चर्चा प्लस
हाय ! ये दर्ददेवा, जानलेवा स्पीड ब्रेकर्स
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
एक अनुसंधान के अनुसार भारत में 50 प्रतिशत दुर्घटनाएं स्पीडब्रेकर्स के पास होती हैं। एक न्यूज एजेंसी के आकड़ों के अनुसार हर दिन 30 दुर्घनाएं और 9 मौतें होती हैं। जबकि केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी स्वयं यह मानते हैं कि ‘‘यह समस्या पूरे देश में है। हमारे यहां हर रोड पर स्पीड ब्रेकर हैं जो कि आपकी हड्डियां तोड़ सकते हैं और आपके वाहन को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।’’ उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि वे राज्य सरकारों के लिखेंगे कि वे सुनिश्चित करें कि स्पीड ब्रेकर बनाते समय नियमों का पालन हो। किन्तु लगता है कि न राज्य प्रशासन और न स्थानीय प्रशासन इस ओर ध्यान देता है।
‘‘हे भगवान! इन बहुसंख्यक, बेढब स्पीडब्रेकर्स के झटकों से मुक्ति दिला!’’ - सच्चे और दुखी मन से ये प्रार्थना तब मुख से स्वतः फूट पड़ी जब एक ज़ोरदार झटका रीढ़ की हड्डी में लगा। स्कूटी के हैंडल थामें रखने की कोशिश में कलाइयों में टीस उठी, गोया लचक आ गई हो। चलिए विस्तार से बताती हूं। मैं अपनी स्कूटी ले कर अपने घर से निकली। हांलाकि यह बताना जरूरी नहीं है कि मेरा घर कहां है क्यों कि शहर के जिस भी जगह पर होगा, ये सारे स्पीडब्रेकर्स वहां भी खड़े मिलेंगे। घर से निकलने के बाद पीले मोड़ पर एक बेढब स्पीडब्रेकर। दूसरे मोड़ के बाद एक छिपा हुआ-सा (हिडेन) स्पीडब्रेकर। जिस पर दचका खाने के बाद ही पता चलता है कि यहां स्पीडब्रेकर था जिस पर ताज़ा-ताज़ा दचका खाया है। उससे आगे अगर सीधे जाओ तो एक और स्पीड ब्रेकर। उसके आगे वाले मोड़ के बाद एक और स्पडब्रेकर। उससे आगे क्रमशः तीन और स्पीडब्रेकर। उसमें तीसरे वाले ब्रेकर के पहले सड़क काट कर डाली गई पाईप लाईन को ढांकने के लिए बनाया गया कथित ब्रेकर। तीसरा ब्रेकर पहले बंप वाला यानी कूबड़ वाला हुआ करता था लेकिन अब उसका बंप यानी कूबड़ काट दिया गया है जिससे वह ऊबड़-खाबड़ ढांचा बन कर रह गया है, और भी अधिक झटका देने वाला। चूंकि उस क्षेत्र में स्कूल और मंदिर दोनों हैं अतः उस ब्रेकर के कुछ दूर पर एक और ब्रेकर है। उससे आगे एक और ब्रेकर है। अब अभी तक मैंने कितने ब्रेकर्स की चर्चा यहां की है, वह आप स्वयं गिन लीजिए क्योंकि ब्रेकर्स को गिनना मैंने छोड़ ही दिया है।
चलिए, फिर मैं एक बार अपने घर से निकलती हूं। दो ब्रेकर्स पार करने के बाद सीधे रस्ते पर न जा कर उस दूसरे रस्ते की ओर से मुख्य मार्ग की ओर बढ़ती हूं जो एक तिराहे जैसा है। उस तिराहे पर इतना बड़ा स्पीड ब्रेकर है कि मत पूछिए। दरअसल वहां नाली में पानी के निकास के लिए एक बड़ा पाईप डाला गया। उस पाईप को जमीन में नीचे धंसाने की बजाए ऐसे ढंग से लगा दिया गया कि वह लगभग आधा ऊपर रह गया। उसी पर से सड़क बना दी गई। उसे देख कर यह तय करना मुश्किल है कि वह स्पीड ब्रेकर है या गाड़ी ब्रेकर?
खैर, यह तो हुए दो रास्ते। तीसरा रास्ता है उस ओर का जहां साप्ताहिक हाट भरता है। रास्ता अच्छा बनाया गया लेकिन उसके मुहाने पर दो कूबड़ वाला ब्रेकर किस खुशी में बनाया गया, यह समझना कठिन है। बहरहाल, यह तो था एक नमूना जिसका मुझे लगभग रोज सामना करना पड़ता है। शहर में अनेक मोहल्लों और स्थानों पर यही हाल है। उस पर करेला और नीम चढ़ा वाली बात ये है कि जिसके भी मन में आता है, यानी जो तनिक भी रसूख वाला है तो वह अपने घर के आगे एक स्पीडब्रेकर जरूर बनवा लेता है। फिर वह सड़क काट कर पाईप डालने और उस पाईप को छिपाने के लिए ब्रेकर जैसे दिए गए आकार तो सड़कों पर राज करते ही रहते हैं।
चलिए अब दृष्टिपात करते हैं कि दरअसल स्पीडब्रेकर्स होने कैसे चाहिए? क्योंकि स्पीडब्रेकर्स राहचलने वालों की सुरक्षा के लिए होते हैं अतः इनका होना जरूरी है लेकिन कितना जरूरी है? कहां होना चाहि? और कैसा होना चाहिए? साथ ही कैसे होना चाहिए? इन सारे प्रश्नों पर विचार करना भी जरूरी है।
स्पीड ब्रेकर एक महत्वपूर्ण सड़क सुरक्षा सुविधा है जिसे दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वाहन की गति को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह विभिन्न आकारों और डिजाइनों में उपलब्ध है, जैसे 1 एम रबर रोड हंप, 3 एम स्पीड ब्रेकर, 6 एम स्पीड रंबलर, 12 एम स्पीड बम्पर और 18 एम स्पीड हंप। मानक स्पीड ब्रेकर के लिए इंडियन रोड कांग्रेस की गाइडलाइन के अनुसार स्पीड ब्रेकर की अधिकतम ऊंचाई 4 इंच होनी चाहिए। ब्रेकर के दोनों ओर 2-2 मीटर का स्लोप दिया जाए ताकि वाहन स्लो होकर बगैर झटका खाए निकल जाए। 6 से 8 इंच तक ऊंचाई वाले और बगैर स्लोप के ब्रेकर नहीं बनाए जाने चाहिए।
स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर व वृत्ताकार रेडियस 17 सेंटीमीटर हो। स्पीड ब्रेकर बनाने का मकसद वाहनों की स्पीड 20 से 25 किलोमीटर करना। स्पीड ब्रेकर पर थर्मो प्लॉस्टिक पैंट से पट्टियां बनाई जानी चाहिए, जिससे वाहन चालकों को रात में भी दिखे। वाहन चालक को अलर्ट करने के लिए ब्रेकर से 40 मीटर पहले चेतावनी बोर्ड लगा होना चाहिए। स्पीड ब्रेकर अर्थात स्पीड बम्प का मुख्य उद्देश्य लोगों की गति धीमी करना है। यह उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है जहां दुर्घटना की ंसभावना अधिक रहती है। नियमकायदे से लगाए गए स्पीड बम्प क्रॉसिंग, प्रवेश और निकास, तीखे मोड़ आदि से पहले तेज गति से चलने वाले वाहनों को रोक सकते हैं। इससे दुर्घटनाओं को बड़े पैमाने पर रोकने में मदद मिलती है।
1906 में चौथम, न्यू जर्सी में स्पीड बम्प का एक प्रारंभिक रूप लागू किया गया था। ड्राइवरों की गति को कम करने के लिए श्रमिकों ने क्रॉसवॉक को पांच इंच ऊपर उठाया। हालाँकि, आधुनिक स्पीड बम्प 1950 के दशक में पेश किए गए थे। स्पीड बम्प गंभीर खतरे पैदा करते हैं और अक्सर मोटरसाइकिल चालकों, स्कूटर चालकों, साइकिल चालकों आदि के लिए घातक होते हैं । वे रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाते हैं और पुराने पीठ दर्द को बढ़ाते हैं । बसों में खड़े लोगों को कई बार काफी चोटें आई हैं। स्पीड बम्प और स्पीड हंप में क्या अंतर है? स्पीड बम्प और स्पीड हंप एक ही समस्या के अलग-अलग दृष्टिकोण हैंय वाहनों की गति धीमी करना. स्पीड बंप स्पीड हंप की तुलना में ऊंचाई में थोड़े छोटे लेकिन लंबे होते हैं, जबकि स्पीड बंप ऊंचे होते हैं और पार्किंग स्थल में पाए जाने की अधिक संभावना होती है। काले और पीले रबर स्पीड हंप, जिन्हें ज्यूडर बार या स्पीड बम्प के रूप में भी जाना जाता है, वाहनों को धीमा करने और यातायात को धीमा करने के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
लोग घरों के सामने वाहनों की गति नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह स्पीड ब्रेकर बना लेते हैं। नियम के तहत सड़क पर मनमाने स्पीड ब्रेकर नहीं बनाए जा सकते हैं। नगर पंचायत क्षेत्र की गलियों में लोगों अनाधिकृत तौर पर स्पीड ब्रेकर बनवा लेते हैं। इन स्पीड ब्रेकर्स के कारण वाहन सवार गिरकर चोटिल होते रहते हैं।
भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) की ब्रेकर निर्माण को लेकर गाइड लाइन है। इसमें यह ध्यान दिया गया है कि सड़क पर स्पीड ब्रेकर की लंबाई, चैड़ाई और ऊंचाई का स्लोप इस तरह बनाया जाए, जिससे वाहन की स्पीड तो कम करनी पड़े, लेकिन चालकों को हिचकोले या झटके नहीं लगें। सड़क पर खासकर मोटर साइकिल या स्कूटर से चलने वाले लोगों को हरदम दुर्घटना का खतरा बना रहता है। वजह स्पीड ब्रेकर में कोई संकेतक तो होता नहीं इसलिए रात को कोई मोटर साइकिल या स्कूटर सवार इस सड़क से गुजरता है।
स्पीड ब्रेकर्स पर किसी भी तरक का इंडीकेटर लगाने का होश किसी को नहीं रहता है। मुख्य चैराहों एवं मुख्य मार्गों के स्पीडब्रेकर्स पर ही पेंट या प्लारिूटक स्टिकर आदि से स्पीड बंप के ऊपर संकेतक लगे रहते हैं अन्यथा शेष स्पीड बंप्स पर कोई संकेतक अथवा इंडीकेटर नहीं लगा रहता है जिससे वे पहले से दिखाई नहीं देते हैं और उन पर उचकना तय रहता है।
नियम तो यह है कि स्पीडबंप्स नगरनिकाय के अंतर्गत तयशुदा मानक के आधार पर सड़क निर्माण वालों को बनाना चाहिए। कोई भी नागरिक नगरनिकाय यानी नगर पालिका अथवा नगर निगम अथवा नगर महापालिक निगम से अनुमति लिए बिना स्पीडबंप नहीं बनवा सकता है। ऐसा कोई भी निर्माण अवैधानिक माना जाएगा। स्पड बंप का निर्माण एक्सपर्ट के निर्देशन में निर्धारिक मानकों के अनुरूप ही बनाया जाए।
पर्याप्त स्लोप के बिना बनाए जाने वाले स्पीडबंप वाहनों और वाहन चालकों दोनों के लिए घातक होते हैं। दूर से कोई निशान न बने होने के कारण छह से आठ इंच ऊंचे स्पीड ब्रेकरों के कारण अचानक ब्रेक लगाने से हादसे का डर रहता है। यदि स्पीड कम किए बिना निकले तो तेजी से बाइक उछलती है और पीठ में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह स्पीड ब्रेकर बाइकों को भी बीमार बना रहे हैं। जानकारों अनुसार ब्रेकर से लगने वाले झटके से बाइक या कार के कलपुर्जों को नुकसान पहुंचता है। शॉकर एवं इंजन पर इसका विपरीत असर पड़ता है। बारिश के दिनों में गलियों में पानी भर जाने से संकेतकविहीन स्पीड ब्रेकर दिखाई नहीं देंते हैं और लोग हादसे का शिकार होते रहते हैंे। बिना मानक एवं बिना संकेतक के बने स्पीडबंप इतने खड़े हुए होते हैं कि कई बार तो पैदल चलने वाले भी उससे अपट जाते यानी ठोकर खाकर गिर पड़ते हैं।
साइटकेयर हाॅस्पिटल के वरिष्ठ सलाहकार न्यूरोसर्जन डॉ. शैलेश एवी राव के अनुसार- स्पीड बम्प गंभीर खतरे पैदा करते हैं और अक्सर मोटरसाइकिल चालकों, स्कूटर चालकों, साइकिल चालकों आदि के लिए घातक होते हैं। वे रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाते हैं और पुराने पीठ दर्द को बढ़ा देते हैं। बसों में खड़े लोगों को कई बार काफी चोटें आई हैं। डाॅ. राव इसके लिए समाधान भी सुझाते हैं। उनके अनुसार स्पीड बंप के स्थान पर स्पीड टेबल का प्रयोग किया जाना चाहिए। स्पीड टेबल या फ्लैट टॉप कूबड़ या उठा हुआ पैदल यात्री क्रॉसिंग को बीच में एक सपाट खंड के साथ एक लंबी गति कूबड़ के रूप में डिजाइन किया जाता है। आमतौर पर अग्निशमन विभागों द्वारा स्पीड कूबड़ की तुलना में इन्हें प्राथमिकता दी जाती है। स्पीड टेबल का उपयोग अक्सर विशिष्ट आवासीय गति सीमा वाली सड़कों पर किया जाता है। स्पीड टेबल को पैदल यात्री क्रॉसिंग, अर्थात् जेबरा क्रॉसिंग के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी स्वयं यह मानते हैं कि, ‘‘यह समस्या पूरे देश में है। हमारे यहां हर रोड पर स्पीड ब्रेकर हैं जो कि आपकी हड्डियां तोड़ सकते हैं और आपके वाहन को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।श् उन्होंने बातचीत में बताया कि वह राज्य सरकारों के लिखेंगे कि वे सुनिश्चित करें कि स्पीड ब्रेकर बनाते समय नियमों का पालन हो। गडकरी ने कहा कि मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि स्पीड ब्रेकर एक निश्चित स्थान पर सोच-विचार कर बनाया जाए। ग्रामीण इलाकों में हर 100 मीटर पर एक स्पीड ब्रेकर बना मिलता है। ऐसा ज्यादातर रिहायशी इलाकों में होता है। कई जगहों पर लोग ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए ईंटों की मदद से डीआईवाई बंप्स (हाथ से बने स्पीड ब्रेकर) बना देते हैं।
दरअसल, हम नागरिक स्पीड ब्रेकर अथवा स्पीड बंप पर रोज झटके खाते हैं। कमर दर्द और सर्वाइकल के दर्द को रोना रोते हैं लेकिन इन ब्रेकर्स के अनियमित निर्माण की ओर न तो ध्यान देते हैं और न इन्हें रोके जाने की दिशा में साहस जुटाते हैं। प्रशासन तो इनकी अनदेखी करता ही रहता है। जो काम प्रशासन अथवा नागरिक सुधार सकते हैं उनके लिए भी भगवान से प्रार्थना करने की हमारी आदत-सी पड़ गई है। इसी लिए तो आए दिन स्पीडब्रेकर्स पर जोर का झटका लगने पर यही मुंह से निकलता है-‘‘‘हे भगवान! इन बहुसंख्यक, बेढब स्पीड ब्रेकर के झटकों से मुक्ति दिला!’’
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