Dr (Miss) Sharad Singh |
चर्चा प्लस
... और वे निकल पड़ीं सड़कों पर आधी रात को
- डॉ. शरद सिंह
सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार देने का ऐतिहासिक फैसला रविवार को लागू कर दिया गया। वे आधी रात को सड़कों पर निकल पड़ीं अपनी खुशी को प्रकट करनेके लिए। स्पष्ट है कि उस देश में महिलाएं अधिकार पाती जा रही हैं जहां सदियों से औरतों के अधिकारों के बारे में ठीक से सोचा भी नहीं गया। लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने वाली साउदी अरब की महिलाओं ने गोया दुनिया भर के देशों को समझा दिया है कि यदि देश का अर्थतंत्र सुदृढ़ करना है तो महिलाओं की क्षमता पर विश्वास करना सीखना होगा और उन्हें सड़ी-गली रूढ़ियां से आजाद करना होगा।
- डॉ. शरद सिंह
सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार देने का ऐतिहासिक फैसला रविवार को लागू कर दिया गया। वे आधी रात को सड़कों पर निकल पड़ीं अपनी खुशी को प्रकट करनेके लिए। स्पष्ट है कि उस देश में महिलाएं अधिकार पाती जा रही हैं जहां सदियों से औरतों के अधिकारों के बारे में ठीक से सोचा भी नहीं गया। लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने वाली साउदी अरब की महिलाओं ने गोया दुनिया भर के देशों को समझा दिया है कि यदि देश का अर्थतंत्र सुदृढ़ करना है तो महिलाओं की क्षमता पर विश्वास करना सीखना होगा और उन्हें सड़ी-गली रूढ़ियां से आजाद करना होगा।
Charcha Plus -Aur Ve Nikal Padi Sadakon Pr Adhi Raat Ko - Charcha Plus Column by Dr Sharad Singh |
सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार देने का ऐतिहासिक फैसला 24 जून 2018 को लागू कर दिया गया। स्मरण रहे कि यह ऐतिहासिक फैसला कोई सरकारी रियायत या सामाजिक उपकार नहीं है। इसके लिए साउदी महिलाओं ने अट्ठाईस वर्ष लम्बा संघर्ष किया। इसकी शुरुआत तब हुई थी जब सऊदी की 40 महिलाओं ने नवंबर 1990 में रियाद में एक साथ गाड़ी चलाई। यह प्रतिबंध के खिलाफ पहली बार सार्वजनिक तौर पर विरोध था। इन महिलाओं को एक दिन के लिए जेल हुई और साथ ही पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया था।
सितंबर 2007 में महिला ऐक्टिविस्ट्स ने तत्कालीन किंग अब्दुल्लाह को ड्राइविंग से बैन हटाने के लिए 1000 हस्ताक्षरों के साथ एक याचिका दी। इसके बाद मार्च 2008 में वजेहा-अल हुवैदर नाम की एक ऐक्टिविस्ट ने यू-ट्यूब पर गाड़ी चलाते हुए एक विडियो पोस्ट किया। जून 2011 को फेसबुक पर ‘वूमेन टू ड्राईव’ नाम का कैंपेन लॉन्च किया गया। इससे भड़क कर सरकार की ओर से कठोर कदम उठाए गए और महिलाओं की ड्राइविंग से जुड़े 70 केस दर्ज किए गए। कुछ को गिरफ्तार भी किया गया। इस भी महिलाएं न डरीं और न रुकीं। अक्टूबर 2013 को दर्जनों महिलाओं ने ड्राइविंग करते हुए अपनी फोटो और विडियोज ऑनलाइन शेयर किए। संघर्ष जारी रहा। नवंबर 2014 में ऐक्टिविस्ट लूजा इन हथलाउल और मायसा अल अमूदी को 73 दिनों तक हिरासत में रखा गया। यूएई से सऊदी अरब तक ड्राइव करने की कोशिश के बाद इन पर आतंकवाद से जुड़े अपराध दर्ज किए गए। महिलाओं द्वारा अपना सांर्ष जारी रखने और लगातार मांग किए जाते रहने पर किंग सलमान ने मामले को अपने संज्ञान में लिया और सितंबर 2017 को महिलाओं के ड्राइविंग को मंजूरी का आदेश दिया। फिर भी इसे लागू होने में लगभग नौ माह लग गए। अंततः 24 जून 2018 को महिलाओं को ड्राइविंग सीट मिल ही गई।
साउदी महिलाओं ने इस फैसले को सही ठहराने वाला एक धमाकेदार उदाहरण भी दुनिया के सामने रख दिया। सऊदी अरब में महिलाओं के ड्राइविंग करने पर लगा प्रतिबंध हटने के बाद साउदी महिला असील अल हमद फॉर्मूला वन कार चलाने वाली पहली महिला बन गईं। उन्होंने यह उपलब्धि फ्रांस में हासिल की। असील ने फ्रेंच ग्रां प्री से पहले ‘ले कास्टेलेट सर्किट’ पर यह कार चलाई। एफ वन टीम रैनो ने उन्हें यह अवसर दिया। असील रैनो टीम की ’पैशन परेड’ का हिस्सा हैं। सऊदी अरब की मोटर स्पोर्ट्स की पहली महिला सदस्य असील वही कार चलाती दिखीं जिससे 2012 में अबू धाबी में किमी राइकोनेन ने जीत दर्ज की थी।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का यह फैसला देश के सबसे बड़े सामाजिक सुधारों में से एक है। यह उनके तेल पर अर्थव्यवस्था की निर्भरता खत्म करने की योजना का भी मुख्य हिस्सा है। दाऊद बताते हैं कि अगर हर साल देश में महिलाओं के रोजगार से जुड़ने का आंकड़ा एक प्रतिशत भी रहता है तो यह श्रमिक बाज़ार में हर साल 70,000 और महिलाओं को जोड़ेगा। महिलाओं की भागीदारी आर्थिक विकास दर में 0.9 प्रतिशत का योगदान देगी। अकेले इस फैसले से तेल पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश सऊदी को अरबों डॉलर की कमाई होगी। बताया जा रहा है कि साल 2030 तक अकेले इतनी कमाई होने की उम्मीद है जितनी सरकारी कंपनी अरमाको के 5 प्रतिशत शेयर को बेचने से होने वाली है। विगत वर्ष सितंबर में किंग सलमान ने अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान द्वारा सुधारों को लागू किए जाने के बाद महिलाओं के ड्राइविंग पर लगे बैन को हटाने का आदेश दिया था।
सरकार के इस फैसले के बाद रविवार को महिलाएं व्यस्त सड़क पर वाहन चलाती नजर आईं। रियाद में गाड़ियों के काफिले के साथ भी महिलाएं देखी गईं। इस फैसले के साथ ही दुनिया में अब ऐसा कोई देश नहीं बचा है, जहां महिलाओं की ड्राइविंग पर रोक हो। दुनिया भर की महिलाओं ने सऊदी अरब के इस फैसले का खुल कर स्वागत किया। सऊदी अरब के इस फैसले को वहां के आर्थिक जगत में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि के रूप में देखा जा रहा है। दुबई में रहने वाले और ब्लूमबर्ग में मध्य पूर्व के चीफ अर्थशास्त्री के रूप में काम करने वाले जियाद दाऊद ने इस पर बताया, ’ड्राइविंग से बैन हटाने पर नौकरी करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि के आसार हैं, इससे पेशेवरों की संख्या बढ़ेंगी और यह कुल आय में वृद्धि करेगा।’ ब्लूमबर्ग इकनॉमिक्स के मुताबिक, इस फैसले से 2030 तक सऊदी 90 अरब डॉलर से ज्यादा कमा सकता है। साउदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फालिह ने भी माना है कि बैन हटाने का मतलब है कि महिलाएं और अधिक सशक्त होंगी। नौकरी के क्षेत्र में उनकी भागीदारी और बढ़ेगी, ऐसे में मुझे लगता है कि यह फैसला देश में महिलाओं के रोजगार को बढ़ाने में योगदान देगा।
लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने वाली साउदी अरब की महिलाओं ने गोया दुनिया भर के देशों को समझा दिया है कि यदि देश का अर्थतंत्र सुदृढ़ करना है तो महिलाओं की क्षमता पर विश्वास करना सीखना होगा और उन्हें सड़ीगली रूढ़ियां से आजाद करना होगा।
------------------(दैनिक सागर दिनकर, 28.06.2018 ) ---------------------------
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