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29 सितम्बर, विश्व हृदय दिवस कहता है - दिल धड़कने दो !
- डाॅ. शरद सिंह ‘‘दिन लेना-दिल देना’’ जैसे रूमानीयत भरी बातें तो अकसर सुनने को मिलती रहती हैं लेकिन अगर दिल ही ख़तरे में पड़ जाए तो क्या होगा? जी हां, हर साल 17 मिलियन से अधिक लोग हृदय रोग से मर जाते हैं। इससे लड़ने के लिए ग्लोबल कम्युनिटी वल्र्ड हार्ट फेडरेशन ने ‘‘वल्र्ड हार्ट डे’’ यानी विश्व हदय दिवस मनाना तय किया। यह हर साल 29 सितंबर को आयोजित होने वाला एक ऐसा दिवस है जो दिल की बीमारियों से बचने की ओर ध्यान दिलाता है।
‘‘दिल दा मामला है’’, ‘‘दिल देना, दिल लेना ये सौदा खरा-खरा’’, ‘‘हाय मेरा दिन चुरा के ले गया चुराने वाला’’ आदि-आदि न जाने कितने फिल्मी गाने दिल को ले कर गाए जाते रहे हैं। लेकिन ये दिल असली ख़तरे में पड़ जाता है अगर इसे कोई बीमारी हो जाए। इश्क़ की बीमारी नहीं सीवीडी यानी कार्डियोवस्कुलर डिसीज़़ अर्थात् दिल की बीमारी। आमतौर पर दिल की बीमारी को लोग हार्ट अटैक के नाम से ही जानते हैं जबकि हार्ट अटैक हृदय से जुड़ी अन्य बीमारी की एक प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया मात्र होती है। दिल की बीमारियां कई तरह की होती हैं। कोरोनरी धमनी रोग यानी जिसे कोरोनरी हृदय रोग कहा जाता है, हृदय रोगों में बेहद आम रोग है, हाइपरटेंसिव हृदय रोग जो उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हृदय रोग होता है, रूमेटिक हृदय रोग जो यह बीमारी रुमैटिक फीवर से संबंधित होता है। आजकल हृदय की रक्त-धमनियों में वसा जमने से भी गंभी संकट उत्पन्न हो जाता है। हृदय रोग के प्रमुख कारण बताए जाते हैं- कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, धूम्रपान, शराब पीना, तनाव, मोटापा, उच्च रक्तचाप और आनुवांशिकता (हेरेडिटेरी) आदि।
देखा जाए तो आज के आधुनिक लाइफस्टाइल और अनियमित आहार के कारण 30 से 40 साल की उम्र में ही लोगों को दिल के रोग होने लगे हैं। यह समस्या इतनी आम हो चुकी है की हर परिवार में कोई न कोई सदस्य ह्रदय रोग से ग्रस्त है। यही नहीं बल्कि अब तो छोटी उम्र के बच्चे भी इस बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं। वर्तमान समय में अव्यवस्थति दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण एवं अन्य कारणों के चलते हृदय की समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। छोटी उम्र से लेकर बुजर्गों तक में हृदय से जुड़ी समस्याएं होना अब आम बात हो गई है। पूरे विश्व में हृदय के प्रति जागरूकता पैदा करने और हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से सम्पूर्ण विश्व में हर वर्ष 29 सितंबर को ‘‘विश्व हृदय दिवस’’ मनाया जाता है। विश्व हृदय दिवस मनाने की शुरूआत सन 2000 में की गई थी। इसकी शुरूआत के समय यह तय किया गया था, कि हर साल सितंबर माह के अंतिम रविवार को विश्व हृदय दिवस मनाया जाएगा। लेकिन 2014 में इसके लिए एक तारीख निर्धारित कर दी गई, जो 29 सितंबर थी। तभी से प्रतिवर्ष 29 सितंबर के दिन विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।
सन् 2016 में विश्व हृदय दिवस की थीम थी ‘‘पावर योर लाईफ’’(आपके जीवन की शक्ति), 2017 में ‘‘शेयर द पावर’’ (शक्ति साझा करें), 2018 में ‘‘मई हार्ट, योर हार्ट’’ (मेरा दिल, तुम्हारा दिल), 2019 में ‘‘फाॅर माई हार्ट, फाॅर योर हार्ट, फाॅर आॅल अवर हार्ट’’ (मेरे, तुम्हारे और सबके दिलों के लिए), 2020 में ‘‘यूज़ हार्ट टू बीट कार्डियोमस्क्यूलर डिसीज़’’ (हृदय रोगों को मात देने के लिए हृदय का प्रयोग) और इस वर्ष 2021 के लिए थीम है-‘‘यूज़ हार्ट टू कनेक्ट’’ (जुड़ने के लिए दिल का प्रयोग करें)। वर्ष 2021 के मुख्य उद्देश्य तय किया गया है-‘‘ विश्व स्तर पर सीवीडी के बारे में जागरूकता, रोकथाम और प्रबंधन में सुधार के लिए डिजिटल स्वास्थ्य की शक्ति का उपयोग करना।’’
भारत सहित दुनिया के सभी देशों के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि दिल के दौरे से हर वर्ष 1 करोड़ से भी अधिक लोगों की मौत हो जाती है, और इनमें से 50 प्रतिशत लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। अतः हृदय रोग मौत की एक प्रमुख कारण बन चुका है, जिसके लिए जागरूकता होना बेहद आवश्यक है। हृदयरोग के मरीजों की संख्या दुनियाभर में लगातार बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना महामारी समय में दिल की बीमारी लोगों को ज्यादा नुकसान पंहुचाया है, जिसकी वजह से कोविड-19 के डर से दिल के मरीज घर में ही रहने के लिए मजबूर रहे हैं। वहीं मरीज अपने रेगुलर चेकअप के लिए भी नहीं जा पा रहे थे।
गलत खानपान, हर वक्त तनाव में रहना और समय पर एक्सरसाइज न करने की वजह से ये बीमारी अक्सर होती है। दुनियाभर में अलग-अलग संस्थाएं इस दिन लोगों को जागरूक करती हैं। अगर समय रहते हृदय से जुड़ी समस्याओं पर काबू नहीं पाया गया, तो 2030 तक हर तीसरे इंसान की मौत का प्रमुख कारण हृदय रोग ही होगा। इसके लिए जरूरी है के हृदय के प्रति कुछ सावधानियां अपनाई जाए, और उनका सख्ती से पालन किया जाए। अधिकांश मामलों में हृदय रोग का प्रमुख कारण तनाव ही होता है और मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं भी हृदय रोगों को जन्म देती है। इन सभी बीमारियों से बचने के लिए स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना व सावधानी रखना अनिवार्य है। हार्ट फैलियर के कारण लीवर और गेस्ट्रोइंटेस्टनाइल सिस्टम सिकुड़ जाता है। इससे व्यक्ति को भूख नहीं लगती और हर वक्त उल्टी जैसा महसूस होता है। दिल की धड़कन तेज होना कमजोर दिल का लक्षण है। इस लक्षण को जल्द नहीं पहचाना जाए, तो कार्डियक डेथ तक हो सकती है। 35 से ज्यादा उम्र के युवाओं में भी इनएक्टिव लाइफस्टाइल और खाने की खराब आदतों के कारण दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ रहा है. पिछले 5 साल में दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. इनमें से अधिकांश 30-50 साल आयु वर्ग के पुरुष और महिलाएं हैं. लोगों के पास अपने शरीर और मन को स्वस्थ और शांत रखने के लिए समय ही नहीं है, जिस वजह से लोगों में कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं. हालांकि अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है, डॉक्टरों का कहना है कि अब लोगों को कम से कम आधे घंटे की एक्सरसाइज करनी चाहिए, थोड़ा बाहर घूमना चाहिए लेकिन कोविड से बचने के उपाय के साथ, वहीं नमक, चीनी और ट्रांस फैट वाली चीजें खाने से बचें. इससे दिल की बीमारी होने का खतरा कम होता है. हृदयरोग की गंभीरता को समझते हुए आपको उन आहारों को चुनना चाहिए, जो आपके दिल के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए सही हो. फास्ट फूड, जंक फूड, सिगरेट और शराब से दूरी बनाकर रखना चाहिए.
कार्डियोलोजिस्ट बताते हें कि हार्ट की बीमारी के लिए कोई विशेष उम्र नहीं होती है, लेकिन हमारी गतिहीन यानी इनएक्टिव लाइफस्टाइल के कारण 22 साल के व्यक्ति को भी हार्ट अटैक होने लगा है। लेकिन जो लोग कम उम्र में हार्ट अटैक का सामना करते हैं, उनमें बहुत ज्यादा रिस्क फैक्टर होते हैं। इसलिए हार्ट अटैक को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है 45 मिनट रोज एरोबिक फिजकल एक्टिविटी, ताजा फल और सब्जियों से भरपूर डाइट और धूम्रपान से बचने सहित हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाया जाए। जो हृदयरोग से पीड़ित हो, उसके लिए जरूरी है कि उसके पास हृदय से जुड़ी दवाइयों का स्टॉक हो। जरूरत हो तो अतिरिक्त दवाई मंगाकर रखे। लेकिन हर दवा हमेशा डॉक्टर की सलाह से और उसके निर्देशानुसार ही लें। दिल की बीमारियों से बचे रहने के लिए खानपान का ध्यान रखते हुए मौसमी फल और ताजा सब्जियां (उबली या पकी हुई), मौसमी फल और ताजा सब्जियों (उबले हुए या पकाया), होलमील रोटी या ब्रेड , सलाद, स्प्रोउट, सब्जियों का सूप, छाछ, पनीर, कम मात्रा में ताजा दूध और सीमित मात्रा में घी आदि का उपयोग किया जाना चाहिए। चीनी की जगह शहद और गुड़ का प्रयोग अच्छा होता हैं। आयुर्वेद के अनुसार आंवला दिल के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह ताजा लिया जा सकता है या फिर संरक्षित या पाउडर के रूप में भी ले सकते हैं। यह भी माना जाता है कि एक सप्ताह में कई बार तेल की या तेल के सिर की मालिश बहुत फायदेमंद है। सप्ताह में एक बार तेल के साथ पूरे शरीर की मालिश करना भी अच्छा होता है। इससे रक्तसंचार सुचारु रूप से होता रहता है और दिल की धमनियां ठीक काम करती रहती हैं। ध्यान रहे कि एक स्वस्थ दिल ही अच्छी लम्बे समय तक बेधड़क धड़क सकता है और जब दिल धड़कता रहेगा, तभी तो लिया और दिया जा सकेगा।
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(सागर दिनकर, 29.09.2021)
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