बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
सो, अपन ओरन खों का करने?
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
‘‘जोन खों देखो जेई कैत आए के अपन खों का करने? कोनऊं खों आज के माहौल से लेबो-देबो नइयां।’’ भैयाजी बड़बड़ात भए बोले।
‘‘का हो गओ भैयाजी? कोन खों कोस रए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘हम तो सबई खों कोस रए। को जाने कैसो जमानो आ गओ?’’ भैयाजी फेर ऊंसई बोले।
‘‘का हो गओ जमाने खों? अभई तो हमने इत्ती अच्छी गौर जयंती मनाई और उने साढ़े छै किलोमीटर लंबी माना पैन्हाई। इत्तोई नईं, उनकी एक मूरत खों कछू भक्तों ने गरम कपड़ा सोई ओढ़ा दए जीसे उने ठंड ने लगे। सई में मोरी तो आंखन से अंसुआ चुअन लगे जा सब देख के। भौतई जी को छूबे वारो मामलो रओ।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ, बा तो सब ठीक रओ, मनो अबईं उन भक्तन से पूछी जाए के भैयाहरों देस-बिदेस की खबर आए? सो बे कैंहे के हमें का करने देस-बिदेस की खबर राख के?’’ भैयाजी को मूड भौतई खराब हतो, जेई से बे कईं की बात कईं ले जात भए अपने मुद्दा पे आ गए।
‘‘मनो हो का गओ? कोन ने का कै दई?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘को का कैहे? जब उने कछू खबरई नईयां के कऊं का हो रओ, सो बे का कैहें?’’ भैयाजी की बातन की सुई उतई के उतई अटक रई हती। उनकी जा दसा पे मोए बा लड़कोरे को जमानो याद आ गओ जब मैं पन्ना में रैत्ती। हिरणबाग में। उतई से हर शुक्ररवार खों मदार साब के लाने चादर ले के लाउडस्पीकर पे गाना बजाउत भए लुगवा-लुगाई जात्ते। ऊ टेम पे सबसे ज्यादा जोई गाना बजत्तो-
‘‘ भर दो झोली मेरी या मोहम्मद
लौट कर मैं न जाऊँगा ख़ाली....’’
औ होत का हतो के बा लाउडस्पीकर से जुड़े ग्रामोफोन की सुई अटक जात्ती तो रिकार्ड जेई-जेई दोहरात रैत्तो के -
‘‘भर दो झोली...
भर दो झोली....
भर दो झोली....
भर दो झोली.....
भर दो झोली....।’’
जेई दसा भैयाजी की भई जा रई हती। मनो उनको रिकार्ड उतई के उतई अटक गओ हतो। मैं कछू कै रई ती औ बे जेई कै जा रए हते के ‘‘जोन खों देखो जेई कैत आए के अपन खों का करने?’’
‘‘भैयाजी, अब आप बताई देओ के का भओ? ऐसे ने चलहे।’’ मोय गुस्सा सी आन लगी उनकी बेई-बेई बतकाव सुन के। अरे, कछू आगे की बी तो कएं।
‘‘भओ जे के संकारे हम मंदिर गए हते तो उते बाबूलाल मिलो। हम ओरन की बतकाव होन लगी। बा अपने पुरा-मोहल्ला की सुनान लगो। अब हमें का पता के ऊके मोहल्ला में को कां रैत आए? सो हमने कई के तुम तो अपने मोहल्ला की छोड़ो औ जे बताओ के जे अडानी को अब का हुइए? सो बाबूलाल तुरतईं बोलो के कछू होय ऊको, अपन खों का करने! अब तुमई बताओ बिन्ना के बा अपने इते को बड़ो आदमी आए। बे दिल्ली वारे मुखमंत्री उनको नांव जपत-जपत जेल पौंच गए औ बाबूलाल कैत आए के अपन खों का करने? मने ऊको कोनऊं सोचई नइयां के कोन को का हो रओ।’’ भैयाजी ने बताओ।
‘‘सो का भओ? आप काए अपनो मूड खराब कर रए? बाबूलाल खों फिकर नइयां, सो न होन देओ। ई जग में तो सबई टाईप के पिरानी पाए जात आएं। औ सई में अडानी जू को कछू होय ईसे अपन ओरन खों का फरक पड़ने? अपन खों तो मैंगाई के सिल-बट्टा में बटत रैने। बे बड़े लोग ठैरे, उने का हुइए।’’ मैंने भैयाजी खों समझाई।
‘‘नईं, तुमाई बात तो सई आए। मनो, जो का आए के दुनिया की कछू खबरई ने रखी जाए? औ चलो बाबूलाल की मान लई की ऊको कछू पतो नई, तो पतो नईं, मनो हमें बा किसना पान वारो मिलो। सो हमने बातई बात में ऊसे पूछ लई के भैया जे अमेरिका के प्रेसीडेंड जू ने चुनाव टेम पे कै तो दओ रओ के वे रूस औ उक्रेन की लड़ाई रुकवा दैहें, का तुमें लगत आए के बे ऐसो कर पैहें? हमें तो लगत के जैसे अपने इते के नेता हरें चुनाव टेम पे जो कछू कैत आएं ऊको कभऊं पूरो नईं करत, ऊंसई जे करहें। काए से के अबे तो कछू करत नई दिखा रए। सो जानत आओ के ऊ किसना पान वारे ने हमसे का कई?’’ भैयाजी तनक सांस लेबे खों रुके।
‘‘का कई?’’ मैंने पूछी।
‘‘ऊने कई के बे ओरें लड़ें चाए ने लड़ें अपन ओरन खों का करने? ऊकी जा बात सुन के रामधई हमाओ जी करो के हम जरूर ऊकी कनपट्टी पे एक खींच के धर देवें।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जो का भैयाजी! मनो किसना खों बा लड़ाई में तनकऊ इंटरेस्ट ने हो तो वो का आपके लाने ट्रम्प जू की जनमपत्री बनाउन लगे?’’ मैंने भैयाजी खों टोंको। अरे, जोन चीज आपखों पोसाए, जरूरी नोईं के बा दूसरन खों भी पोसात होए। जे तो सरासर जबरिया वारी बात कहाई।
‘‘हम जे नई कै रए के ऊको इंटरेस्ट होने चाइए। बात जो आए के पैले पान वारे दुनिया भरे की जानकारी रखत्ते। चाए कोनऊं के घरे की पूछ लेओ के कोन की मोड़ी को कोन के संगे मामलो चल रओ औ चाए जे पूछ लेओ के बिल क्लिंटन ने बोरिस येल्तसिन से हाॅट लाईन पे बात करी के नई करी? उने सब पतो रैत्तो। आजकाल की टीवी न्यूज से ज्यादा अपडेट रैत्ते बे ओरें। औ अब देखो के पानवारे हो के कै रए के अपन खों का करने?’’ भैयाजी चिढ़त भए बोले।
‘‘ईमें पानवारे को दोस नइयां।’’ मैंने कई।
‘‘सो कोन को दोस आए?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘आपई सोचो के बा पानवारो कोन के लाने अपडेट रए औ कोन से बतकाव करे? आपई घांई एकाध ठइयां मानुस ऊके इते बतकाव करत हुइएं ने तो सबरे तो उते ठाड़े हो के बी अपने मोबाईल पे मगन रैत आएं। उने ने कछू जानने, ने कछू बतकाव करने। उने तो बस, मोबाईल पर व्हाट्स अप्प में उल्टो सूदो ग्यान फारवर्ड करने, ने तो कोऊ से बतिया-बतिया के ऊकी खपड़िया खाने, औ जे कछू ने होय तो जुआपट्टी वारो गेम खेलत रैने, को पूछ रओ उक्रेन-मुक्रेन खों। उने तो जे बी ने पतो हुइए के जा बिल क्लिंटन को हते और बा बोरिस येल्तसिंन को हते? उने तो अपने मोहल्ला के पार्षद को नांव याद ने हुइए। काय से उनकी दुनिया तो अब मोबाईल ठैरी।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘सांची कै रईं बिन्ना! जे मोबाईल को नशा दारू से ज्यादा कहानो।’’ भैयाजी बोले।
‘‘लुगाइन को बी जेई हाल आए। उने बी मोबाईल के अलावा किटी और सत्तनारायण की कथा याद रैत आए, ने तो उने सोई ने पतो हुइए के अपने इते के महिला बाल विकास मंत्री को आ? अब आप उन ओरन से पूछो सो बे जेई कैंहें के अपन ओरन खों का करने? बस, जेई में आपको चिड़क जाने।’’ मैंने भैयाजी ने कई।
‘‘सई में बिन्ना! इते तो बस, बेई अपडेट रैत आएं जोन खों कोनऊं काम्पीटीशन में बैठने होय, ने तो बाकी तो जेई प्रथा के कहाने के अपन खों का करने?’’ भैयाजी बोले।
‘‘भैयाजी, जे तो आप बड़ी-बड़ी बातन की कै रए, इते तो घर के दोरे के आगे की रोड टूटी होय और ऊके मारे गिरत-परत घरे पिड़त होंए, मनो कैंहे जेई के अपन खों का करने?’’ मैंने कई।
‘‘ठीक गई बिन्ना!’’ अब भैयाजी खों तनक सहूरी आन लगी।
‘‘अरे एक दिनां बे बंडा वारे पंडतजू मिले सो कैन लगे के मंदिर में कछू काम कराने, ओई के लाने चंदा मांगत फिर रए। सो, मैंने उनसे कई के पंडतजी, काए के लाने भैंरा रए? जा के तनक विधायक जू से मिल लेओ, बे ऐसे काम के लाने मना ने करहें औ विधायक निधि से कछू ने कछू दे दैहें। सो ईपे पंडतजी ने कई के अपन खों विधायक जू से का करने, अपन तो इते-उते से मांग के काम करा लेबी। अब आपई सोचो भैयाजी, के आप कै रए अपडेट की, इते तो भैयाहरें अपने नेताजू से मांगबोई भूले जा रए। सो नेता हरों को का परी, के बे तुमाए दोरे आहें तुमाए काम कराबे के लाने। अब कां लो कई जाए।’’ मैंने भैयाजी खों समझाओ।
‘‘बिलकुल सई! जेई हो रओ। बिन्ना, जेई हो रओ। ने कोनऊं खों मैंगाई की परी, ने कानून-मानून की औ ने ईकी के ई दुनिया में का हो रओ।’’ भैयाजी समझत भए बोले।
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर के ई बारे में, जे ने आप ओरें सोई सोचन लगो के ईको पढ़ के अपन ओरन खों का करने? ऐसो ने करियो! रामधई!
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