Saturday, October 6, 2018

हां,मैंने कभी एक झूठ बोला था ... डॉ. शरद सिंह

झूठ बोल कर उसे स्वीकार करना कठिन काम है और यह काम मुझसे करवा लिया ‘‘जागरण सखी’’ पत्रिका की विदुषी सखियों ने... हां,मैंने कभी एक झूठ बोला था और अब उसे मैंने स्वीकार किया है "जागरण सखी" की स्मिता श्रीवास्तव के सामने स्वीकार किया... प्रिय मित्रो, आप भी पढ़िए "जागरण सखी" का अक्टूबर 2018 का अंक !

🙏हार्दिक धन्यवाद विनीता, स्मिता एवं अवधेश जी🙏 🙏हार्दिक धन्यवाद "जागरण सखी" 🙏

http://sakhi.epapr.in/1835982/Sakhi/Oct-2018#page/59/2

6 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/10/2018 की बुलेटिन, फेसबुकिया माँ की ममता - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. ब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार शिवम् मिश्रा जी !

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    1. हार्दिक धन्यवाद अभी जी !

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  3. रोचक संस्मरण। अक्सर ऐसे मौके लग जाते हैं कि थोड़ा बहुत झूठ बोलना पड़ता है। हाँ, उस वक्त सहेली ठीक ठाक थी और उसे हानि नहीं पहुंची थी तो आपका झूठ बोलना इतनी बुरी बात नहीं थी।

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    1. आपका हार्दिक धन्यवाद विकास नैनवाल जी !

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