Saturday, February 10, 2024

टॉपिक एक्सपर्ट | पत्रिका | जे कछू ज्यादा नईं हो रई? | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पत्रिका | टॉपिक एक्सपर्ट | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली में
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टाॅपिक एक्सपर्ट
जे कछू ज्यादा नईं हो रई?
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
             डेयरी वारे के पशुअन के लाने ठौर-ठिकाना जमा दओ गओ आए। जे बात औ के सालेक हो गईं मनो सगरी डेयरी शहर के बाहरे ने जा पाई। खैर, सो कभऊं ने कभऊं चलई जैहें, पर इन आवारा पशुअन को का करो जा रओ? इनके ने तो कोऊं धनी-धोरी औ ने कोनऊं ठिकानों। अब हम का बताएं आप ओरन के लाने अपनो दुखड़ा। का है के हमाई कॉलोनी में सोई आवारा पशु मने कुत्ता, गइया-गरुआ छु्ट्टा फिरत रैत आएं। एक दिनां पैले का भओ के तनक धूप निकरी हती, सो हमने सोची के बाहरे अपने दोरे पे बैठ के अखबार पढ़ो जाए। अबे हमने अखबार को पैलई पन्ना ने पढ़ पाओ रओ के एक लोहरी सी बछिया आ ठाढ़ी भई। बा कॉलोनी भरे में फिरबे वारी, ठुकैली-पिटैली। ऊने एक झटका में हमाए हाथ से अख़बार खेंच लओ औ चबान लगी। हमने 'हट-हट' करी, सो ऊने आखबार ले के दौड़ लगा दई। मनो ज्यादा दूर नईं, सिरफ दो घर आगे लों। जैसे ऊको पता होए के उते लों हमें नईं पौंचने। जे सीन देख के हमाई एक पड़ोसन बतान लगीं के एक दिनां एक बैलवा उनके मोड़ा की स्कूल की बुकें खा गओ रओ।
    जे तो कछू नईं, रात के अंदियारे में कारिया गऊ माता हरें जमराज सी बीच सड़क पे बैठी रैत आएं। औ अपने भैया हरें कछू ज्यादई सयाने ठैरे। उन ओरन खों चाइए के आवारा गऊ माता हरों खों कऊं गऊशाला में भिजवाएं, सो नईं, बे तो गइयन के सींगन पे रेडियम लगा के मनो उने आवारा फिरबे को लाईसेंस दए दे रए। काय भैया नगरनिगम औ नगरपालिका वारों, जे कछू ज्यादा नईं हो रई?
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