Dr (Miss) Sharad Singh |
चर्चा प्लस
बच्चियों की सुरक्षा के लिए लेने होंगे कठोर निर्णय
- डॉ. शरद सिंह
भोपाल, फिर मंदसौर और अब सतना .... बच्चियों की उम्र चार से छः वर्ष और बलात्कार जैसा जघन्य अपराध, वह भी बर्बरता की सारी सीमाएं तोड़ते हुए। चार से छः वर्ष की जिस उम्र में नन्हीं बच्चियां सही ढंग से गुड्डे-गुड़ियों से भी नहीं खेल पाती हैं, उस उम्र में उन्हें जिस दरिंदगी का शिकार बनाया जा रहा है, यह किसी भी प्रकार से क्षम्य नहीं है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि वे पूरा प्रयास करेंगे कि ऐसे बलात्कारियों को फांसी की सजा दी जाए। यही मांग कर रही है आम जनता भी। कठोर दंड ही अंकुश लगा सकता है इस जघन्य अपराध पर।
बच्चियों की सुरक्षा के लिए लेने होंगे कठोर निर्णय
- डॉ. शरद सिंह
भोपाल, फिर मंदसौर और अब सतना .... बच्चियों की उम्र चार से छः वर्ष और बलात्कार जैसा जघन्य अपराध, वह भी बर्बरता की सारी सीमाएं तोड़ते हुए। चार से छः वर्ष की जिस उम्र में नन्हीं बच्चियां सही ढंग से गुड्डे-गुड़ियों से भी नहीं खेल पाती हैं, उस उम्र में उन्हें जिस दरिंदगी का शिकार बनाया जा रहा है, यह किसी भी प्रकार से क्षम्य नहीं है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि वे पूरा प्रयास करेंगे कि ऐसे बलात्कारियों को फांसी की सजा दी जाए। यही मांग कर रही है आम जनता भी। कठोर दंड ही अंकुश लगा सकता है इस जघन्य अपराध पर।
Charcha Plus -Bachchiyo Ki Suraksha Ke Liye Lene Honge Kathor Nirnay - Charcha Plus Column by Dr Sharad Singh |
मंदसौर
की घटना के घाव अभी ताज़ा ही थे कि सतना में एक और वारदात हो गई। मानो
बलात्कारियों ने मानवता को तो कही दफ्न कर दिया है और उनके मन में कानून का
भय रह नहीं गया है। अपराध अन्वेषण ब्यूरो की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार
बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है। प्रदेश में
बलात्कारियों के हौसले इतने बुलन्द है कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुछ
अरसा पहले एक नन्हीं बच्ची को बलात्कारी अपनी दरिंदगी का शिकार बना कर एक
मंत्री के आवास के पास फेंक गया।
पिछले कुछ समय में इस तरह के अपराध तेजी से बढ़े हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में सात साल की बच्ची के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के बाद सतना जिले में चार साल की मासूम के साथ एक दरिंदे ने हैवानियत की। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, उचेहरा थाने के नजदीक परसमनिया पठार इलाके में चार साल की एक बच्ची सोमवार को गंभीर हालत में पाई गई। बच्ची अपने आंगन में सो रही थी, तभी आरोपी महेंद्र सिंह (23) मासूम को अपने साथ ले गया और दुष्कर्म के बाद जब उसे लगा कि बच्ची की जान चली गई है, तो उसे निर्जन स्थान पर फेंककर भाग गया। बेटी के लापता होने पर परिजन और गांव वाले उसे तलाशने निकले तो वह गंभीर हालत में मिली। उसे अस्पताल ले जाया गया। गांव वालों ने आरोपी की खोजा और उसकी पिटाई करने के बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया। बताया जाता है कि उक्त आरोपी युवक संविदा शिक्षक के पद पर कार्य कर चुका है जो कि और अधिक चिंतनीय बात है। यदि शिक्षाजगत में ऐसे अपराधी मानसिकता वाले व्यक्ति काम करेंगे तो नाबालिगों पर हमेशा अपराध का साया मंडराता रहेगा।
कठुआ की घटना से द्रवित मेनका गांधी पॉक्सो यानी यौन उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण के क़ानून में अब बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा जोड़ने की अपील की थी। इससे पहले बीजेपी शासित तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में नाबालिग से बलात्कार पर क़ानून बना चुकी है। इस संदर्भ में कुछ लोगों ने प्रश्न उठाए थे कि बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा होगी तो मुजरिम डरेंगे यह सच है लेकिन फांसी कैसे होगी? क्या किसी सुनवाई के बिना किसी को फांसी की सज़ा सुनाई जा सकती है? किसी को फांसी देने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आरोपी सचमुच बलात्कारी है या नहीं? जैसे उन्नाव के मामले में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने कहा था कि उनके पास आरोपी के खि़लाफ़ कोई सबूत नहीं है. तो बिना किसी सबूत के किसी को कैसे फांसी दे सकते हैं ? लेकिन यह भी विचारणीय है कि ऐसे मामलों में पुलिस के दायित्व को कम कर के नहीं आंका जा सकता हैं गवाह और सबूत पुलिस जुटाती है। यह उसका काम है। यदि कोई प्रबल राजनीतिक दबाव न हो तो वह अपने कर्त्तव्य को भली-भांति निभाती है। बेहतर यह है कि बलात्कारियों के बचने के रास्तें ढूंढने के बजाए पुलिस का मनोबल बढ़ाया जाए जिससे वह तपरता से सबूत जुटा सके। जब सबूत होंगे तो बलात्कारी को फांसी के फंदे से कोई नहीं बचा सकेगा।
आए दिन बढ़ती जा रही बलात्कार की घटनाओं को देखते हुए कड़े-से कड़ा दंड जरूरी हो चला हैं एक ऐसा दंड जिससे अपराधी अपराध करने से पहले सौ बार सोचे। भोपाल, फिर मंदसौर और अब सतना....बच्चियों की उम्र चार से छः वर्ष और बलात्कार जैसा जघन्य अपराध, वह भी बर्बरता की सारी सीमाएं तोड़ते हुए। चार से छः वर्ष की जिस उम्र में नन्हीं बच्चियां सही ढंग से गुड्डे-गुड़ियों से भी नहीं खेल पाती हैं, उस उम्र में उन्हें जिस दरिंदगी का शिकार बनाया जा रहा है, यह किसी भी प्रकार से क्षम्य नहीं है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि वे पूरा प्रयास करेंगे कि ऐसे बलात्कारियों को फांसी की सजा दी जाए। यही मांग कर रही है आम जनता भी। कठोर दंड ही अंकुश लगा सकता है इस जघन्य अपराध पर।
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(दैनिक सागर दिनकर, 04.07.2018 )
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पिछले कुछ समय में इस तरह के अपराध तेजी से बढ़े हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में सात साल की बच्ची के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के बाद सतना जिले में चार साल की मासूम के साथ एक दरिंदे ने हैवानियत की। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, उचेहरा थाने के नजदीक परसमनिया पठार इलाके में चार साल की एक बच्ची सोमवार को गंभीर हालत में पाई गई। बच्ची अपने आंगन में सो रही थी, तभी आरोपी महेंद्र सिंह (23) मासूम को अपने साथ ले गया और दुष्कर्म के बाद जब उसे लगा कि बच्ची की जान चली गई है, तो उसे निर्जन स्थान पर फेंककर भाग गया। बेटी के लापता होने पर परिजन और गांव वाले उसे तलाशने निकले तो वह गंभीर हालत में मिली। उसे अस्पताल ले जाया गया। गांव वालों ने आरोपी की खोजा और उसकी पिटाई करने के बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया। बताया जाता है कि उक्त आरोपी युवक संविदा शिक्षक के पद पर कार्य कर चुका है जो कि और अधिक चिंतनीय बात है। यदि शिक्षाजगत में ऐसे अपराधी मानसिकता वाले व्यक्ति काम करेंगे तो नाबालिगों पर हमेशा अपराध का साया मंडराता रहेगा।
कठुआ की घटना से द्रवित मेनका गांधी पॉक्सो यानी यौन उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण के क़ानून में अब बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा जोड़ने की अपील की थी। इससे पहले बीजेपी शासित तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में नाबालिग से बलात्कार पर क़ानून बना चुकी है। इस संदर्भ में कुछ लोगों ने प्रश्न उठाए थे कि बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा होगी तो मुजरिम डरेंगे यह सच है लेकिन फांसी कैसे होगी? क्या किसी सुनवाई के बिना किसी को फांसी की सज़ा सुनाई जा सकती है? किसी को फांसी देने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आरोपी सचमुच बलात्कारी है या नहीं? जैसे उन्नाव के मामले में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने कहा था कि उनके पास आरोपी के खि़लाफ़ कोई सबूत नहीं है. तो बिना किसी सबूत के किसी को कैसे फांसी दे सकते हैं ? लेकिन यह भी विचारणीय है कि ऐसे मामलों में पुलिस के दायित्व को कम कर के नहीं आंका जा सकता हैं गवाह और सबूत पुलिस जुटाती है। यह उसका काम है। यदि कोई प्रबल राजनीतिक दबाव न हो तो वह अपने कर्त्तव्य को भली-भांति निभाती है। बेहतर यह है कि बलात्कारियों के बचने के रास्तें ढूंढने के बजाए पुलिस का मनोबल बढ़ाया जाए जिससे वह तपरता से सबूत जुटा सके। जब सबूत होंगे तो बलात्कारी को फांसी के फंदे से कोई नहीं बचा सकेगा।
आए दिन बढ़ती जा रही बलात्कार की घटनाओं को देखते हुए कड़े-से कड़ा दंड जरूरी हो चला हैं एक ऐसा दंड जिससे अपराधी अपराध करने से पहले सौ बार सोचे। भोपाल, फिर मंदसौर और अब सतना....बच्चियों की उम्र चार से छः वर्ष और बलात्कार जैसा जघन्य अपराध, वह भी बर्बरता की सारी सीमाएं तोड़ते हुए। चार से छः वर्ष की जिस उम्र में नन्हीं बच्चियां सही ढंग से गुड्डे-गुड़ियों से भी नहीं खेल पाती हैं, उस उम्र में उन्हें जिस दरिंदगी का शिकार बनाया जा रहा है, यह किसी भी प्रकार से क्षम्य नहीं है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि वे पूरा प्रयास करेंगे कि ऐसे बलात्कारियों को फांसी की सजा दी जाए। यही मांग कर रही है आम जनता भी। कठोर दंड ही अंकुश लगा सकता है इस जघन्य अपराध पर।
(दैनिक सागर दिनकर, 04.07.2018 )
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ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, पॉवर पॉईंट प्रेजेंटेशन - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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