Friday, July 23, 2021

बुंदेली व्यंग्य | जै हो पेगासस भैया की | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह


ब्लॉग साथियों, आज 23.07.2021 को #पत्रिका समाचार पत्र में मेरा बुंदेली व्यंग्य "जै हो पेगासस भैया की " प्रकाशित हुआ है... आप भी पढ़ें...आंनद लें....
#Thank you #Patrika
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बुंदेली व्यंग्य    
  जै हो पेगासस भैया की
              - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
नोने भैया मूंड़ औंधाए भये बैठे हते अपने दुआरे पे। भौजी ने कही हती के जा के भटा-मटा ले आओ, सो तुमाये लाने भर्त बना देवें।
‘‘हऔ, लाए देत हैं। पैले अच्छी-सी चाय-माय तो पिला देओ। जब देखों बस काम ई की कैत रैत हो। कछु तो सरम कर लौ करे।’’ नोने भैया ने भौजी से कही।
‘‘जे देखो, कछु करत न धरत के औ बोल ऐसे रै के मनो घर-बाहरै को सबई काम जे ई तो करत होंए। हुंह! चाय पी के भटा ले अइयो, ने तो आज सब्जी न मिलहे खाबे खों।’’ भौजी ने सोई ठोंक के सुना दई।
‘‘हऔ तो, चलो चाय तो देओ, मंत्री हरन की घोषणा घंई बोल के न रै जाओ।’’ नोने भैया ने कहीं और ताज़ो अख़बार ले के बैठ गए। पैलई ख़बर पढ़ के उनको मत्था घूम गओ। ख़बर हती पेगासस फोन हैकिंग की।
जो का, जे पेगासस लिस्ट में सोई सबरे बड़े-बड़े नाम दए हैं। ग़रीब की तो कोई पूछ-परख करत ई नईयां। ग़रीबन के इते ने तो कभऊं कोई छापा-वापा पड़त आए, ने तो कोनऊ मंत्री-मिनिस्टर आउत है औ अब जे देखो, पेगासस से भी बड़े लोगन की जासूसी कराई जा रई। अरे, कभऊं कोनऊ गरीबन की बातें सुन लओ करे। छोटो-मोटो सस्तो सो एंडरायड फोन तो गरीबन के एऐंडर सोई पाओ जात आए। मनो उनको तो कोनऊं स्टेटस ई नइयां। नोने भैया चाय सुड़कत भए सोसत रये। चाय ख़तम भई सो कप-बसी उतई छोड़ के बाहरे दुआरे पे पसर गए।
दरअसल, नोने भैया ने भौजी को ‘हऔ’ तो कै दई बाकी बे भटा-मटा लेबे कहूं गए नईं। अखबार पढ़ के उनको मन उदास हो गओ। मोए का पतो रहो के नोने भैया उदासे डरे हैं। नोने भैया के दुआरे से निकलत भए मैंने उनसे राम-राम कर लई। बे तो मनो कोनऊं से बतकाव करन चाह रए हते।
‘‘काए भैया सब ठीक आए।’’ मैंने नोने भैया से का पूछी, मनो भिड़ के छत्ते में अपनों हाथ दे दओ।
‘‘बिन्ना हमाए इते छापो पड़वा देओ।’’ नोने भैया मोए चौंकात भए बोले।
‘‘का? का कै रए?’’ मोए कछु समझ में न आओ।
‘‘अरे बिन्ना, ई दुनिया में हमाई तो कोनऊं पूछ-परख है नईं। मनो हमाए इते बी छापो-वापो पड़ जातो तो बिरादरी में तनक इज्जत बढ़ जाती।’’ नोने भैया बोले।
‘‘जो का कै रए, भैया? सुभ-सुभ बोलो!’’
‘‘अरे बिन्ना, हम सुभ-सुभ ई बोल रए। तुम देखत नईयां का, के जोने के इते छापो पड़ जात है, उनकी इज्जत बढ़ जात है। सबई समझ जात आएं के जे खतो-पीतो पिरानी आए। एक हम आएं ठट्ठ, कोनऊं पूछ-बकत नईं।’’ नोने भैया कलपत भए बोले।
‘‘जो का उल्टो-सूधो बक रए हो भैया! ऐसो कहूं नईं होत।’’ मैंने विरोध करी।
‘‘चलो, छापो-वापो को छोड़ो, हमाई आज की पीड़ा सुनो।’’ नोने भैया ने कही।
‘‘हऔ, बोलो!’’
‘‘बोलने का आए, जे देखो हमाए पास सोई एंडरायड मोबाईल फोन आए, पर हमाई बात कोई ने न सुनी।’’ नोने भैया ने दूसरो सुर पकड़ लओ।
‘‘एंडरायड फोन से का होत है, तुम सोई कभऊं कोनऊं खों फोव-वोन कर लओ करे। तुम ने लगेओ सो, दूसरो ई कहां तक तुमाए लाने घंटी मारत रैहे?’’ मैंने नोने भैया को समझाई।
‘‘अरे, हम तो दो-तीन दिना से खटोले कक्का से रोजई बतकाव कर रै आएं पर जे देखो नासपिटे पेगासस की, हमाई ने तो कोनऊं न बात सुनी, ने तो फोन हैक करो और तो और हमाओ डाटा तक ने चुराओ, नासपिटे ने।’’ नोने भैया मों लटकात भए बोले।
‘‘उदास न हो भैया! बड़े-बड़े लोगन को फोन हैक करो जात है। हमाए-तुमाए फोन में का रखो? अपन ओरन के पास बेई घिसी-पिटी बातें रैत आएं कि आज डीजल मैंहगो हो गओ तो कल पेट्रोल के दाम बढ़ गए। आज टमाटर पचास रुपए किलो बिको तो गिल्की साठ रुपए किलो। हमाई इन बातन से कोनऊं को कोऊ मतलब नईयां।’’ मैंने नोने भैया को समझाई।
‘‘बात तो सही कै रईं बिन्ना, बाकी मैंहगाई के बारे में कोऊ काए नहीं बात करत है। अपन ओरन के कष्टन की कोनऊं को फिकर नईयां।’’ नोने भैया दुखी होत भए बोले।
‘‘मैंहगाई-फहंगाई में कछु नई रखो, पेगासस में तुमें अपना नाम जुड़वाने है तो मंत्री-मिनिस्टर से सांठ-गांठ करो। उनसे ऐसे बतियाओ के मनो कोई भेद की बात कर रए। तुमाओ रसूख जम जाए, तब कहीं काम बनेगा।
‘‘अरे, का बिन्ना! तुमने का हमें बाबाजी को ठुल्लू समझ रखो है? हमने बताई न कि हम दो-तीन दिना से खटोले कक्का से राजनीति पे बहसें कर रैं हैं, पर बात नईं बनी। खटोले कक्का राजनीति से संन्यास ले चुके हैं, बाकी, बे ठैरे मंत्री जी के चच्चा, सो हमने बोल-चाल के लाने उनई को पकड़ रखो है। काए से के मंत्री जी सो हमने बोलहें न।’’ नोने भैया ने अपनी चतुराई बघारी।
‘‘गम्म न करो भैया, कोन जाने अगली लिस्ट में तुमाओ नाम सोई दिखा जाए।’’ मोए उनको झूठी तसल्ली देनी पड़ी।
‘‘नासपिटे जे पेगासस को, इसे जो न बनो के ऊपरे के बजाए तरे से लिस्ट बनाए। जोन को देखो ऊपरई वालन खों देखत आए। नाम ऊपर वारे कमाएं औ मैंहगाई के मोटे-मोटे दाम हम चुकाएं। अभ्भई हमने भी सोच लई कि हमें व्हाट्सएप्प अनवरसिटी में भर्ती हो जाने है, कछु उल्टो-सूधो लिखबो सीख जाएं तो कहो काम बन जाए।’’ नोने भैया ने अपनी परेसानी को खुदई हल निकार लओ।
‘‘भली सोची भैया! सो, अब तुम लग जाओ पोस्ट-मोस्ट में औ हमें जान देओ।’’ मैंने नोने भैया से कही औ चलबे को हुई कि नोने भैया बोल उठे,‘‘देख लइयो, नासपिटे पेगासस की अगली लिस्ट में हमाओ नाम सोई हुइए। औ हम सोई कछु बड़े कहान लगहें।’’
‘‘हऔ भैया, मोरी दुआ तुमाए संगे है।’’ मैंने कही औ वहां से दौड़ लगा दई।
बाकी नोने भैया खों बड़ी आसा है पेगासस से कि उनको फोन कोई हैक कर के उनको रसूख दिला देगा। जै हो सेंधमार पेगासस भैया की!   
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1 comment:

  1. आंचलिकता की बात ही कुछ और है... बेहद खूबसूरती से लिखा लाजवाब व्यंग ।

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