"संग्रहालय विजुअल बुक्स होती हैं जहां पुरा एवं ऐतिहासिक साक्ष्यों के द्वारा अतीत को पढ़ा जा सकता है। प्राचीन स्मारकों एवं वस्तुओं को बचाने के लिए, उन्हें संरक्षित करने के लिए आम लोगों में जागरूकता जागाई जानी जरूरी है ताकि वे उसके महत्व को समझें और उसे किसी भी तरह की क्षति न पहुंचाएं। लोगों में संग्रहालयों के प्रति भी रुझान बढ़ाए जाने के लिए प्रचार-प्रसार आवश्यक है।" बतौर अतिथि वक्ता मैंने आज दोपहर अपने ये विचार रखे।
विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल के तत्वावधान में सागर संग्रहालय द्वारा तीन दिवसीय "भारत के प्राचीन स्मारक" छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर सकेंगे। इस अवसर पर "पुरातत्व विरासत के संरक्षण की भूमिका" विषय पर एक परिचर्चा भी आयोजित की गई। इस समारोह में अपर कलेक्टर श्री रुपेश उपाध्याय, नगर निगम आयुक्त श्री राजकुमार खत्री, विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ बीके श्रीवास्तव, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ नागेश दुबे, पत्रकार श्री रजनीश जैन, सत्यम संग्रहालय के संस्थापक के दामोदर अग्निहोत्री, साहित्यकार, छायाकार श्री मुकेश तिवारी, सागर ट्रेकर के श्री जैन आदि बड़ी संख्या में विद्वानों एवं विश्वविद्यालय के शोध छात्रों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
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