"जब मैंने लिखना शुरू किया था तब रचना छपने के लिए भेजते समय अपना पता लिखा और डाक टिकट लगा हुआ लिफाफा साथ में रख कर भेजना पड़ता था। कई बार रचना की "सखेद वापसी" भी झेलनी पड़ती थी। उस समय रचना वापस पाकर गुस्सा तो बहुत आता था लेकिन धीरे-धीरे समझ में आया की यही तो सृजन को मांजने की प्रक्रिया है। लेकिन आजकल सोशल मीडिया के जमाने में रचनाकार अपनी रचनाओं की श्रेष्ठता 'लाइक' 'कमेंट' की संख्या के आधार पर मान बैठता है जो कि सबसे बड़ा जोखिम है, रचना और रचनाकार के लिए।"
- जी हां, यह अपने विचार व्यक्त. किए मैंने आज एक ऑनलाइन पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में। पुस्तक का नाम है "तिड़क कर टूटना"। यह टीकमगढ़ मध्य प्रदेश की युवा प्रतिभाशाली कवयित्री व लेखिका डॉ अनीता श्रीवास्तव का प्रथम कहानी संग्रह है। इस आयोजन में कई विद्वतजन शामिल हुए जिनमें प्रमुख थे डॉ नमिता सिंह, श्री गिरीश पंकज , डॉ पुनीत बिसारिया, श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव, श्री अखिलेश श्रीवास्तवजी, श्री रामस्वरूप दीक्षित एवं सुश्री शशि खरे। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन किया सुश्री सुषमा व्यास राजनिधि ने।
कुछ स्क्रीन शॉट्स जो आयोजक तथा मेरे मित्रो ने मुझे भेजे, शेयर कर रही हूं...
#डॉसुश्रीशरदसिंह #पुस्तकलोकार्पण #DrMissSharadSingh #bookrelease
वाह! अनुपम चित्रावली
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनिता जी...
Deleteकभी मेरे नए ब्लाग ‘‘Climate Diary Of Dr (Ms) Sharad Singh" (क्लाईमेट डायरी आॅफ (मिस) शरद सिंह) में भी पधारें। जलवायु परिवर्तन के प्रति चिंतन करना तथा जागरूकता लाना मेरे इस ब्लाॅग का उद्देश्य है। आशा है आपको रुचिकर लगेगा।
Climate Diary Of Dr (Ms) Sharad Singh