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डॉ शरद सिंह |
विगत 31 मई 2012 को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) के पर्यावरण विभाग ‘‘संस्कृति को सहेजतीं बोलियां’’ विषय के अंतर्गत ‘‘बुन्देली बोली और लोक संस्कृति’’ विषय पर डॉ शरद सिंह ने अपना व्याख्यान दिया। यह सेमिनार आकाशवाणी लखनऊ के पचहत्तरवें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।
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प्रो.स्वतंत्र कुमार, कुलपति, गुरुकुल कांगड़ी
विश्वविद्यालय, हरिद्वार डॉ.शरद सिंह को ‘स्मृति चिन्ह’ भेंट करते हुए। | | |
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श्री गुलाबचंद,
अतिरिक्त महानिदेशक (मक्षे), आकाशवाणी लखनऊ एवं डॉ.शरद सिंह
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कुलपति, गुरुकुल कांगड़ी
विश्वविद्यालय, हरिद्वार, श्री गुलाबचंद,
अतिरिक्त महानिदेशक (मक्षे), आकाशवाणी लखनऊ एवं डॉ.शरद सिंह
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डॉ.शरद सिंह तथा (पीछे का पंक्ति) में
कवि बुद्धिनाथ मिश्र एवं कवि माहेश्वर तिवारी।
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डॉ.शरद सिंह एवं अन्य कवि, वक्तागण |
एक ब्लॉगर के रूप में आपसे परिचय तो था ही, इन आलेखों से आपके व्यक्तित्व के अन्य आयामों से भी परिचय हो रहा है।
ReplyDeleteक्या बात है! वाह! बहुत-बहुत बधाई डॉ. साहिबा आपके इस व्यक्तित्व को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है
ReplyDeleteयह भी देखें प्लीज शायद पसन्द आए
छुपा खंजर नही देखा
बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई
ReplyDeleteरामगढ में मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से।
वाह ही बधाई.
ReplyDeleteवाह! आपको देख कर ही अच्छा लगता है.
ReplyDeleteसुनकर तो बहुत ही अच्छा लगता.
ब्लॉग पर एक वीडियो भी आपके व्याख्यान की होती तो
बहुत अच्छा होता.