"अनुवाद भाषाओं के बीच सेतु का कार्य करता है। यह भाषाओं को विस्तार देता है तथा भौगोलिक सीमाओं के परे अपने विचारों, भावनाओं और सांस्कृतिक मूल्य सहित परस्पर दूसरे देशों में पहुंचाता है। डॉ. औदिच्य ने विश्व की विभिन्न भाषाओं के कालजयी सोनेट्स को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करके हिंदी की साहित्यिक संपदा को समृद्ध किया है। उनकी एक पुस्तक अनूदित सोनेट्स की है तो दूसरी पुस्तक उनके मौलिक सोनेट्स की है। इस तरह डॉ औदिच्य की दोनों पुस्तकें सोनेट्स का वृहद संसार हमारे सामने रखती हैं और यही इन पुस्तकों की अर्थवत्ता है।" मुख्य अतिथि के रूप में मैंने यानी डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने कहा।
श्यामलम संस्था एवं वनमाली सृजन पीठ सागर मध्य प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में सागर के सॉनेटियर डॉ. विनीत मोहन औदिच्य के साॅनेट संग्रह "सिक्त स्वरों के साॅनेट" तथा अनूदित साॅनेट संग्रह "काव्य कादम्बिनी" के विमोचन का, विगत शनिवार को । अध्यक्षता की डॉ.श्याम मनोहर सीरो़ठिया ने तथा विशिष्ट अतिथि थे डॉ आशुतोष मिश्र एवं डॉ अभिषेक ऋषि।
छाया चित्र साभार सौजन्य श्री मुकेश तिवारी जी का 🙏
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