Monday, July 4, 2022

साहित्यकार मानवतावादी होता है, हमें अपनी रचनाओं से यह सिद्ध करना है। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

"आज फिर एक बार उस दौर से गुज़र रहे हैं जब अशांति फैलाने वाली ताक़तें अपनी नृशंसता का परिचय दे कर आमजन को उकसाने का प्रयास कर रही हैं। यही वह समय है जब हम साहित्यकार का दायित्व बढ़ जाता है। आज हर साहित्यकार को चाहिए कि वह आपसी भाईचारे और सौहार्द की रचनाएं लिखे  तथा माहौल को सुधारने में अपना योगदान दें। आज सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जो आग लगा भी सकता है और आग बुझा भी सकता है तो हमें सोशल मीडिया पर भी आग बुझाने का काम करना है। देश में अमन चैन बनाए रखने की दिशा में अपनी रचनाओं में कटुता की बजाए परस्पर मैत्री भाव को रखना है। साहित्यकार मानवतावादी होता है और यही बात हमें साबित करनी है। कन्हैयालाल जी के साथ जो कुछ हुआ वैसी घटना दोबारा ना घटे इसके लिए अपने साहित्य के द्वारा संयम की अपील करते रहना हम साहित्यकारों का दायित्व है।"  बुंदेलखंड हिंदी साहित्य संस्कृति विकास मंच सागर द्वारा 111वीं  साप्ताहिक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह ने)  साहित्यकार साथियों से यह आग्रह किया।
        इस संगोष्ठी में मध्य प्रदेश के अलावा देश के विभिन्न प्रांतों जैसे नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, झारखंड  के साहित्य मनीषियों ने ऑनलाइन काव्य पाठ किया। इस अवसर पर संरक्षक श्री कृष्णकांत बक्शी जी की उपस्थिति में मंच के प्रांतीय संयोजक मणीकांत चौबे बेलिहाज, प्रतीक द्विवेदी,  डॉ बारे लाल जैन,  डॉ जिनेश जैन, श्रीमती पुष्पा चिले, रामलाल द्विवेदी प्राणेश, वीरेंद्र त्रिपाठी , राजेश अहिरवार सुमन, प्रेम घनघोरिया, डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस , राधाकृष्ण व्यास, मणीदेव ठाकुर, अनिल जैन विनर , पूरन सिंह राजपूत,अबरार अहमद, डॉ सीताराम श्रीवास्तव  भावुक आदि ने  अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं तथा कुशल संचालन किया डॉ नलिन जैन नलिन ने।
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1 comment:

  1. आपका विचार पूर्णतः स्वीकार्य है। काश सभी साहित्यकार (उन्हें सम्मिलित करते हुए जो साहित्यकार समझे जाते हैं तथा उन्हें भी जो स्वयंभू साहित्यकार हैं) इस सत्य को एवं इसके व्यावहारिक महत्व को आत्मसात् करें एवं पूरे मन से इस निमित्त प्रयास करें !

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