"प्रत्येक साहित्यिक संस्था साहित्य के उन्नयन का कार्य करती है। इस तारतम्य में हिन्दी साहित्य सृजन संघ द्वारा शरदोत्सव का आयोजन विशेष महत्व रखता है क्योंकि शरद पूर्णिमा का चांद हमें प्रखरता से काम करने की प्रेरणा देता है। सृजन का उत्साह देता है।" अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए मैंने यानी आपकी इस मित्र डॉ(सुश्री) शरद सिंह ने कहा। अवसर था हिन्दी साहित्य सृजन संघ, म.प्र. का शरदोत्सव का।
इस अवसर पर मैंने अपनी ये पंक्तियां भी सुनाईं-
अमृत वर्षा कर रहा है, पूनम का चांद।
मन को हर्षित कर रहा है, पूनम का चांद।
शारदीय इस रात्रि की हुई कालिमा दूर
जग को जगमग कर रहाहै,पूनम का चांद।
समारोह की मुख्य अतिथि थीं संस्था की संरक्षक डॉ चंचला दवे। कवि मुकेश तिवारी ने मधुर स्वर में मां सरस्वती वंदना की। संस्था अध्यक्ष सुनीला सराफ ने स्वागत भाषण एवं संस्था व कार्यक्रम परिचय दिया। संचालन किया संस्था के सचिव प्रदीप पाण्डेय ने तथा संस्था की सह-सचिव ज्योति विश्वकर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उपस्थित कवियों एवं कवयित्रियों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर मुन्ना शुक्ला, उमा कान्त मिश्र, डॉ.कविता शुक्ला कोषाध्यक्ष,सुश्री देवकी भट्ट नायक दीपा,सुभाष कंडया,रमेश दुबे,एड.राजेश सराफ,हरी शुक्ला,डॉ.ऋषभ भारद्वाज,एड.अमित तिवारी,अनिल सर्वटे,डॉ. अतुल श्रीवास्तव,अंशु शर्मा,श्रीमती अनीता शर्मा, निमित रावत , धीरेन्द्र सेन की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
उल्लेखनीय है कि शरद पूर्णिमा पर आयोजित इस कार्यक्रम में श्रोताओं को स्वागत स्वरूप दूध वितरित किया गया।
No comments:
Post a Comment