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ख़बर यूं है कि....बतौर मीडिया...
डाॅ. सुश्री शरद सिंह की पुस्तक पढ़ाई जा रही है सिक्किम विश्वविद्यालय तथा सेंट्रल यूनीवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार में
सागर। सागर निवासी हिन्दी की प्रतिष्ठित लेखिका डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह की पुस्तक ‘‘भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं’’ सिक्किम विश्वविद्यालय के हिन्दी के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के थर्ड सेमेस्टर में संदर्भ ग्रंथ के रूप में पढ़ाई जा रही है। इसी प्रकार उनकी यही पुस्तक सेंट्रल यूनीवर्सिटी आॅफ साउथ बिहार, गया के स्नातकोत्तर हिन्दी पाठ्यक्रम के प्रथम सेमेस्टर में अनुशंसित सहायक ग्रंथ के रूप में शामिल है। डाॅ. सुश्री शरद सिंह की बहुचर्चित पुस्तक ‘‘भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं’’ नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली से सन् 2009 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में लेखिका ने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक समूचे भारत की चालीस आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं रोचक ढंग से हिन्दी में लिखी हैं। इस पुस्तक की लोकप्रियता विदेशों तक है। डाॅ शरद सिंह ने बताया कि इसी पुस्तक के संबंध में उनके पास जेरूसलम विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका सुश्री मरीना रिमशा का ईमेल आया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि-‘‘मैं जेरूसलम के विश्वविद्यालय की हिंदी भाषा और साहित्य की प्राध्यापिका हूं। इस सेमेस्टर हम आदिवासी साहित्य पढ़ रहे हैं। जब मैंने कुछ साल पहले आदिवासी साहित्य पर कुछ लेक्चर सुने तो वहां आपकी किताब ‘भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं’ से तीन छोटी-सी अंदमानी लोककथाएं पढ़ी गई थीं। मैं अपने विद्यार्थियों के साथ वही कहानियां पढना चाहती हूं।’’
यह सागर नगर के लिए गर्व का विषय है कि सुश्री शरद सिंह की पुस्तकें देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में रुचिपूर्वक पढ़ाई जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि उनकी अब तक विभिन्न विषयों एवं विविध विधाओं में 57 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और वे लेखनकार्य में निरंतर सक्रिय हैं। डॉ शरद सिंह को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर सागर के साहित्यकारों ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए हर्ष व्यक्त किया।
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