Wednesday, June 12, 2019

world environment day 2019 : पहले वृक्ष काट दिए और अब कर रहे पर्यावरण की चिंता, ऐसे में कैसे मिलेगी शुद्ध हवा - डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
विश्व पर्यावरण दिवस पर Patrika.com ने मेरे लेख को प्रकाशित कर जो डिज़िटल प्लेटफार्म दिया है उसके लिए मै Patrika.com की हृदय से आभारी हूं।
https://www.patrika.com/sagar-news/world-environment-day-2019-how-to-reduce-air-pollution-4669006/?fbclid=IwAR2wXgjIThaFA_Z30YsysggfHm8Yotwl8WQzbRJdgINeKqGi3eExE5626M8 


डॉ. शरद सिंह. सागर. विश्व पर्यावरण दिवस हर वर्ष पांच जून को मनाया जाता है। इस वर्ष भी मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा थीम तय की गई है- वायु प्रदूषण। इसी थीम के आधार पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। इसके साथ ही मंत्रालय इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कितना कंट्रास्ट और विरोधाभासी है न यह सब? एक ओर देश का आधे से अधिक हिस्सा पेयजल की किल्लत से जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर उत्सवी वातावरण में पर्यावरण पर चिंतन किया जा रहा है। गोया हम अपने उत्सवधर्मिता के दायरे से बाहर आए बिना कुछ सोच ही नहीं सकते हैं। वहीं चीन अपने संसाधनों को हरसंभव बचाते हुए हमसे तेजी से आगे निकलता जा रहा है। इसीलिए वर्ष 2019 के लिए विगत 15 मार्च 2018 को को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण परियोजना कार्यालय की कार्यवाहक कार्यकारी प्रमुख जॉइसी म्सुया के साथ केन्या की राजधानी नैरोबी में संयुक्त रुप से चीन को मेजबान घोषित किया गया।
फेसबुक पेज लाइक कर पढ़ें खबरें और देखें वीडियो
अत: इस वर्ष चीन पर्यावरण दिवस के आयोजन का मेजबान देश बनाया गया है। इस अवसर पर म्सुया ने कहा था कि 'वायु प्रदूषण के मुकाबले में चीन ने बड़ी नेतृत्वकारी शक्ति दिखाई। इसी क्षेत्र में चीन विश्व में और बड़े कदम उठाने में मददगार सिद्ध होगा। चीन वैश्विक अभियान का नेतृत्व करेगा, ताकि लाखों प्राणियों के प्राण बचाए जा सके।
world environment day 2019 how to reduce air pollution

दुनिया भर में बढ़ते प्रदूषण और उसको रोकने के उपायों पर ध्यान देने और उन उपायों को लागू करने के मकसद से विश्व पर्यावरण दिवस हर साल मनाया जाता है। एक बार फिर हम आज चिंतन कर रहे हैं बढ़ते हुए वायु प्रदूषण पर। यह चिंतन ठीक इसी प्रकार है कि पहले हमने चिकित्सकों को काम से हटा दिया और फिर मरीज की चिंता करने जुटे हैं। जी हां, वायु प्रदूषण पर सबसे अधिक नियंत्रण करने वाले प्राकृतिक तत्व हैं वृक्ष। लेकिन हमने अपने कांक्रीट का साम्राज्य बढ़ाने के लिए वृक्षों को कटने दिया और आज उम्मीद कर रहे हैं कि हमें शुद्ध वायु मिले। गंदगी से बजबजाते खुले नालों और कूड़े के ढेरों को देखते हुए भी हम आशा करते हैं कि हमें शुद्ध वायु मिले। यह स्वयं को छलने से बढ़कर और यदि कुछ है तो वह अपराध है जो हम अपने आने वाली पीढ़ी के प्रति कर रहे हैं।
और खबरों, आलेख के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएं
भारत में वाहन संबंधी वायु प्रदूषण के कारण अकेले वर्ष 2015 में साढ़े तीन लाख दमा का शिकार बने थे। दुनिया की प्रतिष्ठित चिकित्सा पत्रिका 'द लांसेट प्लैनटेरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी। अध्ययन में 194 देशों और दुनिया भर के 125 प्रमुख शहरों को शामिल किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार प्रति वर्ष बच्चों में दमा के दस में से एक से ज्यादा मामले वाहन संबंधी प्रदूषण के होते हैं। इन मामलों में से 92 प्रतिशत मामले ऐसे क्षेत्रों के रहते हैं, जहां यातायात प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देश स्तर से नीचे है। उसी दौरान अमेरिका स्थित जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ सुसान अनेनबर्ग ने इस रिपोर्ट पर बात करते हुए मीडिया से कहा था कि हमारे निष्कर्षों से पता लगा है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से होने वाला प्रदूषण बचपन में दमा की बीमारी के लिए ज्यादा जिम्मेदार है। यह विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की सांद्रता से जुड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश पर पुनर्विचार करने की जरूरत है तथा यातायात उत्सर्जन को कम करने के लिए भी एक लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए।
world environment day 2019 how to reduce air pollution
क्या इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद हमारे देश में वायु प्रदूषण के आधार पर वाहनों के रख-रखाव अथवा प्रदूषण नियंत्रण के प्रति कोई जागरूकता सामने आई? बस, एक ठोस कदम यह उठाया गया कि 15 वर्ष से पुराने वाहनों को सड़क पर निषिद्ध कर दिया गया। जबकि वाहनों की संख्या में सौगुनी वृद्धि हुई। भारत में बहुप्रचतिल वाहनों में मुख्यत: पेट्रोल एवं डीजल का ईंधन रूप में उपयोग होता है। इन वाहनों से निकलनेवाले धुंए में कार्बन-डाई-ऑक्साइड, कार्बन-मोनो-आक्साइड जैसी विषैली गैसे होती हैं, जो मानव एवं जीव जन्तुओं के स्वास्थ्य के लिए घातक होती हैं। वायु में निरन्तर घुलते भारी जहर के कारण लोगों को श्वासजनित बीमारियां हो जाती हैं। इनमें से अनेक लाइलाज होती हैं। वाहनों के धुएं से आंखों में जलन होना तो आम बात है।
वाहनों का धुआं इनकी साइलेन्सर की नली के छोर से निकलता है, जिसका मुंह वाहनों के पीछे की ओर रहता है। पीछे की ओर हवा में जहरीले पदार्थ घुलते जाते हैं। और फिर इस नली का मुंह नीचे ओर झुका होने के कारण धुएं का तेज झोंका पहले सड़क पर टकराता है और अपने साथ सड़क की गन्दी धूल को भी लेकर हवा में उड़ाकर जहरीले तत्वों को कई गुना बढ़ा देता है। लोगों की नाक में यह धुआं एवं गन्दी धूल घुसकर घातक प्रभाव डालती है। सबसे घातक स्थिति होती है, जब चौराहों पर लाल बत्ती होने के कारण प्रतीक्षारत वाहन खड़े रहते हैं तो उनका इंजन स्टार्ट रहता है तथा उनसे निकलता धुआं इतना अधिक गहरा होता जाता है कि आंखों में जलन होने के साथ साथ खांसी भी आने लगती है। चौराहों पर यातायात पुलिस कर्मियों की स्थिति आत्मघातियों जैसी बनी रहती है।
world environment day 2019 how to reduce air pollution

हम अपने शहरों और बस्तियों में कारों की बाढ़ ले आए लेकिन हमने आज भी कारपूल करना नहीं सीखा। जबकि कारपूल वह पद्धति है जिसमें एक ही दफ्तर अथवा एक ही दिशा में जाने वाले कर्मचारी एक ही कार का साझा उपयोग करते हैं। प्रतिदिन किसी एक की कार का उपयोग होता है जिससे ईंधन की खपत कम होती है और सड़कों पर गाडिय़ों की संख्या में भी कमी आती है। इस पद्धति में किसी एक व्यक्ति पर बोझ भी नहीं पड़ता है। किंतु दिखावा पसंद हम कारों की बढ़त के खतरों को अनदेखा कर के अपने ऐश्वर्य का प्रदर्शन करने में अधिक विश्वास रखते हैं।
आज जब लगभग हर पच्चीसवें घर की एक न एक संतान अपनी रोजगार देने वाली कंपनियों के सौजन्य से विदेशों के स्वच्छ वातावरण में कुछ दिन बिताकर आती है और उनके माता-पिता भी टूर पैकेज में विदेश यात्राएं कर लेते हैं। वहां से लौट कर वे विदेशों में स्वच्छता के किस्से तो बड़ी धूमधाम से सुनते हैं किंतु उनमें से बिरले ही एकाध ऐसा संवेदनशील निकलता है जो विदेशों में स्वच्छता से प्रभावित हो कर अपने शहर, गांव या कस्बे को साफ-सुथरा रखने की पहल करता हो। हमारे देश में हर घर में आंगन का कंसेप्ट हुआ करता था जिसमें एक न एक छायादार बड़ा वृक्ष लगाया जाता था किन्तु अब इस तरह मकानों को अतिक्रमण करते हुए फैला दिया जाता है कि घर का मुख्यद्वार ही सड़क पर खुलता है। इस तरह हमाने अपने जीवनरक्षक वृक्ष को अपने घर से काट कर फेंक दिया है।
world environment day 2019 how to reduce air pollution

नदियां जो गांवों और शहरों की गंदगी को बारिश के पानी के साथ बहा कर दूर ले जाता करती थीं, उन्हें भी हमारी लापरवाहियों ने सुखा दिया है। गंगा में औद्योगिक कारखानों का ज़हर घुलता रहता है और शेष में सीवेज की गंदगी घुलती रहती है। गंदे पानी से उठने वाली बदबू वायु को शुद्ध कैसे बनाए रख सकती हैं? झील एवं तालाबों की सतह पर जब गंदगी की पत्र्तें फैल जाती हैं तो जलजीव भी दम घुटने से मरने लगते हैं। मरे हुए जलजीवों की दुर्गंध भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण बनती है।
कवि कालिदास के साथ जुड़ा एक किस्सा है कि वे जिस डाल पर बैठे थे उसे ही काट रहे थे, इस बात से बेखबर कि डाल कटने पर वे गिर जाएंगे। हम भी कुछ ऐसा ही तो कर रहे हैं। जो पर्यावरण हमें जीवन देता है हम उसी को तेजी के साथ नष्ट करते जा रहे हैं। वायु प्रदूषण, जलसंकट और जंगलों का विनाश- ये तीनों स्थितियां हमारी खुद की पैदा की गई हैं जो समूची दुनिया को भयावह परिणाम की ओर ले जा रही है। यदि हम अब भी नहीं चेते तो हमारे जीवन की डाल कट जाएगी और नीचे गिरने पर हमें धरती का टुकड़ा भी नहीं मिलेगा।
------------------------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment