ब्लॉग साथियों,
इच्छा करना और उसे फलीभूत होते देखना, दोनों में बहुत अंतर होता है किंतु मेरे शहर में श्यामलम संस्था के कारण कुछ भी असंभव नहीं है। जब मेरे मन में यह विचार आया कि मैं वर्षा दीदी की स्मृति में युवा रचनाकारों के लिए एक सम्मान आरंभ करूं और यह बात मैंने अपने अग्रज उमाकांत मिश्र जी को बताइए तो उन्होंने कहा कि "ज़रूर!"... "यह अच्छा विचार है।" इसके बाद हमेशा की तरह सारा दायित्व उन्होंने अपने ऊपर ले लिया और आज मेरी वह इच्छा पूर्ण हुई, एक नई शुरुआत के साथ।
आज हिंदी दिवस के अवसर पर युवा आलोचक डॉ. सुजाता मिश्र को "डॉ वर्षा सिंह स्मृति युवा रचनाकार सम्मान" प्रदान करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई किंतु साथ ही यह मेरे लिए मानसिक रूप से तथा आत्मिक रूप से दुरूह कार्य था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि वर्षा दीदी की स्मृति में मुझे कोई आयोजन करना पड़ेगा। उनकी अनुपस्थिति की तो मैंने कभी कल्पना ही नहीं की थी। लेकिन आज मैं यही सोचती हूं कि भले ही वे शारीरिक रूप से मुझसे दूर चली गई हैं लेकिन आत्मिक रूप से सदा मेरे साथ है और मेरे साथ रहेंगी। उनकी स्मृति में डॉ. सुजाता मिश्र को सम्मानित किया जाना उन्हें भी सुखद लगेगा। क्योंकि युवा रचनाकारों में वे जिन खूबियों को देखना चाहती थीं, वे खूबियां सुजाता में मौजूद हैं। यदि उन्हें स्वयं चयन करना पड़ता तो वह सुजाता का ही चयन करतीं।
कार्यक्रम के दौरान वर्षा दीदी का परिचय पढ़ा प्रिय भाई डॉ विनोद तिवारी ने तथा सम्मानपत्र का वाचन किया कवि एवं राजनेता श्री आशीष ज्योतिषी ने।
मुझे प्रसन्नता है कि इस सम्मान समारोह के पहले सत्र के व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रुप में पधारे श्री ध्रुव शुक्ल इस सम्मान समारोह के भी साक्षी बने। व्यंग विधा के पुरोधा डॉ सुरेश आचार्य, विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अनिल तिवारी, आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ रोहित ने महत्वपूर्ण उद्बोधन दिए। स्वागत उद्बोधन दिया श्री उमाकांत मिश्र जी ने तथा कार्यक्रम का संचालन किया साहित्यकार डॉ अमर जैन ने। इस अवसर पर नगर के बुद्धिजीवियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
💐डॉ सुजाता मिश्रा एवं श्री माधव चंदेल को असीम हार्दिक शुभकामनाएं💐
🚩श्यामलम परिवार का हार्दिक आभार🚩
💴14.09.2022, शिक्षक दिवस📖
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