Wednesday, July 22, 2020

चर्चा प्लस - कोरोना के साए में चुनाव की चुनौती - डाॅ शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस
कोरोना के साए में चुनाव की चुनौती
- डाॅ शरद सिंह

दहशत पर दहशत फैलाए कोरोना- विस्फोट
उस पर देखो आ गया फिर चुनाव,फिर वोट
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि मध्य प्रदेश में उपचुनाव सितंबर महीने के अंत तक हो जाएंगे। उन्होंने संकेत दिए कि रक्षाबंधन से पहले चुनाव की तारीखों की घोषणा की जा सकती है। इधर कोरोना संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। उस पर चुनाव सितंबर के अंत तक कराए जाने की घोषणा ने एक और बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
मध्यप्रदेश में इन दिनों कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। विगत कुछ सप्ताह से संक्रमण के आंकड़े प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। चाहे रतलाम हो या टीकमगढ़ अथवा सागर हर शहर में हर दिन 20-21 संक्रमितों के आंकड़े सामने आते हैं। बेशक़ यह स्थिति अनलाॅक में लोगों द्वारा लापरवाही बरतने के कारण बनी है। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का ध्यान नहीं रखने के कारण ही लोग संक्रमण के कैरियर बन रहे हैं। फिलहाल इस बात के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं कि सितंबर अंत तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ जाएगी। चुनाव आयोग ने पोलिंग बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए खाका तैयार किया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव प्रचार में कोरोना गाइडलाइन के पालन की जिम्मेदारी कौन लेगा? सरकार ने सभी प्रकार के सामूहिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। तो क्या किसी भी प्रकार की चुनावी सभा इसी प्रतिबंध के दायरे में आएगी? पहले ही ऐसे मामले प्रकाश में आ चुके हैं जब संभावित उम्मींदवारों के समर्थक जनसभा में शामिल हुए और उन्होंने न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा और न मास्क लगाने का। जब से चुनाव के निकट आने की संभावना बढ़ी तभी से कोरोना से बचाव के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली अनेक तस्वीरें समाचारपत्रों के मुखपृष्ठों पर अपनी जगह बना चुकी हैं। इस स्थिति में कोरोना गाइडलाइन का पालन सुचारु रूप से कैसे हो पाएगा, यह सबसे बड़ी चिंता का प्रश्न है।
Charcha Plus a column of Dr ( MIss) Sharad Singh
.    अनलॉक 2 के बाद मध्य प्रदेश में कोरोना बेकाबू हो गया है। इसका संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, प्रदेश स्तर पर 31 जुलाई तक हर रविवार लॉकडाउन करने के निर्णय के बाद अब स्थानीय प्रशासन भी शहरों और जिलों को फिर लॉकडाउन करने की तरफ बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए उत्सवों पर सार्वजनिक झाकियां नहीं लगाई जाएंगी। धार्मिक स्थलों, उपासना स्थलों पर एक बार में 5 से अधिक व्यक्ति इकट्ठे नहीं होंगे। शादी, सगाई आदि में दोनों पक्षों के 10-10 व्यक्ति से अधिक सम्मिलित नहीं होंगे। जन्मदिन आदि उत्सवों में 10 से अधिक व्यक्ति शामिल नहीं होंगे। मुख्यमंत्री ने सोमवार को मंत्रालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए घर पर ही आगामी त्यौहार मनाएं। देव प्रतिमा घर पर ही स्थापित कर पूजा-अर्चना करें। सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिमा स्थापित करने, त्योहार मनाने की अनुमति नहीं होगी। ऐसी दशा में चुनावी सभाओं का क्या होगा?
कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मप्र फिर लॉकडाउन की तरफ बढ़ रहा है। राज्य में रविवार को पूरी तरह लॉकडाउन लागू करने के बाद अब एक दिन और गतिविधियां प्रतिबंधित की जा रही हैं। यह दिन रविवार के पहले शनिवार या बाद के सोमवार को होगा। भोपाल में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन रहेगा। इस दौरान अत्यावश्यक सेवाओं को ही मंजूरी रहेगी। इसके अलावा सभी जिलों में कर्फ्यू रात 8 बजे से सुबह 5 बजे तक रहेगा। राज्य सरकार ने सख्ती दिखाते हुए यह भी साफ कर दिया है कि यदि किसी निजी दफ्तर या व्यापारिक संस्थान में कोई कोरोना पॉजिटिव मिला तो उसे सात दिन के लिए बंद कर दिया जाएगा। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कोरोना की समीक्षा में सभी जिलों को ताकीद कर दी है। रविवार के अलावा शनिवार या सोमवार को लॉकडाउन का फैसला जिला क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप से चर्चा के बाद लिया जाएगा। भोपाल में जिला प्रशासन शनिवार की तैयारी में है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि संक्रमण मुक्त जिलों को छोड़कर बाकी जिलों में राज्य और केंद्र सरकार के सभी दफ्तरों में अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या 30 से 50 फीसदी ही रहेगी। अधिकारी शत-प्रतिशत आएंगे। निजी कार्यालय एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान भी 30 से 50 प्रतिशत क्षमता में संचालित होंगे। निजी दफ्तर तथा व्यापारिक संस्थानों में कोई कोरोना पॉजीटिव मिलने पर उसे 7 दिन के लिए बंद कर दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश की 26 सीटों पर उपचुनाव होना है। निर्धारित नियम के अनुसार सितंबर माह के अंत तक चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए परंतु सभी नियम सामान्य परिस्थितियों के लिए बनाए गए थे। आपातकाल की स्थिति में जबकि महामारी फैली हो, मौत का खतरा मंडरा रहा हो, नियमों को शिथिल कर दिया जाता है। मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र स्थगित कर दिया गया फिर उप चुनाव स्थगित करने में क्या समस्या है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा द्वारा मध्य प्रदेश में उपचुनाव समय पर कराए जाने के संकेत दिए जाने के बाद दोनों ही राजनीतिक दलों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि कोरोना की बढ़ती संख्या और दलों के अंदर पनप रहे असंतोष के बीच उपचुनाव की चुनौती को कैसे पार करेंगे। यदि समय पर चुनाव हुए तो सितंबर के आखिर सप्ताह में चुनाव हो जाएंगे। दरअसल, मध्यप्रदेश में इस समय कोरोना महामारी तेजी से पैर पसार रही है। ऐसे में 2 दिन का लॉकडाउन सप्ताह में घोषित किया गया है। रात्रि कर्फ्यू लगाया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए खड़ी निर्देश दिए जा रहे हैं। ऐसे में यदि चुनाव घोषित होते हैं तो फिर राजनीतिक दलों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होंगे। पोलिंग बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग लेकिन चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी कौन लेगा? प्रचार और जनसंपर्क में सुरक्षा नियमों का पालन कैसे हो सकेगा? सभी उम्मीदवारों के लिए जीत-हार से कहीं अधिक नैतिक एवं मानवीय जिम्मेदारी होगी समर्थकों और मतदाताओं को संक्रमण से बचाए रखने की।
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 (दैनिक सागर दिनकर में 22.07.2020 को प्रकाशित)
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