Monday, June 10, 2024

बुंदेलखंड की सबसे चर्चित शख्सियत, लेखिका, कवि सागर की मधुर आवाज हैं सुश्री डा. शरद सिंह - डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

DrChandrakant Wagh  (अभानपुर, छत्तीसगढ़) की पोस्ट आज "नयादौर" दैनिक समाचार पत्र में भी प्रकाशित हुई है... अत्यंत आभारी हूं डॉ. वाघ की इस सदाशयता के लिए 🙏🙏🙏
लेख का मूल टेक्स्ट डॉ. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ की फेसबुक वॉल से साभार 🙏 ⤵️
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बुंदेलखंड की सबसे चर्चित शख्सियत, लेखिका, कवि सागर की मधुर आवाज हैं सुश्री डा. शरद सिंह

- डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

डा.वाघ की वाल पर आज मै किसी भी राजनीतिक विषय  से हटकर एक बहुत ही अलग विषय पर लिखने का साहस कर रहा हू  ।  एक साहित्यकार के लिए कुछ लिखना भी बर्रे के छत्ते मे हाथ डालने के समान है  ?  पता नही शब्दो मे व्याकरण मे कही चूक न हो जाए  ?  आज मै बुंदेलखंड की सबसे चर्चित शख्सियत लेखिका कवि सागर की मधुर आवाज की मालिक वह और कोई नही मेरी छोटी बहन सु श्री डा.शरद सिंह के बारे मे लिखने का दुःसाहस करने की कोशिश कर रहा हू ।  कहां से लिखना शुरुआत करु इस उहापोह मे हू । मध्यप्रदेश के पन्ना मे हीरे की खान है वहां से ही हीरे निकलते है ।  वहीं से साहित्य जगत को हीरा मिला वह है डा. शरद सिंह की यही जन्मस्थली  भी  है   
डा.साहब ने भारतीय संस्कृति इतिहास पुरातत्व मे एम.ए (   गोल्ड मेडल  )  लेकर किया है  ।
एम.ए.  (   मुगलकालीन भारतीय इतिहास   ) 
पी.एच.डी  (    खजुराहो की मूर्तियो  का सौंदर्यतातमक अध्ययन   )  
इनके साहित्यकार की भूमिका कवियित्री की भूमिका के लिए इनको  यह संस्कार मां स्व. डा. विधावती मालविका बौद्ध धर्म दर्शन की सुप्रसिद्ध लेखिका रही है । वहीं इनके नाना भी सुप्रसिद्ध कवि स्व. संत शरण सिंह जी गांधी जी के साथ वर्धा मे रहे है ।  उल्लेखनीय है की उनका कार्य क्षेत्र दुर्ग राजनांदगांव व कवर्धा रहा है ।   उन्होने  अंग्रेजो से लडने के लिए "  पीलालाल  "  नाम से रचनाये रचित की ।  इनकी मां ही इनकी  व  बडी बहन स्व. सु श्री वर्षा सिंह की प्रेरणास्रोत रही है । दुर्भाग्य से सु श्री वर्षा सिंह को बहुत ही कम उम्र मे ही समय से पहले
 कोरोना ने हमसे उसे छीन लिया  ।  सु श्री डा. सिंह की तारीफ करनी होगी की अकेले होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी ।  अब साहित्य के लिए ही सामाजिक सांस्कृतिक कार्य के लिए ही अपने को समर्पण कर दिया है ।  जैसे मैने देखा किसी भी अंजान को भी अपना बनाने की वह जज्बा मेरी इस छोटी बहन मे है । यही कारण है की आज पूरा सागर इनका परिवार है  ।
साहित्य सृजन मे वह साहित्य का सागर है कहू तो अतिशयोक्ति नही होगी  
उपन्यास जो चर्चित है 
 1     पिछले पन्ने की औरते  (   बुंदेलखंड की बेडिया समाज के महिलाओ पर केंद्रित   ) 
  2     पचकौडी   (    बुंदेलखंड पर सामाजिक  राजनीतिक विमर्श पर केंद्रित   ) 
  3     कस्बाई सिमोन  (    लिव इन रिलेशनशिप एवं स्त्री विमर्श पर केंद्रित  ) 
  4        शिखंडी  स्त्री देह से परे  (   महाभारत पात्र शिखंडी पर आधारित   )  
कहानी जो चर्चित है
1  बाबा फरीद नहीं आते 
2  तीली तीली आग 
3  छिपी हुई औरत अन्य कहानियां 
4   गिल्ला हनेरा   (    पंजाब मे अनुदित कहानियां  ) 
 5  राख तरे के अंगारा    (   बुंदेली की श्रेष्ठ कहानी संग्रह   ) 
6  श्रेष्ठ जैन कथाये
7   श्रेष्ठ सिक्ख कथाये   
अब तक इनकी अट्ठावन पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है  ।
इतिहास पर महिलाओ के सशक्तिकरण पर जहां लेखन किया वही जमीन पर भी काम किया है  ।   बुंदेलखंड के किसी भी साहित्य के कार्यक्रम मे इनको  पाने से ही लोग आनंदित हो जाते है ।
इनकी उपलब्धि इतनी है की बयां नही की जा सकती लंबी फेहरिस्त है ।   
घर की दीवार मे कहीं जगह नही है की नये अभिनंदन पत्र अपनी जगह ले सके ।  
मध्यप्रदेश शासन से लेकर साहित्य जगत की कोई भी संस्थान नही बचा जिन्होने डा.सिंह को सम्मानित न किया हो । 
रेडियो दूरदर्शन ने साहित्य पर इनका साक्षात्कार लिया और चर्चा भी की 
आजतक जैसे प्रतिष्ठित चैनल मे साहित्यकार के  हैसियत से भाग लेकर अंचल को गौरवान्वित किया  ! 
 एक लेखक की हैसियत से शामिल होने के लिए जब सागर गया तो ऐसे शख्सियत से औपचारिक मुलाकात कब अनौपचारिक हो गई पता नही चला ।  डा. शरद सिंह को अपने उस गुरू से मिलने व बात करने की बहुत इच्छा थी जिनको वो अपना आदर्श मानती थी । मै इतिहास व पुरातत्व पर उनकी यह रुचि पन्ना मे पदस्थ उनके गुरु ने ही जगाई  । मैडम को इतना मालूम था की कुछ समय पहले उनके गुरु डा.आर.डी. दास  सर राजनांदगांव में थे मैने वहां की सामाजिक कार्यकर्ता जो मुझे दादा कहती है श्रीमती अलका निमोनकर देशमुख से कहा तो तारीफ करनी होगी मोबाइल नंबर ढूंढ ही लिया ।  नंबर मिलने के बाद जब मैडम ने बात की जो खुशी आंखो मे चमक मैने देखा वही खुशी सामने बात कर रहे सर के आवाज मे भी नजर आ रही थी  ।  यह लोग अपने पुराने समय मे चले गए  ।  
मैने डा. साहब की उपलब्धियो के बारे मे बहुत कम जगह दी है । क्योकि इतना बडी उपलब्धि सम्मान मैने अभी तक नही देखे है  ।   यह ही इस बात का प्रमाण है ।  
जितना सम्मान मिला है वह उतनी ही विनम्र है जिस का अंदाजा नही लगाया जा सकता  ?
अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है   
इनके छोटे छोटे वीडियो दिल को छू लेते है
यह लोग ऐसे होते है कोई भी कविता कोई भी लेख कहां कब आ जाए कहना मुश्किल है रचनात्मक होने का यही फायदा है  

जिस शख्स ने मुझे जोडा मेरे घनिष्ठ मित्र भाई श्री उमाकांत मिश्र जी का उल्लेख करना जरूरी है   
उनका ही यह सफल  प्रयास       !
"     श्यामलम   "    
 
 
    सु श्री डा.शरद सिंह के लिए कुछ लाइन  
   फूल चाहे कितनी भी ऊंची 
    टहनी पर लग जाए 
             लेकिन 
   मिट्टी से जुडा रहता है 
    तभी  खिलता है 

बस इतना ही 
  डा.चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ
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