Wednesday, May 4, 2022

जो प्रायः गोपन रहता है कथा साहित्य के द्वारा हमारे सामने उभर कर आता है। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

‘‘जीवन विविध रंगों से बना होता है, वह चाहे स्त्री का हो या पुरुष का। किंतु हमारा सामाजिक ढांचा इस प्रकार है कि जिसमें स्त्री के हिस्से में फीके, धूसर रंग अधिक आते हैं। भले ही उसकी देह पर वस्त्र या साज-सज्जा के रूप में चटक रंग दिखाई देंगे लेकिन भीतर से उसके जीवन का त्रासद पक्ष, जो कि प्रायः गोपन रहता है कथा साहित्य के द्वारा हमारे सामने उभर कर आता है।" अपने ये विचार मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह ने) अपने समीक्षा उद्बोधन में कहे। अवसर था होटल मैजेस्टिक प्लाज़ा के सभागार में म. प्र. प्रगतिशील लेखक संघ की सागर इकाई द्वारा लेखिका देवकी भट्ट नायक  के कहानी संग्रह " दूसरा मंगलसूत्र " और डॉ. दिव्या नायक की स्वास्थ संबंधी पुस्तक " Detoxifying Mind ,Body And Soul " का विमोचन समारोह।
      इस आयोजन में मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ कथाकार श्री मुकेश वर्मा (भोपाल) विशिष्ट अतिथि थे दिनेश भट्ट (छिंदवाड़ा) तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता की श्री शैलेंद्र शैली (भोपाल) ने। कहानी संग्रह पर समीक्षात्मक उद्बोधन दिया मैंने तथा डॉ आशुतोष मिश्र ने।
दिनांक 02.05.2022

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