Thursday, December 1, 2022

बतकाव बिन्ना की | हाय दैया, जो का कै दओ उन्ने | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम | बुंदेली व्यंग्य | प्रवीण प्रभात

 "हाय दैया, जो का कै दओ उन्ने !"  मित्रो, ये है मेरा बुंदेली कॉलम "बतकाव बिन्ना की" साप्ताहिक #प्रवीणप्रभात , छतरपुर में।

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बतकाव बिन्ना की     
हाय दैया, जो का कै दओ उन्ने !

- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
            ‘‘काए भैयाजी! जे संत टाईप के लोगन को सोई मुंडा काए फिर जात आए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी। मोए बड़ो बुरौ सो लग रओ हतो।
‘‘काए का हो गई बिन्ना? कोन ने का कै दई?’’ भैयाजी मुस्क्यात भए पूछन लगेे।
‘‘काए आपको पतो नइयां?’’ मैंने भैयाजी से पूछीे।
‘‘अब मोए का पतो के तुम कोन के बारे में का कै रईं? कछू आगे बोलो सो पतो परे।’’ भैयाजी ने कही।
‘‘लेओ, सगरो इत्तो दोंदरा मचो परो आए, औ एक आप हो के आपको कछू पतो नइयां। आपने सुनी नईं का, के बाबा रामदेव ने का कही?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘नईं मोए नईं पतो। बो का आए के मोए दो-तीन दिना से अखबार देखबे खों बी टेम नई मिलो। काए, का कै दई बाबा रामदेव ने? बे तो अच्छे नोने से दिखात आएं। बे तो योग सोई सिखात है न?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘हऔ! बे बाबा योगवारे आएं औ बिजनेसमैन सोई आएं। उनको योग सिखाबे को अकेलो काम नोईं, आप जानत्तो आओ, के उनकी फैक्टरी में खात-पीयत की चीजें, दवाएं-मवाएं सबई कछू बनत आएं।’’ मैंने भैयाजी खों याद दिलाई।
‘‘हऔ-हऔ, तुम ठीक कै रईं। बाकी जे बताओ के भओ का आए? तुम उनके का कैबे के बारे में कै रईं? ऐसो का कै दओ उन्ने?’’ भैयाजी बोले।
‘‘अबे का भओ, के एक दिना बे महाराष्ट्र के ठाणे में एक सभा में बोल रए हते। ऊ मंच पे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री की घरवाली सोई हतीं। अब बाबा रामदेव को कोजाने का सूझी के बे बोल परे के-लुगाइयां साड़ी औ सूट में अच्छी लगत आएं। औ मोरे घांई कछू ने पहने सो औ अच्छी लगत आएं।’’ मैंने भैयाजी खों बताओ।
‘‘हैं? जो का कै दई उन्ने?’’ भैयाजी सो सुन के भड़भड़ा गए। फेर सम्हलत भए बोले,‘‘सांची कै रईं? उन्ने ऐसी कही? मोए सुन के भरोसो सो नई हो रओ।’’
‘‘ठीक जेई कही उन्ने। मोरी ने मानो सो इन्टरनेट खोल के देख लेओ, जेई खबर ट्रेंड करत भई दिख जेहे।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हऔ, हमें ट्रेंड-मेंड नई देखने! तुम झूठी थोड़े कैहो। बाकी बात तो उन्ने ठीक नई कई। खूबई बवाल मचो हुइए।’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘औ का! कोनऊ बाॅलीवुड को हीरो-मीरो ने कई होती, तो मनो इत्तो बुरौ ने लगतो। अब बाबा हरें ऐसी बात कहें सो अच्छो कौन लगत आए। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने तो तुरतईं एक ट्वीट करो के- महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री जी की पत्नी के सामने स्वामी रामदेव द्वारा महिलाओं पर की गई टिप्पणी अमर्यादित और निंदनीय है। इस बयान से सभी महिलाएं आहत हुई हैं। बाबा रामदेव जी को इस बयान पर देश से माफी मांगनी चाहिए।’’
‘‘फेर?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘फेर का? बाबा रामदेव जी खों माफी मांगनी परी। बाकी उन्ने जे सोई कै दई के उनकी बात खों गलत ढंग से रखो गओ आए। उनकी मंशा लुगाइयन को अपमान करबे की नई रई। मनो, ईके बाद बी मामलो ठंडो नई परो आए। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग बाबाजी पे कार्रवाई की मांग कर रओ आए। अब देखो का होत है?’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘औ अपने इते?’’ भैयाजी ने पूछई लओ। मोए जेई को डर हतो।
‘‘अपने इते, कछू नईं! बे ओरें सो कर रईं, जो करने आए।’’ मैंने भैयाजी खों टालत भई कही।
‘‘जेई सो सल्ल आए!’’ भैयाजी बोले।
‘‘अरे कछू सल्ल नईं!’’ मैंने भैयाजी खों टोंकी। उनको मुद्दा से भटकबे में देर नईं लगत। सो मैंने उने आगे की बात बताई के,‘‘बे बाबाजी इत्तई पे नईं ठैरे!’’
‘‘सो, औ का कै दई उन्ने?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘उन्ने आगे कही के- हम तो लोक-लज्जा के लिए (कपड़े) पहन लेते हैं, बच्चों को कौन कपड़े पहनाता था पहले, हम तो आठ-दस साल तक तो ऐसे ही नंगे घूमते रहते थे, ये तो अब जाकर के पांच-पांच लेयर कपड़ों की बच्चों पर आ गई है।’’ मैंने भैयाजी खों बताई।
‘‘हाय दैया! जे का कै दओ बाबा जी ने! ऐसो कहूं नईं होत। आठ-दस बरस के मोड़ा नंगू नईं फिरत आएं।’’ भैयाजी मों बनात भए बोले।
‘‘अरे भैयाजी, मनो बालकन के लाने कई सो, कई। पर लुगाइयन के लाने काय कई? मोय सो जे समझ में नईं आत के जो हम ओरें कछू जींस-वींस पैन लेवैं, सो सल्ल औ धुतिया पैनें सो सल्ल। ऊपे जे बाबाजी कछू ने पैहनत की बात करके, एक ठइयां औ सल्ल बिंधा रए। अभईं हम लुगाइयां उनकी घांई ‘कछू नईं’ टाईप को जो पैहन लैबंे सो, आधे से सो आड़े डरे दिखाहें। सब ओरें हम लुगाइयन के ओढ़बे-पैहनबे के पांछू काए परे रैत आएं? अरे, हुन्ना-लत्ताई देखत रैहो के कभऊं जे सोई देख लओ करो के हम ओरें कित्तो काम करत आएं।’’ मोए कैत-कैत गुस्सा सी आन लगी।
‘‘सांची कै रईं बिन्ना! हमाए सोई जेई विचार आएं, के मोड़ियन की औ लुगाइयन की काबीलियत देखो जाओ चाइए। अब वो सब छोड़ दओ जाओ चाइए के ब्याओ के लाने गोरी मोड़ी चाउने। अरे, गोरी हो के काली हो, मोड़ी सोई इंसान होत आए। जब करिया मोड़ा को ब्याओ में कोनऊं बिधौना नई रैत सो सांवरी मोड़ी में काए की दिक्कत कहानी? जे ई लाने सो मोड़ियन खों खूब पढ़ाओ जाओ चाइए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘ठीक कै रए आप भैयाजी! मोड़ी अपने पांवन पे ठाढ़ी रै, सो ऊको खुद पे भरोसो सो रैत आए। जेई लाने तो सरकार सोई बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कैत रैत आए।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘औ का बिन्ना! बाकी जे ईजूल-फिजूल की बातन को सो विरोध करो जाओ चाइए। सो, हमाए लाने कछू करबे को होय सो बताइयो हमें। हम हरदम तुम ओरन के संगे ठाड़े मिलहें, रामधई!’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ भैयाजी! कछू जरूरत परहे, सो जरूर बताबी। बाकी बाबाजी ने माफी सो मांग लई आए। मनो तनक ढंग से मांग लई होती सो मामलो सुलट जातो।’’ मैंने कही।
‘‘हऔ बिन्ना! अब हम जा के तुमाई भौजी खों जे सबई बता रए! उने सोई पता परे के लुगाइयन के लाने का कैसो कओ जा रओ।’’ भैयाजी बोले।
‘‘उने पतो हुइए!’’ मैंने कही। मगर जबलों भैयाजी बढ़ लिए।
बाकी मोए सोई बतकाव करनी हती सो कर लई। रई बात बाबाजी की, सो उनकी बात मोय सोई नई पोसाई। उनको ऐसो नई बोलो चाइए। तो अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। सो, सबई जनन खों शरद बिन्ना की राम-राम!
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(01.12.2022)
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