भारत भवन भोपाल में डॉ (सुश्री) शरद सिंह का अतिथि वक्तव्य
"हर कहानीकार अपने-अपने बंदरगाह का लाईटहाउस होता है इसलिए साहित्य का जहाज न भटके इसका ध्यान रखना भी कथाकार का दायित्व है। हर कथाकार अपने दायित्व को समझे।" यह बात मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह) ने अपने वक्तव्य में कहा। भारत भवन भोपाल द्वारा मध्यप्रदेश की रचनाशीलता पर आयोजित 15- 21 जुलाई तक चलने वाले सात दिवसीय समारोह युवा-8 के अंतर्गत "कथा का हृदय प्रदेश" विषय पर मैंने प्रदेश की महिला कथाकारों की रचनाधर्मिता पर प्रकाश डालने के साथ ही नवोदित कथाकारों से कहा कि "आज कई कथाकार जिनमें महिला कथाकार भी शामिल हैं, अपने कथानक को किया रैपर (रैप सिंगर) की तरह ट्रीट करते हैं। जिन विषयों पर ठहर कर, जांच-पड़ताल कर के लिखने की आवश्यकता है, उन्हें भी सोशल मीडिया की हर घंटे की पोस्ट की तरह जल्दबाज़ी में परोस दिया जाता है। इस तरह जल्दबाजी में साहित्य परोसे जाने को मैं साहित्यिक अपराध ही कहूंगी और यह अपराध करने से नवोदित कथाकारों को खुद को रोकना होगा।"
इस आयोजन के सूत्रधार एवं संचालक थे भारत भवन के प्रशासनिक अधिकारी एवं प्रसिद्ध कवि प्रेमशंकर शुक्ल। इस चर्चा में सहभागी रही भोपाल से मुकेश वर्मा, प्रदीप जिलवाने तथा खरगोन से भालचंद्र जोशी। इस अवसर पर भोपाल के वरिष्ठ साहित्यकारों में डॉ. विजय बहादुर सिंह, डॉ. उर्मिला शिरीष की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
तस्वीरें उसी अवसर की...
छतरपुर के समाचारपत्रों में -
(16.07.2022)
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