Wednesday, July 8, 2020

चर्चा प्लस - मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘जंगल बुक’ का धमाल - डाॅ शरद सिंह


Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस 

मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘जंगल बुक’ का धमाल
         - डाॅ शरद सिंह

सियासत में बदलते ये ज़रा किरदार तो देखो
‘जंगलबुक’ में ढलता जा रहा दरबार तो देखो 

इन दिनों मध्यप्रदेश की राजनीति में ‘द जंगलबुक’ छाई हुई है। बेशक शिवराज सरकार के जनहित वाले राज को जंगलराज तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन स्वयं शिवराज सरकार के समर्थकों से ले कर वरिष्ठ नेता तक शिवराज सिंह के लिए ‘टाईगर अभी ज़िंदा है’ जैसे जुमले उछाल रहे हैं वहीं वरिष्ठ नेत्री उमा भारती ने स्वयं की तुलना ‘मोगली’ से कर दी। 

रुडयार्ड किपलिंग ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी किताब ‘द जंगल बुक’ एक दिन मध्यप्रदेश की राजनीति में चरितार्थ होने लगेगी। वरिष्ठ से वरिष्ठ राजनीतिज्ञ स्वयं को ‘द जंगल बुक‘ के किरदार साबित करने पर आमादा हो जाएंगे। वैसे ‘द जंगल बुक’ के बारे में कौन नहीं जानता। सन् 1894 में लिखी रुडयार्ड किपलिंग की इस किताब ने पूरी दुनिया मोह लिया। इस कहानी पर आधारित धारावाहिक में गुलजार का गीत ‘‘चड्डी पहन के फूल खिला है..’’आज भी सबको याद है। रुडयार्ड किपलिंग सबसे कम उम्र में नोबेल पुरुस्कार प्राप्त करने वाले लेखक थे। 1907 में जब उन्हें यह पुरस्कार मिला तो उनकी उम्र 41 साल थी। उन्होंने और भी किताबें लिखीं किन्तु ‘द जंगल बुक’ ने उन्हें विश्वप्रसिद्ध बना दिया। रुडयार्ड किपलिंग बॉम्बे में पैदा हुए थे। उनके पिता जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में वास्तुकला पढ़ाते थे। अपने जंगल के अनुभवों का सहारा लेते हुए किपलिंग ने ‘द जंगल बुक’ की रचना की थी। बहरहाल, वे आजकल के लेखक होते तो हैशटैग पर ट्रेंड होते देख कर खुश हो रहे होते।
Charcha Plus Column of Dr (Miss) Sharad Singh, 08.07.2020

    राजनीतिक बोल भी बड़े ग़ज़ब के होते हैं। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विगत 2 जुलाई को हुए कैबिनेट विस्तार की हलचल के बीच कांग्रेस के पुराने साथियों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए सिंधिया ने कहा- ‘‘मैं उन दोनों को कहना चाहता हूं, कमलनाथ जी और दिग्विजय सिंह जी, आप दोनों सुन लीजिए, टाइगर ज़िंदा है।’’ 

‘टाइगर ज़िंदा है’ का ये फिल्मी डायलॉग 2017 में आई सलमान खान एक फिल्म का था। फिल्म तो कोई ख़ास नहीं चली लेकिन यह डायलाॅग शिवराज सिंह ने बोल कर इसे सियासी जुमला बना दिया। दिसंबर, 2018 में सत्ता से बाहर होने के बाद शिवराज जब बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठकों में जाते थे तो कांग्रेस पर निशाना साधते हुए स्वयं के लिए कहते थे कि, ‘वो ये ना भूलें कि टाइगर अभी ज़िंदा है।’

शिवराज सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद मंत्रिमंडल में किए गए विस्तार में शपथ लेने वाले 28 विधायकों में से 9 सिंधिया खेमें के हैं।  शेष में से 16 उस ग्वालियर-चंबल इलाके से आते हैं जो सिंधिया मजबूत गढ़ माना जाता है। दरअसल थोड़े ही वक्त के अंतर पर सिंधिया ने ‘टाइगर’ वाला बयान दो बार दिया। पहली बार बिना किसी का नाम लिए और दूसरी बार कमलनाथ और दिग्विजय का नाम लेकर। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिंधिया पर पलटवार कर सुर्खियां अपनी तरफ मोड़ लीं। कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा-‘‘देखना होगा कागज का टाइगर है या सर्कस का टाइगर कौन सा टाइगर अभी जिंदा है।’’ 

कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने जरा तीखा तीर चलाया। उन्होंने ट्वीट किया-‘‘जब शिकार प्रतिबंधित नहीं था, तब मैं और श्रीमंत माधवराव सिंधिया जी शेर का शिकार किया करते थे। इंदिरा जी के वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एक्ट लाने के बाद से मैं अब सिर्फ शेर को कैमरे में उतारता हूं।’’ लेकिन इसके लगभग दो घंटे बाद उन्होंने लड़ते हुए दो बाघों की तस्वीर के साथ एक और ट्वीट किया- ‘‘शेर का सही चरित्र आप जानते हैं? एक जंगल में एक ही शेर रहता है!!’’

बात यहीं पर आ कर थम गई होती तो भी गनीमत थी। कई महीनों से शांत बैठी उमा भारती ने भी अपना मौन तोड़ते हुए स्वयं को ‘मोगली’ जैसा कह दिया। तीन दिवसीय शैव महोत्सव के समापन कार्यक्रम में शामिल हुईं उमा भारती ने उज्जैन में कहा कि वे वर्तमान दौर की राजनीति में ‘‘मोगली’’ हैं। तीन दिवसीय शैव महोत्सव के समापन अवसर पर मंच संचालक ने जब साध्वी उमा भारती का परिचय श्प्रखर वक्ताश् के रूप में दिया, तो उमा ने मोगली का किस्सा सुना डाला। उमा भारती ने कहा, ‘‘किसी के बारे में ऐसी चर्चा हो जाती है कि वह ऐसा है और यह बात आगे चलती रहती है, इसी तरह मेरे साथ हुआ। कहीं प्रवचन दिए तो लोगों ने प्रखर वक्ता कह दिया और आज भी वह कहा जा रहा है। वास्तव में मैं प्रखर वक्ता हूं नहीं।’’ उन्होंने आगे कहा कि ‘‘मैं तीन-चार दिन पहले अपने बारे में सोच रही थी, तभी मुझे मोगली की कहानी याद आ गई। यह मनगढ़ंत कहानी नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की ही घटना है। मोगली भेड़ियों के पास से वापस आ जाता है। मैं सोचती हूं कि अगर मोगली राजनीति में आ जाए तो वह क्या-क्या करेगा, वही मैं भी करती हूं। कभी कुछ कह दिया, बाद में लगता है कि अरे यह क्या कह दिया।’’

मध्यप्रदेश की राजनीति में ताल ठोंकते नेतागण ‘द जंगल बुक’ का किरदार बनते-बनते कहीं मध्यप्रदेश की राजनीति को जंगलराज में न बदल दें, यह ध्यान रखना होगा स्वयं शिवराज सरकार को। 
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  (दैनिक सागर दिनकर में 08.07.2020 को प्रकाशित)
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