Dr Sharad Singh |
मेरा कॉलम "चर्चा प्लस" "दैनिक सागर दिनकर" में (10. 08. 2016) .....
My Column Charcha Plus in "Dainik Sagar Dinkar" .....
गाय पर राजनीति
- डॉ शरद सिंह
प्रधानमंत्री मोदी के कथन और विपक्षी दलों के आरोपों के बीच पशुपालकों के दायित्वों पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। गाय कोई आवारा पशु तो है नहीं, फिर पचासों गायें सड़कों और सब्जीमंडियों में घूमती, मार खाती दिखाई पड़ती हैं। इन गायों को आवारा पशुओं के समान कौन छोड़ देता है? इसका पता लगाया जाना भी जरूरी है। एक ओर गाय को माता का दर्जा देना और दूसरी ओर उसे डंडे, गालियां खाने और भूख से जूझने के लिए आवारा पशु के समान छोड़ देना किसी अपराध से कम नहीं है। सबसे पहले तो ऐसे गायपालकों को चिन्हित कर दंण्डित किया जाना चाहिए।
‘‘काऊ इज़ ए फोर फुटेड एनिमल। शी हेज़ टू हार्न एंड वन लांग टेल ...।’’ लगभग हर व्यक्ति ने जिसने कभी न कभी, किसी न किसी कक्षा में अंग्रेजी पढ़ी हो, ‘काऊ’ पर निबंध जरूर लिखा होगा। अंग्रेजी भाषा में निबंध लिखने के अभ्यास का यह सबसे लोकप्रिय निबंध माना जाता है। इसकी लोकप्रियता का मूल कारण है गाय का बच्चों का चिरपरिचित होना। भारतीय बच्चे गाय को बखूबी जानते, पहचानते हैं। उन्हें पता है कि गाय दूध देती हैं वह दूध उन्हें पीने को मिलता है और उस दूध से चाय भी बनती है। वे यह भी जानते हैं कि गाय को ‘‘माता’’ कहा जाता है। बच्चों को तो आज भी गाय माता ही लगती है लेकिन शायद बड़े भूलते जा रहा कि गाय से उनका क्या रिश्ता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अपने ‘टाउनहॉल’ कार्यक्रम में बोलते हुए अधिकांश गौरक्षकों को गोरखधंधे में लिप्त बताया। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग गौरक्षक के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं। मुझे इस पर बहुत गुस्सा आता है। कुछ लोग पूरी रात असमाजिक कार्यों में लिप्त रहते हैं और दिन में गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं. मैं राज्य सरकार से कहता हूं कि वे ऐसे लोगों का डोजियर बनाएं। ऐसे गौरक्षक में से 80 फीसदी लोग गोरखधंधे में लिप्त हैं।’’ उन्होंने गौरक्षकों से अपील की है कि वे गाय को प्लास्टिक खाने से बचाएं, ये बड़ी सेवा होगी।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कथन से पहले ही गाय पर राजनीति गरमाने लगी थी। जुलाई 2016 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने गुजरात में हो रही ‘सामाजिक क्रांति’ का समर्थन करते हुए कहा था कि गौ रक्षा के नाम पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वालों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। बिना किसी राजनीतिक दल का नाम लिए लालू ने ट्वीट किया, ‘‘गुजरात में हो रही सामाजिक क्रांति को समर्थन। ऐसे लोगों का आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार किया जाए, जो गौमाता के नाम पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ते हैं।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘जो व्यक्ति, पार्टी और सरकार इंसान की महत्ता एवं कीमत नहीं जानते, वह जानवरों की क्या जानेंगे? इंसान मरे या जानवर, वो अपना घिनौना खेल ही खेलेंगे।’’
प्रधानमंत्री मोदी के कथन और विपक्षी दलों के आरोपों के बीच पशुपालकों के दायित्वों पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। गाय कोई आवारा पशु तो है नहीं, फिर पचासों गायें सड़कों और सब्जीमंडियों में घूमती, मार खाती दिखाई पड़ती हैं। इन गायों को आवारा पशुओं के समान कौन छोड़ देता है? इसका पता लगाया जाना भी जरूरी है। एक ओर गाय को माता का दर्जा देना और दूसरी ओर उसे डंडे, गालियां खाने और भूख से जूझने के लिए आवारा पशु के समान छोड़ देना किसी अपराध से कम नहीं है। सबसे पहले तो ऐसे गायपालकों को चिन्हित कर दंण्डित किया जाना चाहिए।
‘‘काऊ इज़ ए फोर फुटेड एनिमल। शी हेज़ टू हार्न एंड वन लांग टेल ...।’’ लगभग हर व्यक्ति ने जिसने कभी न कभी, किसी न किसी कक्षा में अंग्रेजी पढ़ी हो, ‘काऊ’ पर निबंध जरूर लिखा होगा। अंग्रेजी भाषा में निबंध लिखने के अभ्यास का यह सबसे लोकप्रिय निबंध माना जाता है। इसकी लोकप्रियता का मूल कारण है गाय का बच्चों का चिरपरिचित होना। भारतीय बच्चे गाय को बखूबी जानते, पहचानते हैं। उन्हें पता है कि गाय दूध देती हैं वह दूध उन्हें पीने को मिलता है और उस दूध से चाय भी बनती है। वे यह भी जानते हैं कि गाय को ‘‘माता’’ कहा जाता है। बच्चों को तो आज भी गाय माता ही लगती है लेकिन शायद बड़े भूलते जा रहा कि गाय से उनका क्या रिश्ता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अपने ‘टाउनहॉल’ कार्यक्रम में बोलते हुए अधिकांश गौरक्षकों को गोरखधंधे में लिप्त बताया। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग गौरक्षक के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं। मुझे इस पर बहुत गुस्सा आता है। कुछ लोग पूरी रात असमाजिक कार्यों में लिप्त रहते हैं और दिन में गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं. मैं राज्य सरकार से कहता हूं कि वे ऐसे लोगों का डोजियर बनाएं। ऐसे गौरक्षक में से 80 फीसदी लोग गोरखधंधे में लिप्त हैं।’’ उन्होंने गौरक्षकों से अपील की है कि वे गाय को प्लास्टिक खाने से बचाएं, ये बड़ी सेवा होगी।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कथन से पहले ही गाय पर राजनीति गरमाने लगी थी। जुलाई 2016 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने गुजरात में हो रही ‘सामाजिक क्रांति’ का समर्थन करते हुए कहा था कि गौ रक्षा के नाम पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वालों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। बिना किसी राजनीतिक दल का नाम लिए लालू ने ट्वीट किया, ‘‘गुजरात में हो रही सामाजिक क्रांति को समर्थन। ऐसे लोगों का आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार किया जाए, जो गौमाता के नाम पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ते हैं।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘जो व्यक्ति, पार्टी और सरकार इंसान की महत्ता एवं कीमत नहीं जानते, वह जानवरों की क्या जानेंगे? इंसान मरे या जानवर, वो अपना घिनौना खेल ही खेलेंगे।’’
Charcha Plus Column of Dr Sharad Singh in "Sagar Dinkar" Daily News Paper |
आरजेडी अध्यक्ष ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी द्वारा विभिन्न अखबारों में ‘बीफ’ खाने के संबंध में दिए गए बयानों से संबंधित प्रकाशित कराए गए विज्ञापन को पोस्ट करते हुए लिखा, श्बिहार में उन्होंने गाय के नाम पर विज्ञापन निकाला। विज्ञापन में लालू, आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह तथा कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के ‘बीफ’ को लेकर दिए गए बयानों को जिक्र किया गया था और गाय को गले लगाते एक युवती की तस्वीर थी। विज्ञापन में कहा गया था, ‘‘वोट बैंक की राजनीति बंद कीजिए और जवाब दीजिए, क्या आप अपने साथियों के इन बयानों से सहमत हैं। जवाब नहीं तो वोट नहीं। बदलिए सरकार-बदलिए बिहार।’’
विभिन्न राज्यों के चुनावों और आगामी आमचुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राजनीतिक दल गाय पर अपनी-अपनी कमर कस चुका है। इनमें से अधिकांश को गायों की दुर्दशा से अधि इस मुद्दे को अधिक से अधिक भुनाने की कोशिश होने लगी है।
घटनाओं की कड़ियां
मार्च 2016 में गुजरात के राजकोट में गौ रक्षक समिति नाम के एक संगठन ने गाय को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करने और गोमांस पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की मांग करते कलेक्टर के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान आठ गौ संरक्षण कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से कीटनाशक खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई, जबकि तीन की हालत नाजुक बनी हुई है। पुलिस का कहना है कि गऊ रक्षक समिति के आठ सदस्य हाथों में कीटनाशक की बोतल लिए कलेक्टर के ऑफिस पहुंचे थे। पुलिस के मुताबिक, इससे पहले कि पुलिस उन्हें रोक पाती, उन्होंने कीटनाशक पी लिया। इस घटना के बाद गऊ रक्षक समिति के सदस्य बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। राजकोट से पूर्व कांग्रेस सांसद कुनवारजी बावलिया एवं गौसेवा आयोग के अध्यक्ष वल्लभाई कठीरिया घटना के बाद अस्पताल पहुंचे तो प्रदर्शनकारियों ने उन्हें अस्पताल परिसर में जाने से रोक दिया। घटना के विरोध में गौ रक्षक समिति ने गुजरात बंद का आह्वान किया।
जुलाई 2016 में दलित युवकों के कपड़े उतार कर बेरहमी से पिटाई के चलते सात दलितों ने गुजरात में आत्महत्या करने की कोशिश की। विरोध प्रदर्शन के बीच बसों में आग लगा दी गई। अहमदाबाद से करीब 360 किलोमीटर दूर उना में गो हत्या के आरोप में दलित युवकों कथित तौर पर गो-रक्षकों ने अर्धनग्न कर बुरी तरह मारा पीटा। विभिन्न जगहों पर हुई रैली में कथित तौर पर सात लोगों ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की। इस मसले को यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कल संसद में जोरशोर से उठाया। इसके बाद संसद में काफी हंगामा हुआ और राज्यसभा स्थगित कर दी गई। राजकोट में स्टेट ट्रांसपोर्ट की दो बसें जला दी गईं और एक जामनगर में जला दी गई।
चमड़े के कारखानों में काम करने वाले चार लोगों एक एसयूवी से बांधकर लाठियों से मारा गया। उनके कपड़े भी उतारे हुए थे। इन्हें मारे वाले खुद को गौ रक्षक बता रहे थे। बाद में खुद उन्होंने ही इस वीडियो को ऑनलाइन डाल दिया जो खूब वायरल हुआ। पीड़ित दलितों ने हमलावरों को बताया भी था कि वे केवल मरी हुआ गायों पर से चमड़ा निकाल रहे थे लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। पीटे गए दलित बुरी तरह जख्मी हुए और उन्हें हफ्ते भर हॉस्पिटल में भर्ती रखना पड़ा। तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने दलित समुदाय के सदस्यों की कथित पिटाई की घटना की सीआईडी जांच का सोमवार को आदेश दिया। साथ ही, उन्होंने मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत गठित किए जाने की भी घोषणा की। पीड़ितों के इलाज के लिए सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए सेंक्शन भी कर दिए गए।
प्रधानमंत्री के बयान और गौ रक्षक
नरेंद्र मोदी के गौरक्षकों को लेकर दिए बयान के बाद पंजाब में करीब 20 गौ रक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पीएम मोदी ने इन गौ रक्षकों के खिलाफ राज्य सरकारों से कार्रवाई करने की अपील की थी। इन पर 382, 384, 342, 341, 323, 148, 149 के तहत केस दर्ज किया गया। जयपुर में बनी हिंगोनिया गौशाला में पिछले दिनों 500 से ज्यादा गायें मर चुकी हैं। जो जिंदा हैं, वो भी बहुत खराब हालत में थीं। उन्हें ना तो समय पर चारा मिल रहा था। ना ही उनकी कोई देखभाल हो रही थी। गाय के नाम पर हो रही राजनीति के बाद राजस्थान सरकार सक्रिय हुई। राजस्थान के राज्य मंत्री गौशाला पहुंचे और गायों के लिए चारे पानी का इंतजाम कराया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से ब्रज के गौ रक्षक परेशान हो उठे। गौ रक्षकों का कहना है कि जैसा प्रधानमंत्री ने कहा है कि गौ रक्षक गायों को पालीथिन खाने से बचाएं, यह ठीक है, लेकिन इसके विपरीत जब कंटेनर गायों से लदा पकड़ा जाता है। इसमें दम घुटने से काफी गायें मृत मिलती हैं। मान मंदिर की माताजी गौशाला के सचिव सुनील के अनुसार, ‘‘पिछले दिनों गायों से भरे कंटेनर को पकड़ कर 32 गायों की जान बचाई थी। कॉल करने पर बरसाना पुलिस गांव हाथिया आने से एक बार इन्कार दिया था। बाद में आई थी। तीन गाय दम घुटने से मर चुकी थीं। मेवात के आसपास का 50 किमी का क्षेत्र भी गायों की तस्करी के लिए भी बदनाम है। गौ रक्षक हर महीने 500-700 गायों का जीवन बचा रहे हैं। ऐसे में पुलिस ने किसी गौ रक्षक का डोजियर बनाना शुरू कर दिया तो गौ रक्षा की मुहिम कमजोर पड़ सकती है।’’
सड़कों पर भटकती गऊ माताएं
प्रधानमंत्री मोदी के कथन और विपक्षी दलों के आरोपों के बीच पशुपालकों के दायित्वों पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। गाय कोई आवारा पशु तो है नहीं, फिर पचासों गायें सड़कों और सब्जीमंडियों में घूमती, मार खाती दिखाई पड़ती हैं। इन गायों को आवारा पशुओं के समान कौन छोड़ देता है? इसका पता लगाया जाना भी जरूरी है। एक ओर गाय को माता का दर्जा देना और दूसरी ओर उसे डंडे, गालियां खाने और भूख से जूझने के लिए आवारा पशु के समान छोड़ देना किसी अपराध से कम नहीं है। सबसे पहले तो ऐसे गायपालकों को चिन्हित कर दंण्डित किया जाना चाहिए। गायों को प्लास्टिक खाने से रोकना है तो उन्हें उनकी वास्तविक गौशाला दिलानी होगी। गायों की दुर्दशा पर सिर्फ़ आंसू बहाने अथवा किसी दल या जाति विशेष के सिर पर ठीकरा फोड़ने से कुछ नहीं होगा, यदि गायों के प्रति सचमुच हमदर्दी है तो उन मूक पशुओं की पीड़ा को समझना होगा उन्हें सड़कों भटकने से रोकने के उपाय करने होंगे।
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