09.09.2024... आज श्री गजानन के दरबार में भजनों की आनंद सरिता...
लोग आपस में मिले और एक सामाजिक समरसता का भय-मुक्त माहौल बने इसी उद्देश्य से सन 1893 में बाल गंगाधर तिलक ने केशवजी नाइक चॉल सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की नींव डाली थी। अंग्रेजों का शासन था लेकिन तिलक अपने उद्देश्य में सफल रहे लोग गणेश उत्सव मैं एक दूसरे से मिलने लगे और ऐसा करने से शासन उन पर अंकुश भी नहीं लग पाया। आज कोई रोक-टोक नहीं है लेकिन जिंदगी में समय की कमी है । आज की व्यस्ततम ज़िंदगी में ऐसे अवसर ही तो सबको परस्पर एक-दूसरे के निकट लाते हैं। है न!
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