Wednesday, July 24, 2013

ये कैसी श्रद्धा है ?


4 comments:

  1. AAJ IS KALIYUG MAIN - MATA AUR GAU MAATA KE SAATH KAI JAGAH YAHI HO RAHA HAI,

    HUM SABHI KAHIN NAA KAHIN DOHRI HII JINDAGI JEETE HAIN,

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  2. करनी और कथनी का अंतर आज के जीवन की सबसे बड़ी बिडंबना है !

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  3. सहमत हूं आपकी बात से ... ये दोगलापन है इन्सान का ...

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  4. गाय माता को कूड़ा-कचरा खाने के लिए छोड़ देने वाले तो दोहरी मानसिकता वाले हैं ही
    आदरणीया डॉ. शरद सिंह जी !
    लेकिन उन्हें क्या कहा जाए जो अपनी जन्मदात्री माता को भी वृद्धावस्था में बेसहारा छोड़ देते हैं!

    हार्दिक शुभकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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