Wednesday, July 18, 2018

व्हाट्सएप्प को घातक हथियार बना रहा है ‘मॉब लिंचिंग’ - डॉ. शरद सिंह .. चर्चा प्लस

Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस : 
   व्हाट्सएप्प को घातक हथियार बना रहा है ‘मॉब लिंचिंग’
   - डॉ. शरद सिंह
जहां एक ओर दुनिया में भारत की एक सुदृढ़ और प्रभावी राष्ट्र की छवि बनने की आया की जा रही है, वहीं मॉब
लिंचिंग द्वारा किसी निर्दोष की नृशंसतापूर्वक हत्या की जा रही हो तो दुनिया तो उंगली उठाएगी ही। जब बेंगलुरु में गूगल का सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंधी भीड़ की हैवानीयत का शिकार होता है तो अमेरिकी न्यूज एजेंसी तत्काल आंकड़ा देती है कि मई 2018 तक 25 निर्दोष व्यक्ति मॉब लिंचिंग में अपने प्राण गवां चुके हैं और इसमें व्हाट्सएप्प पर फैलाई गई अफवाह की अहम भूमिका रही। अब यदि इस तथ्य को सिर्फ़ यह कह कर ठुकरा दिया जाए कि अमेरिका में भी हत्याएं होती हैं, तो यह भीरुता ही होगी। ऐसी घटनाएं जघन्य हैं और इन्हें राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में उलझा कर इनकी गंभीरता की अनदेखी नहीं की जा सकती है।  
Charcha Plus - Whatsapp Ko Ghatak Hathiyar Bana Raha Hai Mob Lyching  - Charcha Plus Column by Dr Sharad Singh
    ‘मॉब
लिंचिंग’ अर्थात् अफवाह के आधार पर भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को नृशंसतापूर्वक जान से मार डालना। बच्चा चोरी की अफवाहों के चलते पीट-पीट कर मार डालने की घटनाओं में एक घटना और जुड़ गई जब कर्नाटक के बीदर जिले में बच्चा चोरी के शक में चार युवकों पर भीड़ ने हमला बोल दिया जिनमें एक की मौत हो गई।  बच्चा चोर के शक में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने का एक और मामला सामने आया है। कर्नाटक में बीदर जिले के एक गांव में शुक्रवार को भीड़ ने हैदराबाद निवासी और गूगल में कार्यरत सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोहम्मद आजम उस्मानसाब की हत्या कर दी, जबकि उसके तीन दोस्त घायल हो गए। मारे गए युवक की उम्र मात्र 28-30 वर्ष थी। उसकी हत्या के साथ ही समाप्त हो गए उसके और उसके परिवार के सपने, खुशियां और भविष्य। वे तीन दोस्त थे जिनमें एक कतर निवासी मोहम्मद सलहम था जो उसका कजिन था। वह छुट्टियां मनाने भारत आया था। हैदराबाद लौटते समय वे तस्वीरें खींचने के लिए एक छोटे से गांव के पास रुक गए। वहां कुछ स्कूली बच्चों को देखकर उन्होंने उन्हें चॉकलेट खाने के लिए दीं। यह चॉकलेट सलहम कतर से लाया था। एक विदेशी समेत कुछ अजनबियों द्वारा बच्चों को चॉकलेट देने पर स्थानीय लोगों ने उन्हें बच्चा चोर समझ लिया। इस बीच उनकी तस्वीरें वाट्सएप ग्रुप में फैल गईं। मारे गए युवक का कसूर यही था कि वह दुर्भावनाग्रस्त किसी ऐसे व्यक्ति के व्हाट्सएप्प मैसेज का शिकार हो गया जो निर्दोषों को मार कर अराजकता का माहौल खड़ा करना चाहता था। व्हाट्सएप्प मैसेज को वायरल करने और उसे सच मान लेने वाले जुनूनी इंसानों का भी विवेक मानो मर गया था जो उन्होंने एक पल को भी नहीं सोचा कि यह ख़बर सच है या नहीं? यदि उस ख़बर के सच होने का अंदेशा था भी, तो मात्र संदेह के आधार पर किसी को पीट-पीट कर मार डालने का अधिकार किसी को भी नहीं है। देश में आखिर कानून व्यवस्था भी तो है और कानून व्यवस्था की हालत इतनी भी खराब नहीं है कि उसे पूरी तरह अविश्वास के कटघरे में खड़ा कर दिया जाए। आखिर वह कानून व्यवस्था ही है जिसने इस नृशंस हत्या के अपराध में 30 लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में वाट्सएप ग्रुप का एक एडमिनिस्ट्रेटर भी शामिल है। उसने ही बच्चा चोर गिरोह के बारे में अफवाह फैलाई थी और भीड़ को उकसाया था। साथ ही उस व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया जिसने हमले की तस्वीरें खीचीं थीं और उन्हें फैलाया था।
इस घटना ने सारी दुनिया के सामने भारत की छवि को जबर्दस्त धक्का पहुंचाया है। अमेरिकी न्यूज एजेंसी सीएनएन ने याद दिलाया कि मई माह तक भारत में 25 लोग मॉब लिचिंग के शिकार हो चुके है। सीएनएन के अनुसार पिछले साल 134 मिलियन स्मार्टफोन भारत में बिके जिसके चलते हर तीसरे भारतीय के पास स्मार्टफोन मौजूद है। ब्रिटिश न्यूज एजेंसी बीबीसी ने इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से समाचार जारी किया कि ये संदेश एक स्थानीय व्यक्ति ने भेजा था। उस व्यक्ति ने व्हाट्सएप्प पर संदेश भेजा था, “लाल कार में जा रहे इन लोगों को बच के न जाने दिया जाए, ये बच्चा चोर हैं।“ इस संदेश के साथ बच्चों को चॉकलेट बांट रहे चार लोगों का वीडियो भी था। ये संदेश कर्नाटक के बीदर ज़िले के मुरकी और आसपास के गांवों में व्हाट्सएप्प समूहों में भेजा गया था। स्वयं भारतीय समाचार चैनल एनडीटीवी ने भयावह आंकड़े सामने रखे कि एक साल के भीतर भारत के नौ राज्यों में व्हॉट्सएप्प पर बच्चा चोरी की अफवाहों के कारण 27 मासूम लोगों को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। एक आंकड़ा और कि एक ही तारीख 17 मई 2018, जिस दिन झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में बच्चा चोरी की अफ़वाहों के बीच दो जगहों पर उग्र भीड़ ने छह लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
जर्मन न्यूज एजेंसी डॉचवैले ने मॉब लिचिंग के विरोध में किए गए एक प्रदर्शन की तख़्ती की फोटो के साथ बेंगलुरु की घटना को जारी किया। तख़्ती पर लिखा था-‘‘वी वुंट लेट हिन्दुस्तान बिकम लिंचिस्तान। वी शेल डिफेण्ड द ह्यूमेनिटी टिल द वेरी एण्ड’’। अर्थात् ‘‘हम हिन्दुस्तान को
लिंचिस्तान नहीं बनने देंगे। हम अंतिम दम तक मानवता की रक्षा करेंगे।’’ जब कोई विदेशी न्यूज ऐजेंसी इस तरह के समाचार सप्रमाण प्रकाशित या प्रमाणित करे तो देश का सिर शर्म से झुकना स्वाभाविक है।
ऐसे समाचारों का प्रतिकार करने अथवा लज्जित होने से समस्या सुलझने वाली नहीं है। वस्तुतः ढूंढना होगा उन कारणों को जो इस तरह की घटनाओं के पीछे निहित हैं। पता लगाना होगा उन अवसरवादियों का जो अपनी दुर्भावना को पूरा करने के लिए व्हाट्सएप्प जैसे लोगों को लोगों को जोड़ने वाले साधन को लोगों के खिलाफ एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। सचेत रहना होगा उन ग्रुप मेंबर्स को जो अपने एडमिन पर भरोसा करके अपराध के सहभागी बन बैठते हैं। कोई भी ऐसी अफवाह यदि व्हाट्एप्प के माध्यम से फोन पर आए तो उसे पुलिस के पास कम्प्लेंट के रूप में फार्वर्ड कर देना बेहतर होगा। लेकिन बहुत से लोग पुलिस से दूर रहना ही पसंद करते हैं, ऐसे लोग को चाहिए कि वे संदिग्ध मैसेज को तत्काल डिलीट कर दे। लगातार इस तरह की हिंसक घटनाओं के बाद तो होश आ ही जाना चाहिए। जब व्हाट्सएप्प उपयोगकर्त्ता सजग रहेंगे तो ऐसी नृशंस घटनाएं भी नहीं घट सकेंगी।
हिंसक और अराजकता फैलाने वाले मैसेज को वायरल करने से पहले एक पल ठहर कर सोचना जरूरी है कि दूर दूसरे शहर में मौजूद कोई अपना परिचित या कोई परिवारजन भी कभी ऐसी उन्मादी भीड़ का शिकार हो सकता है, यदि ऐसी घटनाएं नहीं थमीं तो।    
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