Monday, October 14, 2024

प्रगतिशील विचारधारा परंपराओं का परिष्कार करती है - मुख्य अतिथि डॉ (सुश्री) शरद सिंह, महेंद्र फुसकेले स्मृति अलंकरण समारोह 2024

"कुछ लोग भ्रमवश प्रगतिशील विचारधारा को लोककला एवं लोक परंपरा विरोधी मान लेते हैं जबकि प्रगतिशील विचारधारा कला और परंपराओं का विरोध नहीं बल्कि परिष्कार करती है, उनमें नवीन तत्वों एवं विचारों का समावेश कर उसे विस्तार देती है। इसका उदाहरण प्रगतिशील कलाकार समूह यानी पीएजी के रूप में देखा जा सकता है जिसकी स्थापना सूजा, रजा, एमएफ हुसैन और बाकरे जैसे दिग्गज कलाकारों ने की थी। हिंदी साहित्य में प्रगतिशील विचारों के समर्थक रहे नामवर सिंह जो स्व. महेंद्र फुसकेले जी के घनिष्ठ परिचित थे।" अपने यह विचार मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए मैंने यानी आपकी इस मित्र (डॉ सुश्री शरद सिंह) ने व्यक्त किए। 
      ❗️अवसर था कल शाम, 13.10.2024 को प्रगतिशील साहित्यकार महेंद्र कुमार फुसकेले जी के तृतीय पुण्य स्मरण का आयोजन तथा सम्मान समारोह। 
      ❗️स्थानीय सरस्वती पुस्तकालय  एवं वाचनालय में आयोजित इस समारोह में तृतीय "महेंद्र फुसकेले स्मृति अलंकरण" सागर के प्रसिद्ध लोक गायक एवं कवि हरगोविंद विश्व जी को प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता की नगर के वयोवृद्ध कवि लक्ष्मी नारायण चौरसिया जी ने। विशिष्ट अतिथि थे श्री टीकाराम त्रिपाठी जी। डॉ गजाधर सागर एवं कैलाश तिवारी विकल ने फुसकेले जी पर केंद्रित आलेख पढे। फुसकेले जी की पुत्रवधु कवयित्री श्रीमती नमृता फुसकेले ने हरगोविंद विश्व जी के परिचय का वाचन किया तथा डॉ नलिन निर्मल ने सम्मान पत्र का वाचन किया। 
    ❗️ प्रगतिशील लेखक संघ की सागर इकाई के अंतर्गत आयोजित इस समारोह में  महेंद्र फुसकेले,  प्रेमचंद तथा हरिशंकर परसाई पर केंद्रित तथा श्री मुकेश तिवारी जी द्वारा संपादित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया। 
    ❗️इस समारोह के संकल्पनाकार थे स्व. महेंद्र फुसकेले जी के पुत्र प्रगतिशील लेखक संघ की सागर इकाई के सचिव वरिष्ठ अधिवक्ता एवं  साहित्यकार पेट्रिस फुसकेले जी। आयोजन का कुशल संचालन किया श्रीमती निरंजन जैन जी ने।
    इस अवसर पर श्यामलम अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्र, दैनिक आचरण के संपादक एवं पूर्व विधायक सुनील जैन, पाठकमंच सागर के अध्यक्ष श्री आर के तिवारी, शायर डॉ गजाधर सागर, शायर अशोक मिजाज़, डॉ अनिल जैन गीतकार डॉ श्याममनोहर सीरोठिया, कवि एवं अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ मनीष झा, श्रीसरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय के सचिव श्री शुकदेव तिवारी, कवि पूरन सिंह राजपूत, कवि वीरेंद्र प्रधान, सुश्री सुमन झुड़ेले, श्रीमती ममता झुड़ेले, श्रीमती ममता भूरिया, श्रीमती अर्चना प्यासी, पत्रकार मनीष दुबे आदि बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित रहे।

छायाचित्र साभार : भाई डॉ. नलिन निर्मल तथा भाई एड. पेट्रिस फुसकेले 🙏
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