Friday, September 19, 2025

शून्यकाल | कोई हौआ नहीं हमारी ही नई जेनरेशन है जेन जी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | नयादौर

शून्यकाल | कोई हौआ नहीं हमारी ही नई जेनरेशन है जेन जी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | नयादौर
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शून्यकाल
कोई हौआ नहीं हमारी ही नई जेनरेशन है जेन जी
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
नेपाल की वर्तमान क्रांति ने जो एक शब्द सामने लाया, वो है “जेन जी”। ऐसा लगा मानो कोई अनोखे क्रांतिकारी पैदा हो गए हों। उनकी आवाज़ की बुलंदी से दूसरे देश भी सकते में आ गए। विद्रोह और सत्ता परिवर्तन से सभी सत्ताधारियों को डर लगता है। जबकि जेनरेशन जी कोई गैर नहीं हमारी ही जनरेशन है जो अव्यस्थाओं के विरुद्ध डटकर खड़ी हो गई और उसने अव्यस्थाओं को नकार दिया।

     जब किसी देश में कोई क्रांति होती है तो पूरी दुनिया चौंकती है। एक जमी- जमाई राजनीतिक व्यवस्था यह कभी नहीं चाहती कि उसकी नीतियों के विरुद्ध कोई उठ खड़ा हो। सभी देश सतर्क हो जाते हैं। कोई सत्ताधारी यह नहीं चाहता कि उसकी सत्ता को किसी भी तरह की चुनौती मिले, वे निर्विघ्न अपनी सत्ता चलाना चाहता है। किंतु हर नई पीढ़ी एक नई सोच लेकर पैदा होती है। उसके भीतर सब कुछ ठीक-ठाक कर देने की तीव्र आकांक्षा होती है। 

   हाल ही में नेपाल में जो क्रांति हुई उसमें नई जनरेशन जेन जी की अहम भूमिका रही। दरअसल, 1997 से 2012 के बीच जन्मे लोगों को जनरेशन जेड यानी जेन जी कहा जाता है। कोई राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन नहीं है, बल्कि ये एक पीढ़ी यानी जेनरेशन समूह के लिए प्रयोग होने वाले शब्द है। इस पीढ़ी के लोगों ने नेपाल में तख्तापलट कर दिया है। वर्ष 2025 तक यह पीढ़ी दुनिया की करीब 30 फीसदी वर्कफोर्स बन चुकी है और अपनी अलग सोच और आदतों से समाज और अर्थव्यवस्था दोनों पर असर डाल रही है।  यह पीढ़ी इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में पली-बढ़ी है, जिसके कारण यह तकनीक-संपन्न तो है ही, ये जागरूक और सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय भी मानी जाती है। ये ज़िलेनियल्स भी कहे जाते हैं। ये आज के समय की सबसे चर्चित और प्रभावशाली पीढ़ी है। टेक्नोलॉजी उनके डीएनए में है, वो नए ऐप्स और ट्रेंड्स को बहुत तेजी से अपनाते हैं।

       जेनरेशन यानी पीढ़ियों को अलग- अलग उम्र के हिसाब से बांटा गया है। इसमें जन्म से लेकर 124 साल तक की उम्र के लोग शामिल होते हैं। सबसे नई जेनरेशन का नाम बीटा है। इसमें 0 से 14 साल तक के बच्चे शामिल हैं। ये पीढ़ी पहले के मुकाबले काफी टेक्निकल होगी। इसकी वजह ये है कि इन्हें इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत तमाम जानकारियां होंगी।

      बाकी जेनरेशन को इस प्रकार नाम दिया गया है- 1901 से 1927 के बीच जन्मे लोगों को ग्रेटेस्ट जेनरेशन कहा जाता है। इसके बाद आती है साइलेंट जेनरेशन। यह 1928-1945 के बीच जन्म लेने वाले लोगों को गिना जाता है। सन 1946-1964 के बीच जन्म लेने वाले बेबी बूमर्स जनरेशन के कहलाते हैं। इसी तरह 1965 -1980 के बीच जन्म लेने वाले लोग जेनरेशन एक्स कहलाते हैं। मिलेनियल्स या जेन वाई पीढ़ी में 1981-1996 के बीच जन्म लेने वाले लोगों को शामिल किया गया है। इसके बाद क्रम आता है जेन जी का। जो 1997- 2012 के बीच जन्मे हैं।

    2025 से जन्मे बच्चों को बीटा जेनरेशन कहा जाएगा। जेन जी की अपनी विशेषताएं हैं जिनमें सबसे प्रमुख है उनका तकनीक प्रेम। जेन जी तकनीक का बहुत सहजता से उपयोग करते हैं और उनके लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। आर्थिक मामलों में यह पीढ़ी अधिक व्यावहारिक है। वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के कारण ये पीढ़ी अधिक व्यावहारिक और बचत करने वाली हो सकती है। ये आर्थिक जोखिम उठाने से पीछे नहीं हटते हैं। जेन जी "ज़ूमर्स" या "पोस्ट-मिलेनियल्स" भी कहलाते हैं।
     मिलेनियल जनरेशन, जिसे जेनरेशन वाई भी कहा जाता है, वह पीढ़ी है जो जेनरेशन एक्स और जेनरेशन जेड के बीच आती है, और इसके सदस्य आम तौर पर 1981 से 1996 के बीच पैदा हुए माने जाते हैं। इन्हें मिलेनियल इसलिए कहते हैं क्योंकि इस पीढ़ी के सबसे बड़े सदस्यों ने 2000 के दशक में वयस्कता हासिल की थी। मिलेनियल्स इंटरनेट और मोबाइल उपकरणों के साथ बड़े होने वाली पहली पीढ़ी हैं, और उन्हें "डिजिटल नेटिव्स" भी कहा जाता है। 

         मिलेनियल पीढ़ी की अपनी कुछ विशेषताएं हैं। जैसे, तकनीक से जुड़ाव। इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ सहज होने के कारण, वे एक वैश्विक समुदाय से जुड़े हुए महसूस करते हैं और नई तकनीक को जल्दी अपनाते हैं। वे मानते हैं किवे बेबी बूमर्स के बच्चे हैं और उन्होंने अपनी युवावस्था में महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक बदलाव देखे हैं, जैसे कि बड़ी मंदी का दौर। ऐसे लोग व्यक्तिगत पहचान पर बल देते हैं। वे खुद को एक समूह के बजाय एक व्यक्ति के रूप में पहचानना पसंद करते हैं और व्यक्तिगत ब्रांडिंग पर अधिक ध्यान देते हैं। मिलेनियल पीढ़ी के लोग यथास्थितिवादी नहीं हैं वे परिवर्तन को प्राथमिकता देते हैं। वे समुदाय की भावना और विविधता के प्रति अधिक सहनशील होते हैं और अक्सर अधिकार की भावना रखते हैं। इन लोगों में नेतृत्व की तीव्र भावना होती है तथा वे समाज के प्रति जिम्मेदारी महसूस करते हैं।

      जेनरेशन के क्रमिक विकास को देखने के बाद अब फिर से बात करते हैं जेन जी की। जेन जी बहुत की स्मार्ट तरीके से सोचते हैं। यही कारण है कि ये अपनी भविष्य की प्लानिंग बहुत पहले से ही शुरू कर देते हैं। एक सर्वे के मुताबिक, करीब दो-तिहाई जेन जी ने 19 साल की औसत उम्र से ही बचत करना शुरू कर दिया था।  नौकरी में अनिश्चितता और घर खरीदने की बढ़ती कीमत भी उन्हें परेशान करती है। अपनी कमाई बढ़ाने और वित्तीय स्थिरता पाने के लिए जेन जी में अतिरिक्त काम करने का चलन बढ़ा है। जेन जी डेस्कटॉप के बजाय मोबाइल पर ही ज्यादा काम करते हैं। 81 फीसदी लोग सोशल मीडिया पर ही प्रोडक्ट खोजते हैं और 85 फीसदी नए प्रोडक्ट्स के बारे में इन्हीं प्लेटफॉर्म से पता लगाते हैं। ऑनलाइन रिव्यू पर भरोसा करते हैं। जेन जी ने अपना जीवन तकनीक और आधुनिक उपकरणों के इर्द-गिर्द ही बिताया है। ऐसे में इन लोगों को टेक्नोलॉजी का किंग भी कहा जाता है। इसकी वजह ये है कि इनकी शुरुआत की टेक्नोलॉजी के साथ हुई है। इसी कारण से इस पीढ़ी को जेन जी कहा जाता है।

   जेनरेशन का यह सिलसिला हमेशा से चला रहा है। नई जनरेशन पुरानी जनरेशन को चौंकाती है और नए मूल्य स्थापित करती है। पुरानी पीढ़ी परिवर्तन से परेशानी महसूस करती है क्योंकि चली आ रही परिपाटी चली आ रहे हैं मूल्य एवं पहले से जमी व्यवस्थाएं खंडित होती हैं। इसे एक बहुत ही साधारण सामाजिक घटनाक्रम से समझा जा सकता है कि भारत में पहले स्त्रियां घूंघट में रहती थीं। घूंघट वाली पीढ़ी से आगे की नई पीढ़ी आई तो उसने घूंघट ओढ़ना छोड़ दिया यह नहीं पीढ़ी के लिए नवाचार था जबकि पुरानी पीढ़ी के लिए विद्रोह था। इसी प्रकार यदि आर्थिक पक्ष में देखा जाए तो पुरानी पीढ़ी अथवा वर्तमान पीढ़ी अपने शासकों एवं व्यवस्थाओं के प्रति आवाज उठाने से घबराती है संकोच करती है तथा असुरक्षा का अनुभव करती है किंतु वहीं नई पीढ़ी आक्रामक ढंग से व्यवस्था की कमियों को चुनौती देती है। किसी-किसी देश में नई पीढ़ी का यह आक्रोश विद्रोह के रूप में सामने आता है जब वही पीढ़ी बलपूर्वक उन व्यवस्थाओं को चुनौती देकर ठीक कर देती है जिन्हें वह उचित नहीं समझती और जिन्हें वह अपने शोषण का कारण समझती है। नेपाल में यही हुआ। वहां नई पीढ़ी ने पुरानी पीढ़ी की व्यवस्थाओं को चुनौती दिया तथा अव्यवस्था के विरुद्ध शंखनाद कर दिया।
      
      जेनरेशन जी वह उत्साही पीढ़ी है जो करियर कौशल हासिल करने में रुचि रखती हैं और लचीले और व्यक्तिगत शिक्षण तरीकों को महत्व देती है। वे स्वतंत्र, रचनात्मक, व्यावहारिक और तकनीक-प्रेमी छात्र हैं जो घंटों बैठकर व्याख्यान सुनने के बजाय गहन, सक्रिय शैक्षिक अनुभव पसंद करते हैं। बेशक, वे अलग-अलग पृष्ठभूमि और सीखने की शैलियों वाला एक विविध समूह हैं, यही वजह है कि लचीलापन और सीखने के कई तरीके (जैसे, दृश्य, श्रवण, गतिज, ई-लर्निंग, आत्म-खोज, आदि) उनके लिए कारगर साबित होते हैं। जेनरेशन जेड के लिए आर्थिक सुरक्षा मायने रखती है। कई अध्ययनों में बताया गया है कि व्यक्तिगत वित्त, नौकरी, कर्ज, जीवन यापन की लागत और आवास की असुरक्षा जेनरेशन जेड के लिए तनाव के प्रमुख । 2023 में, 12 से 26 वर्ष की आयु के लगभग दो- तिहाई (64%) जेनरेशन जेडर्स ने कहा कि वित्तीय संसाधन उनके भविष्य के लक्ष्यों के लिए एक बाधा थे। वे स्थिर, अच्छे वेतन वाली नौकरी, किफायती आवास चाहते हैं और कॉलेज के कर्ज से बचना चाहते हैं।

        इस तरह यदि देखा जाए तो जेनरेशन जी अथवा जेनरेशन जेड कोई ऐसे विद्रोही नहीं है जो विध्वंस चाहते हो वह सिर्फ ऐसी व्यवस्था चाहते हैं जिसमें उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। अतः जिन देशों में युवाओं का भविष्य सुरक्षित है उन देशों को जेनरेशन जी से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है और न ही जेनरेशन जी को 60-70 के दशक के हिप्पी संप्रदाय जैसा मानने की भूल की जानी चाहिए। यह अव्यवस्था से जेनरेशन का टकराव मात्र है।
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1 comment:

  1. जेनरेशन जी के बारे में सही-सही जानकारी देती सार्थक पोस्ट

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