Monday, December 30, 2024

समय विकट है, कठिन है फिर भी साहित्य की उपलब्धियां इस बात का विश्वास दिलाती हैं कि उम्मीद अभी बाकी है। - डॉ (सुश्री) शरद सिंह, प्रलेस सागर, मकरोनिया इकाई, गोष्ठी

"समय विकट है, कठिन है फिर भी साहित्य की उपलब्धियां इस बात का विश्वास दिलाती हैं कि उम्मीद अभी बाकी है। यूनेस्को के मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक के क्षेत्रीय रजिस्टर में वर्ष 2024 में हमारे देश की तीन कृतियों को शामिल किया गया है जो कि गौरव की बात है यह तीन कृतियां है- गोस्वामी तुलसीदास कृत "रामचरितमानस", विष्णु शर्मा कृत "पंचतंत्र" और आचार्य आनंदवर्धन कृत "सहृदयलोक-लोकन" अर्थात "ध्वन्यालोक"। इस तरह तीन भारतीय का यूनेस्को की संरक्षित पुस्तकों में शामिल किया जाना  हमारे लिए गौरव की बात है और यह सन 2024 की महत्वपूर्ण साहित्यिक उपलब्धि है।" ये विचार मैंने साझा किए कल शाम प्रगतिशील लेखक संघ सागर की मकरोनिया इकाई की वर्ष 2024 की अंतिम विचार गोष्ठी में।
   ❗️गोष्ठी की अध्यक्षता की प्रलेस सागर  के अध्यक्ष श्री टीकाराम त्रिपाठी जी ने। कुशल संचालन किया डॉ सतीश पांडेय जी ने तथा आभार प्रदर्शन प्रलेस सागर के सचिव पेट्रिस फुसकेले ने किया। 
      ❗️गोष्ठी में डॉ गजाधर सागर, श्री टीका राम त्रिपाठी, मैं डॉ सुश्री शरद सिंह, श्री पी आर मलैया, डॉ एम के खरे, श्री मुकेश तिवारी, श्री वीरेंद्र प्रधान, श्री पेट्रिस फुसकेले, श्रीमती दीपा भट्ट, सुश्री ज्योति झुडेले, डॉ सतीश पांडेय,श्रीमती नम्रता फुसकेले, श्री खरे, श्रीमती ममता भूर आदि ने भाग लिया। प्रथम चरण में वर्ष 2024  की उपलब्धियों एवं समस्याओं पर सभी ने अपने-अपने विचार रखें। द्वितीय चरण में रचना पाठ का कार्यक्रम हुआ। 
    ❗️ गोष्ठी में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि मकरोनिया में होने वाली प्रत्येक प्रलेस गोष्ठी में सुरक्षित रचना पाठ के साथ ही किसी भी विधा के किसी एक साहित्यकार की रचनाओं पर विचार विमर्श किया जाएगा। इस विमर्श श्रृंखला की शुरुआत आगामी बैठक में कबीर के कृतित्व पर विमर्श से की जाएगी।
     ❗️कार्यक्रम के अंत में स्थानीय दिवंगत साथियों सहित श्याम बेनेगल, जाकिर हुसैन एव़ं पूर्व प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि दी गई।
    🙏 सभी छायाचित्रों के लिए भाई मुकेश तिवारी जी का हार्दिक आभार 🌹🙏🌹

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