बतकाव बिन्ना की
रामधई ! इंसानीयत मरत जा रई
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
‘‘काए बिन्ना का सोच रईं?’’ भैयाजी ने मोसे पूछी।
‘‘का कओ जाए भैयाजी, आजकाल न जाने का होत जा रओ लोगन खों।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘का होत जा रओ? काय की फिकर कर रईं?’’ भैयाजी ने फेर के पूछी।
‘‘फिकर? हऔ फिकर तो होत आए। लोगन में इंसानीयत मरत जा रई। एक जने खों कछू हो जाए मनो दूसरे खों ऊसे कछू लेबो-देबो नईयां।’’ मैंने कई।
‘‘का हो गओ ऐसां?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘अब का कई जा ? भओ का के कछू दिनां पैले की बात आए के हमाई सहेली के मोहल्ला में एक के घरे भड़याई भई। मकान मालिक हरें कई मईना से घरे न हते। अपने मोड़ा के लिंगे बायरे गए हते। भड़यन खों जे ने सूझो के जोन कई मईना खों बायरे जा रओ, बा अपने घरे माल-मत्ता छोड़ के तो ने जाहे। औ ने तो फेर सरकारी सूचनातंत्र घांई उनको सूचनातंत्र बी फिसड्डी रओ हुइए। सो बे ऊ सूने घर में जा पिड़े। खास जे रई के उन्ने बायरे के तारे ने तोड़े औ फटका से बुलक के भीतरे पौंच गए। फेर भीतरे को ताला खोलो और सबरे कमरा में दोंदरा दओ औ फेर छूंछे हात चलत बने। काय से के उते ऐसो कछू ने हतो के बे चुरा पाते। मनो सबेरे पड़ोसियन खों पता परी सो उन्ने पुलिस बुलाई। पुलिसवारन ने सीसीटीवी कैमरा की पूछी तो जोन घर में भड़या पिड़े रए उनईं के सामने वारे घर में सीसीटीवी लगी रई। पुलिस ने फुटेज मांगी सो बे धनी-धोरी बोले के हमाऔ तो कैमरा खराब आए। सो सीसीटीवी में कछू रिकार्ड ने हो सको। बाकी बाद में पता परी के उन्ने झूठी बोल दई रई, काय से बे पुलिस के चक्कर में पड़ो ने चाउत्ते।’’ मैंने बताई।
‘‘जो का बात भई? फेर सीसीटीवी लगाई काय खों रई?’’ भैयाजी बोले।
‘‘अब आपई सोचो के जो बे फुटेज दे देते तो पुलिस उने तो जेल में पेंड़ ने देती? बाकी उनके फुटेज देबे से बा उन भड़यन की चिन्हारी हो जाती। ई घटना के बाद से कछू जने मजाक में जा कहन लगे के उनको सीसीटीवी तो जे लाने को आए के बे देख सकें कोन के घरे को आ रओ औ कोन, कोन से बतकाव कर रओ। बाकी मोए जा लगो के जा तो एक फेलियर भड़यागिरी हती सो उन्ने फुटेज के लाने गुल्ली मार दई, जो कऊं कोनऊं बड़ी वारदात हो जाए सो बे बोल दैंहे के हमाए तो आंख-कान लौं बंद हते।
मोए ऊ टेम की सुरता आए जबे मैं लोहरी हती औ पन्ना में हिरणबाग कालोनी में रैत्ती। उते छै मकान हते, सरकारी। छैओ में बाल-बच्चा सैंत लेडी टीचर रैत्तीं। ऊ टेम पे ने तो मोबाईल हतो औ न घरे फोन होत्तो। सो सबने तै कर रखी हती के जो एक के घरे कछू होय तो बा जोर7जोर से चिल्लाहे, बरतन-भाड़क पटकहे जोन से बाकी खों पता पर जाए के कछू गड़़बड़ आए। औ फेर सबरीं बा आवाजें सुन के एक संगे अपने-अपने घरे की बायरे तक की लाईटें जला के डंडा ले के निकल परहें। एक दफा ऐसो भओ बी। ऊके बाद फेर कभऊं ऐसी नौबत ने आई। बाकी अब तो जे हाल आए के एक के घरे कछू हो जाए बाकियन खों कोऊ लेबो-देबो नइयां।’’ मैंले भैयाजी से कई।
‘‘सई कै रईं बिन्ना! भारी निठुरापन भओ जा रओ।’’ भैयाजी सोई अफसोस करत भए बोले।
‘‘सो निठुरापने की कां लौं कई जाए। अब तो जा दसा आए के एक मोड़ा ने अपनी प्रेमिका को गलो रेत दओ, बा बी सबके सामने। कोनऊं ने ऊको ने रोको। आपने सोई जा खबर पढ़ी हुइए। चायते तो सबरे मिल के ऊको पकर लेते, ने तो एक लट्ठ घुमा के देते तो बा मोड़ी बच जाती औ बा मोड़ा बी तभईं पकर लओ जातो। पर नईं, उते तो लोग बा मोड़ी की गला रैते की रीलें बनाऊंत रए। अब का कओ जाए ऐसे लोगन खों। जो बा मोड़ी की जांगा उनकी अपनी मताई, भैन होती तो का बे तब्बी ऊको कटत भए की रीलें बनाऊंत रैते? औ बा मोड़ा की तो का कई जाए। बा निठुरा कैत रओ के ऊको अपनी प्रेमिका को गला रेते में कोनऊं दुख नई भओ। काए से के बा प्रेमिका धोका दे रई हती। अरे, मालिक! तो बा मोड़ी से ब्रेकअप कर लेते, ऊको जान से मार के का मिलो? जनम भर की जेल मिली।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ, ऐसई बा इन्दौर वारी घटना ने भई रई?’’ भैयाजी बोले।
‘‘कोन-सी घटना?’’ मैंने पूछी।
‘‘अरे बाई वारी जीमें मोड़ी ने घरवारों के कए में ब्याओ तो कर लओ, औ बाद में हनीमून पे जा के अपने प्रेमी हरों से मिल के अपने दूला खों काम तमाम करा दओ। मने बा अपने घरवारों खों मना करबे को साहस ने जुटा पाई, औ अपने दूला को मरबावे को साहस जुटा लाई। मने ई टाईप के लोग इंसान आएं के नईं, हमें सोई ईमें शक होत आए।’’ भैयाजी बोले। फेर भैयाजी कैन लगे के ‘‘ईके पैले भी ऐसी वारदातें खींब हो चुकीं। दिल्ली मेंई एक मोड़ा ने एक मोड़ी खों भरे बजार में चाकू से गोद दओ रओ। बा मोड़ी बचबे के लाने भगत फिरी हती मनो कोनऊं ने की मदद ने करी। दो-चार ज्वान-जहान हरें ऊकी रीलें बनाऊंत रए। जा सब कछू देख-देख के लगत आए के दुनिया से इंसानीयत उठत जा रई। जा रीलन ने बी भौत बिगाड़ करी आए।’’
‘‘बात तो सई कै रए आप भैयाजी मनो कछू जने अच्छी रीलें बी बनाऊंत आएं जो अच्छो मनोरंजन करत आए, ने तो अच्छो संदेसा देत आए। ऐसई एक रील मैंने देखी हती जीमें एक ज्वान मोड़ा सड़के से गुजर रओ हतो के ऊको एक मोड़ी की चिंचियाबे और सहायता के पुकार भई आवाज सुनाई परत आए। पर बा सुन के अनसुनी कर देत आए के को जाने कोआ? कोन ऊ पचड़े में परे? औ तभई ऊको दो लफंगा दिखात आएं जोन अपने कपड़ा ठीक करत भए अंदियारे से बायरे आऊतें आएं। मने उने देख के कोनऊं बी समझ सकत्तो के बे अंदियारे में बा मोड़ी के संगे का कांड कर के निकर रए। बाकी बा ज्वान मोड़ा फेर बी ने तो पुलिस खों फोन करत आए औ ने मोड़ी की सहायत के लाने कछू सोचत आए। औ बा अपने घरे चलो जात आए। घरे पौंचत सात ऊकी मताई फिकर करत भई ऊको बताऊत आए के मोड़ा की छोटी भैन कछू सौदा लाने खों घरे से निकरी हती औ अब लौं लौटी नइयां, जबके ऊको गए भए कुल्ल देर हो गई आए। ब मोड़ा पूछत आए के बहना कोन तरफी गई आए? सो मताई बताऊत आए। मताई की बात सुन के ऊ मोड़ा खों मनो गश सो आ जात आए। काए से मताई बहना के जाबे के बारे में जोन तरफी की बता रई हती, ओई तरफी से बा एक मोड़ी की चींखे सुन के आ रओ हतो। रील की किसां इतई खतम हो जात आए। रील बनाबे वारों जेई बताओ चात्तो के जोन मोड़ी गुंडों में फंसी होए बा देखबे वारन में से कोनऊं की भैन बी हो सकत आए। सो सबई मोड़ियन की हिफाजत के बारे में सोचो चाइए। मोड़ियां सबकी एक सी होत आएं औ परेसानी सबकी एक सी होत आए।’’ मैंने कई।
जा सब बतकाव करत-करत हम दोई को मन दुखी सो हो गओ।
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़िया हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर के माहौल ऐसो काए बिगरत जा रओ?
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