब बे कछू डिरामो कर लेंवे पर ई जनम में तो फेर के नई आ पा रए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘अब उमर बी तो कुल्ल हो चली उनकी। अब लोहरी दुलैया ले आबे से कोऊ लोहरो तो हो नई जात आए।’’ मैंने हंस के कई।
‘‘खूब कई तुमने।’’ भैयाजी सोई हंस परे।
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लौं जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर ई बारे में के अपनो बुंदेलखंड नोनों आए के नईं? तनक सोचियो ई की खूबियन के बारे में।
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