Sunday, February 26, 2023

बुंदेली लोकजीवन में श्रीराम का नाम एक विश्वास है किस का अनुभव बुंदेली लोकगीतों में किया जा सकता है। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा "राम काव्य परम्परा और बुंदेलखंड" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरा दिन... समापन सत्र में  मुख्य वक्ता के रूप में मेरा  व्याख्यान... इस सत्र के मुख्य अतिथि थे जबलपुर से पधारे हिंदी और भारतीय संस्कृति के विद्वान डॉ त्रिभुवन नाथ शुक्ल जी। हिंदी एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, भाषा विज्ञान अधिष्ठाता डॉ. चंदाबेन की महत्वपूर्ण उपस्थिति में संचालन किया हिस्सा विभाग के प्राध्यापक डॉ राजेंद्र यादव ने।
      आभार प्रकट किया हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ आशुतोष मिश्र ने। तदुपरांत राष्ट्रगान के साथ दो दिवसीय सेमिनार का समापन हुआ।
      इस अवसर पर शाल, श्रीफल, पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं पुस्तकों से हम अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया गया। इस सेमिनार की अभी विशेषता रही कि इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय एवं देश भर से आए शोध छात्रों एवं प्राध्यापकों द्वारा अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। साहित्य के सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति इस प्रकार शोध की रुचि देखकर अत्यंत सुखद अनुभूति हुई।
       
🌷आभारी हूं डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर (मप्र) के हिंदी विभाग की 🙏

📷छायाचित्र सौजन्य एवं साभार भाई  Madhav Chandra Chandel  जी
एवं श्री Mukesh Tiwari जी 🌷🙏🌷

#डॉसुश्रीशरदसिंह #रामकाव्य  #राष्ट्रीयसंगोष्ठी #DrMissSharadSingh  #NationalSeminar #ramkavya  #bundelkhand

No comments:

Post a Comment