Thursday, September 18, 2025

बतकाव बिन्ना की | जबे हाई कोरट में चली कुलरिया पे बतकाव | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
जबे हाई कोरट में चली कुलरिया पे बतकाव
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह

         ‘‘देख तो बिन्ना एक बोल के कितेक मतलब निकार लए जात आएं।’’ भौजी ने मोसे कई।
‘‘काए का हो गओ भौजी? कोन के बोल की कए रईं?’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘अरे, तुमने सोसल मिडिया पे नईं देखी का? ऊमें हाई कोरट की कारवाई को सीन वायरल हो रओ।’’ भौजी बोलीं।
‘‘कोन सो सीन?’’ मैंने भौजी से पूछी।
‘‘अरे, आजकाल तुम सोसल मिडिया नईं देख रईं का?’’ भौजी ने अचरज करत भई पूछी।
‘‘मैं देखत तो रैत हों, बाकी ऊमें तो मुतके सीन चलत रैत आएं। जैसे आजकाल बा महाराष्ट््र वाले डिप्टी सीएम की घरवाली को सील वायरल हो रओ।’’ मैंने कई।
‘‘ऊकी तो ने कओ बिन्ना! अरा-रा-रा! ऊको तनकऊ ने लगो के बा का पैन्ह के कोन से परोगराम में जा रई। ऊपे से तनक एक जम्फर सोई डार लेती तो का बिगर जातो। मोय तो बड़ी सरम आई ऊकी वीडियो देख के। काए से के जगां-जगां की बात होत आए। अब संसद में कोनऊं सांसद भैया चड्डी पैन्ह के चलो जाए तो कैसो लगहे।’’ भौजी बोलीं।
‘‘सई कै रईं भौजी! हरेक जांगा की एक मरजादा होत आए। समुन्दर में नहाबे जाओ तो बिकनी पैन्ह लो, मनो कोनऊं जलसा में जा रईं तो तनक सलीके को पैन्हों। ने साड़ी पैन्हों तो सलवार सूट पैन्ह लेओ, गाउन पैंन्ह लेओ, घांघरा पैन्ह लेओ।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘सई कै रई बिन्ना, मनो हम ऊ वीडियो की बात नईं कर रए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘तो आप कोन से वीडियो की कए रईं?’’ मैंने पूछी।
‘‘हम बा वारे वीडियो की बात कर रए जीमें हाई कोरट के जज हरें कुलरिया को मीनिंग पूछ रए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘अच्च्छा, बो वारी। बा तो भौतई गजब की आए।’’ मैंने कई।
‘‘हऔ हमें तो अपनी श्वेता यादव बिन्ना पे गरब होत आए के ऊने कुलरिया की सई मीनिंग बता दई ने तो बा बाई तो कुलच्छिनी कैलाई जा रई हती।’’ भौजी बोलीं।
‘‘का बतकाव हो रई तुम ओरन में? कोन को कुलच्छिनी कै रईं?’’ भैयाजी कहूं बायरे से घरे भीतरे आत भए पूछन लगे।
‘‘आप खों तो सोई पतो हुइए।’’ मैंने कई।
‘‘इने कां से पतो हुइए? जे तो आजकाल करै दिनों में बिजी चल रए। अब रिस्तेदारी में आबो-जाबो चल रओ।’’ भौजी बोलीं।
‘‘सो आपई बता देओ भैयाजी खों।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘का बताने?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘चलो हम बता रए आपके लाने!’’ भौजी बोलीं औ फेर भैयाजी खों बतान लगीं,‘‘का भओ आए के हाई कोरट में कोनऊं केस चल रओ तो। ऊमें एक लुगवा की बात रई के ऊने अपनी घरवारी से का कई जा पे बात हो रई हती। जो कागज हतो ऊमें कुलरिया का के लिखों रओ। जज हरों को समझ में ने आओ के जो कुलरिया को का मतलब भओ?‘‘
‘‘फेर?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘फेर जे के जज हरों ने उते कोरट में बैठे सबईं से पूछी के कोनऊं को ईको मतलब पता आए का? सो उते बैठी एक लुगाई ने बताई के कुलरिया को मतलब होत आए कुलच्छिनी। जा सुन के उते कोरट में बैठीं अपने सागरे की श्वेता यादव बोल परीं। बे उते डिप्टी एडवोकेट जनरल आएं, सो बे बोल परीं के कुुलरिया को मतलब कुल्हड़िया होत आए कुलच्छिनी नोईं। जो सुन के बे जज हरें बोले के हऔ आप तो सागरे की आओ, आपको तो सई पतो हुइए। फेर बे ओरें जा सोई बोले के देखो तो दोई मीनिंग में कित्तों फरक आए।’’ भौजी ने भैयाजी खों सुनाई।
‘‘सई कई उन ओरन ने। काए से कुलच्छिनी बोले तो ऊकी घरवारी बुरे चाल-चलन वारी कई जैहे, औ जो कुल्हरिया कई जाए तो बा लड़ाई-झगड़ा में एक हथियार कहानो।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जेई तो होत आए के जो अपनी बोली-भाषा सई ने पतो होय तो कछू के कछू मीनिंग निकर आऊत आए। सो अपनी बोली तो सबईं खों आनी चाइए।’’ मैंने कई।
‘‘औ का! फेर अपनी बुंदेली तो ऊंसई बड़ी घड़िया-घुल्ला सी मीठी आए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘सई कई भौजी! बाकी बात चल रई मीनिंग की सो मोए एक सांची किसां याद आ रई के उते पन्ना में हमाए इते एक बऊ खाना बनाबे खों आत रईं। बे बताऊत तीं के बे मरजसेठ के इते काम करबे सोई जात आएं। सो मोरी उमर लरकोरे की रई, उत्ती अकल तो रई नईं सो मैं सोचत्ती के बऊ कोनऊं सेठ की कैत आएं। फेर एक बार अम्मा ने सुनी तो बे बोलीं के अम्मा कोनऊं सेठ की नोईं कैत, बे तो मजिस्टरेट की बात करते आएं। सो अब आपई ओरें कओ के कां सेठ औ कां मजिस्टरेट। सो जे होत आए सई मीनिंग ने जानबे से।’’ मैंने भैयाजी औ भौजी खों बताई। 
‘‘अरे, ऐसईं एक बार हमाए संगे भई! का भओ के हम गए तुमाई भौजी के संगे उते फोर लेन के एक होटल पे खाना खाबे। तुमाई भौजी बोलीं के भोजन बाद में मंगइयो, पैले हमाए लाने फिंगर च्सि मंगा देओ। हमने फिंगर चिप्स मंगा दई। तुमाई भौजी बोलीं की उंगरियन में तेल छप जाहे सो ईको खाबे के लाने कांटा सोई मंगा देओ। सो हमने बा बैरा से कई के भैया तनक कांटा सोई ले आओ। बा गओ औ एक कटुरिया में कछू सुफैद पाउडर सो ले आओ। हमने सोची के हो सकत के जे फिंगर चिप्स पे भुरकबे के लाने कछू मसाला वारो पाउडर हुइए। इत्ते में तुमाई भौजी ने ऊको चींख लओ। सो जे उचक परीं औ बोलीं के जे आटा काए के लाने ले आओ? जा तो पिसी को आटा आए। हैं! हमने सोई चींखों सो बा आटो ई रओ। हमने देखो के बा जो बैरा ला के आटा की कटुरिया धर गओ रओ, बा काउंटर के इते मजे से ठाड़ो हतो। हमने ऊको बुलाओ औ पूछी के भैया जे आटा काए धर गए? सो बा बोलो के आपई नने तो मांगो रओ। हमने कई मोरे भैया, हमने आटा नोंई कांटा मांगो रओ? बा मोरो मों तनक लगो। ऊको कांटा समझ ने परी। तब तुमाई भौजी ने ऊको समझात भईं बोलीं के कोटा मने फोर्क चाउने। सो बा बोलो अच्छा फोर्क चाउने? औ फेर बा लपक के कांटा लेओ। जे तो दसा भई।अब का कई जाए के ऊको कांटा ने समझ आ रओ हतो, फोर्क समझ गओ। जबकि हतो बा अपने इतई बुंदेलखंड को फुर्रा।’ भैया हंसत भए बतान लगे।
‘‘सई में कई दफा ऐसेई मजे की किसां घट जात आए। एक दफा मैं अपने संगवारियन के संगे इतई सागरे के एक होटल में खाना खाबे के लाने गई। हम ओरन ने अच्छो खानो खाओ। औ फेर अखीर में ऊसे हात धोबे के लाने पानी को कुनकुनो कटोरा लाबे की कई। कछू देर तो बा आओ नईं, हम ओरें ऊसई भिड़े हात बतकाव करत बैठे रए। फेर जबे बा आओ तो एक छोटे तसला में पानी लेओ। हम ओरन देखों तो हमाई हंसी रोके ने रुकी। मोरे संगे की एक जनी बोलीं के भैया हम आरन खों सपरने नोंई, हात धोने आए। इत्ते में बा होटल को मैनेजर आ गओ। बा माफी मांगन लगो के जे मोड़ा नओ धरो आए, ईको अबे कछू पतो नइयां। हम ओरन ने कई के चलो कछू नईं, बाकी हंसत-हंसत हम ओरन को खाना पच गओ।’’ मैंने अपनी एक औ किसां सुना दईं।
सो ऐसई-ऐसई कछू देर बतकाव चली। फेर मैं अपने घरे औ भैयाजी औ भौजी अपने घरे।           
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लौं जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर ई बारे में के अपनी बोली औ अपनी भासा अच्छे से आनी चाइए के नईं? अपन ओरें अपनी बोली भाषा के जानकार होंए तो अपने लोगन की कछू ज्यादा मदद कर सकत हैं। काए मैंने सई कई के नईं?      
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