Thursday, June 13, 2024

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
जे टीवी सीरियल आएं के भूत-चुड़ैल के अड्डा आएं
   - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
       ‘‘बिन्ना तनक आ तो जाओ, तुमाई भौजी पगला रईं।’’ भैयाजी ने संकारे से मोय फोन करो। उनकी जे बात सुन के मोय बड़ो अचरज भओ। भैयाजी ने कई के भौजी बीमार भई जा रईं, अब ईको का मतलब भओ? ऐसो का कर रईं बे? खैर, उते जाए बिगैर पतो चलने ने हतो, सो मैंने झट्टई तारा-कुची उठाई औ घरे तारा डार के भैयाजी के इते जा पौंची।
‘‘भौजी को का हो गओ?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘तुमई देख लेओ!’’ भैयाजी ने भौजी की तरफी इशारा करो।
मैंने देखो के बे डरी-डरी सी दिखा रईं हतीं।
‘‘काय भौजी का हो गओ?’’मैंने भौजी से पूछी।
‘‘कछू नईं।’’ भौजी टालत भईं बोलीं।
‘‘सो, आपको मों सुफेद सो काय परो जा रओ औ आप डरी सी काय दिखा रईं? कोनऊं ने धमकाओ-वमकाओ तो नई?’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘तुम और! इनको को आ धमका सकत आए? जे तो सबई खों उल्टो लटकाए फिरत आएं।’’ भैयाजी हंस के बोले।
‘‘चुड़ैलें लटकत आएं उल्टी, औ बेई सब खों उल्टो लटकाए फिरत आएं। का हम आपके लाने चुड़ैल दिखा रए?’’ भौजी भैयाजी पे बमक परीं।
भैयाजी तनक हड़बड़ा गए, मनो ईसे भौजी के मों पे तनक रौनक लौट आई। बे अपनो डर भूल-भाल के भैयाजी खों फटकारन लगीं।
‘‘मनो भओ का आए? तनक मोय सोई बताओ आप ओरें!’’ मैंने दोई से पूछी।
‘‘अब हम तुमें का कताएं बिन्ना, जे जो तुमाई भौजी आएं, परमेसरी अजूबई आएं।’’ भौयाजी बोले।
‘‘आपने फेर हमाई बुराई करी!’’ भौजी को मुंडा खराब हो गओ।
‘‘अरे, हम तुमाई बुराई नोई कर रए। बस, हम तो बिन्ना खों जे बता रए के तुमाई जे दसा काय भई जा रई।’’ भैयाजी भौजी खों समझात भए बोले।
‘‘का भई हमाई दसा खों? ठीक तो आए।’’ भौजी तनक सम्हरत भईं बोलीं।
‘‘सो रात से तुम डरा काय रईं?’’ भैयाजी ने भौजी से पूछी औ फेर मोय बतान लगे,‘‘का भओ आए बिन्ना के आजकाल तुमाई भौजी बे भूत-चुड़ैल वारे टीवी सीरियल देखन लगीं आएं। हमने इने समझाई रई के तुमें तो भूत-चुड़ैल से डर लगत आए, फेर काय के लाने ऐसे सीरियल देखत आओ? सो जे बोलीं के लड़कौंरी में डरात्ते, अब डर नईं लगत। सो, दो-चार दिनां तो इन्ने खूबई मजा ले-ले के देखो औ फेर डरान लगीं। कल रात खों तो को जाने कोन सो सीरियल देख रई हतीं के बा सीरियल खतम ने हो पाओ औ जे डरान लगीं।’’
‘‘कनऊं नई, हम नईं डरा रए हते।’’ भौजी ने टोंको।
‘‘औ जो नईं डरा रईं हतीं तो इत्ती गरमी में मों से चदरा ओढ़ के काय सो रई हतीं?’’ भैयाजी बोले।
‘‘बा तो ऊंसई। मछरा काट रए हते।’’ भौजी ने झूठी कई।
‘‘हऔ, हमें तो एकऊ ने नई काटो! का बे स्पेसल तुमें काटबे के लाने आए हते?’’ भैयाजी भौजी से बोले।
‘‘हऔ, ऐसई हतो!’’ भौजी झुंझलात भईं बोलीं।
‘‘औ इत्तई नई बिन्ना! अब हम तुमें का बताए के इन्ने हमाए संगे अब लौं रैत भर की जिनगी में पैली बार हमें जगाओ औ बोलीं के हमाए संगे बाथरूम लो चलो। हम तो इनकी जे बात सुन के डरा गए के कऊं इनकी तबीयत तो ने बिगर रई? हमने इनसे पूछी के काय तुमें चक्कर-मक्कर आ रए का? तो जे बोलीं नईं बस तुम संगे चलो। सो हम इनके संगे बाथरूम के दोरे लौं गए। उते भीतरे से जे इत्ती जल्दी बाहरे लौंटीं के हमें लगो के इन्ने बाथरूम करो के ऊंसई भाग आईं। अब तुमई बताओ के जे सोचबे वारी बात आए के नईं? काय से के तुमाई भौजी कभऊं मों से चदरा ओढ़ के नईं सोतीं औ ने जे अंदियारे में जाबे से डरात आएं। मगर अब को जाने का हो गओ इने।’’ भैयाजी ने बताई।
‘‘आप ठीक कै रए, जे बा सीरियल देख के डरा गईं हुइएं। हो जात आए कभऊं-कभऊं।’’ मैंने भैयाजी से कई।
फेर मैंने उन दोई को अपनी किसां बताई के ‘‘जब मैं लोहरी हती तो मोय सोई अंदियारे में जाबे से डरात्ती।’’
‘‘तुमाई तो समझ में आई के तुम जबें लोहरी हतीं, पर जे तो सयानी ठैरीं।’’ भैयाजी बोले।
‘‘डर को का? डर तो कभऊं बी लग सकत आए। डर कोनऊं उम्मर नईं देखत आए।’’ मैंने भैयाजी से कई। मैं जा कै के भौजी की साईड बी लेबो चा रई हती। जीसे उनको डर कम होय। औ ईको असर बी भओ।
‘‘देखो ने बिन्ना! तुमाए भैयाजी हमाए लाने ठेन करे जा रए। अरे हमने चुड़ैल खों छत पे उल्टे लटको देखो, तो का हमें डर न लगहे?’’ भौजी अखीर बोल परीं।
‘‘आपने कां देख लओ चुड़ैल खों?’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘अरे बा सीरियल आउत आए ने, ‘डायन को बदला’ बोई में देखो। तुमने देखो?’’ भौजी फेर के तनक डरात भई बोलीं।
‘‘बा सीरियल तो नई देखो, बाकी मोय सोई डरावनी फिल्में पसंद आउत आएं।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘सो तुमें डर नईं लगत?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘उने देख के काय को डर? बे ओरें कलाकार ठैरे। उने भूल-चुड़ैल बनबे के मिल रए लाखों रुपैया। उनसे का डराने?’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘पर सई मानों के जे डायने-मायने होत आएं, तभई तो ऐसो सीरियल बनाओ जात आए।’’ भौजी बोल परीं।
‘‘जे खूब कई भौजी आपने! आप पढ़ी-लिखी आओ औ फेर बी ऐसी बात कर रईं? अब तो आपको ई टाईप के सीरियल देखबो छोड़ देनो चाइए। आप तो डिस्कवरी और नेशनल जियोग्राफी के सीरियल देखो करे। उनखों देख के आप समझ जैहो के जे भूत-चुड़ैल कछू नई होत आएं।’’ मैंने भौजी खों समझाई। फेर मैंने भैयाजी से कई,‘‘भैयाजी, मोय तो जा सोच के चिंता हो रई के जे कोन टाईप के सीरियल आजकाल टीवी पे दिखाए जा रए? जबें अपनी भौजी घांई समझदार लुगाई डरान लगीं तो बाकी के संगे का होत हुइए? जे तंत्र-मंत्र, भूत-चुड़ैल वारे सीरियल के लाने परमीशन कोन देत आए? फिलम तो मानो ढाई-तीन घंटा में बढ़ा जात आए, पर जे सीरियल तो रोजीना तनक-तनक डोज़ सो देत रैत आएं।’’
‘‘सई कई बिन्ना! पैले कित्ते नोने सीरियल आत्ते टीवी पे। हमने पैले ‘भारत एक खोज’ ‘तमस’ ‘हमलोग’ ‘चंद्रकांता’, ‘रामयण’, ‘महाभारत’ घांईं कित्ते अच्छे सीरियल देखे रए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ भैयाजी, बा ‘नुक्कड़’ सीरियल कित्तो अच्छो रओ, औ बा ‘मालगुडी डेज’। औ एक रओ ‘रजनी’ सीरियल। ऊमें बताओ जात्तो के कछू गलत होत देखो तो तुरतई आवाज उठाओ। सई में भौतई अच्छे सीरियल रए बे। बाकी रामसे वारन ने ‘जी हाॅरर शो’ बनाओ रओ। फेर ‘आहट’ ‘श्श्श कोई है’ घांई सीरियल सोई चलत रए, मनो बे ज्यादा रात को आत्ते, औ जोन खों देखने रैत्तो, बेई देखत्ते। अब तो सबई चैनल में दो-चार ऐसे वारे सीरियल चलत रैत आएं। बाकी भूत-प्रेत लौं होंय तो ठीक, मनो अब तो तंत्र-मंत्र सोई खूब दिखाओ जान लगो आए। जो अंधविश्वास फैलाबे को काम हो रओ।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ-हऔ, अब हम समझ गए, अब ने देखहें ऐसो सीरियल।’’ भौजी मुस्कात भईं बोलीं। हम ओरन की बतकाव सुन के उनको डर दूर हो गओ।
‘‘बाकी बिन्ना हमें जे समझ में ने आत आए के जे टीवी सीरियल आएं के भूत-चुड़ैल के अड्डा आएं?’’ कैत भए भैयाजी हंसन लगे।    
आप ओरें बी सोचियो के जे सब का चल रओ? बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की।
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